तमिलनाडु में रेत माफिया पर बड़ी कार्रवाई, ED ने 40 से अधिक स्थानों पर मारा छापा
तमिलनाडु में मंगलवार को प्रर्वतन निदेशालय (ED) ने रेत माफिया पर बड़ी कार्रवाई की। यहां ED की टीम ने 40 से अधिक स्थानों पर एक साथ छापेमारी की है। बताया जा रहा है कि राज्य में रेत खनन से जुड़े उद्योगपति एस रामचंद्रन और डिंडीगुल रथिनम जांच एजेंसी के निशाने पर हैं। राज्य में सत्तारूढ़ द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) के महासचिव दुरई मुरुगन के पास एमके स्टालिन के नेतृत्व वाली सरकार में खनन विभाग की जिम्मेदारी है।
रेत ब्रिकी में बड़े पैमाने पर टैक्स चोरी की आशंका
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, ED के अधिकारियों को तमिलनाडु में खनन के बाद रेत की बिक्री में बड़े पैमाने पर टैक्स की चोरी की आशंका है और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों को लेकर राज्य में एक बड़ा तलाशी अभियान चलाया जा रहा है। जांच एजेंसी ने जिन जगहों पर छापा मारा है, उनमें रेत खनन का लाइसेंस रखने वाले उद्योगपति रामचंद्रन और रथिनम के कार्यालय और आवास भी शामिल हैं। मामले में अभी विस्तृत जानकारी की प्रतीक्षा है।
जांच एजेंसी ने शिक्षा मंत्री के ठिकानों पर भी मारा था छापा
ED की टीम ने कुछ महीने पहले तमिलनाडु सरकार में शिक्षा मंत्री के पोनमुडी और उनके सांसद बेटे गौतम सिगामणि के ठिकानों पर छापेमारी की थी। अवैध रेत खनन से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में कार्रवाई करते हुए टीम ने करीब 41.9 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त करते हुए मंत्री से पूछताछ भी की थी। बता दें कि पोनमुडी विल्लुपुरम जिले की तिरुक्कोयिलुर विधानसभा सीट से विधायक हैं, जबकि उनके 49 वर्षीय बेटे गौतम कल्लाकुरिची सीट से संसद सदस्य हैं।
मंत्री सेंथिल बालाजी के व्यापारिक सहयोगियों पर कार्रवाई
NDTV को ED के सूत्रों ने कहा कि जेल में बंद तमिलनाडु के मंत्री सेंथिल बालाजी के प्रमुख व्यापारिक सहयोगियों की संपत्तियों की भी तलाशी ली जा रही है, जो नकदी के बदले नौकरी घोटाले में आरोपी हैं। सूत्रों ने बताया कि मंत्री के अनाम सहयोगियों के लगभग 10 परिसरों पर छापेमारी की जा रही है। यह कार्रवाई चेन्नई की एक कोर्ट द्वारा बालाजी की जमानत याचिका पर सुनवाई पर ED को निर्देश देने के एक दिन बाद हुई है।
न्यूजबाइट्स प्लस
बालाजी को ED अधिकारियों ने 14 जून को कथित नकदी के बदले नौकरी घोटाले के सिलसिले में गिरफ्तार किया था। सोमवार को उन्हें चेन्नई में सांसद/विधायक स्पेशल कोर्ट में पेश किया गया। उन पर 2011 से 2015 के बीच जयललिता के नेतृत्व वाली AIADMK की सरकार में परिवहन मंत्री रहते हुए विभाग में नौकरी के इच्छुक उम्मीदवारों से रिश्वत लेने का कथित आरोप है। गिरफ्तारी के बाद भी बालाजी DMK सरकार में मंत्री पद पर बरकरार हैं।