चेन्नई की IT कंपनियों का कर्मचारियों को आदेश- पानी नहीं है, घर से काम करो

देश में पानी की किल्लत किस कदर बढ़ती जा रही है, इसका अंदाजा इस बात ये लगाया जा सकता है कि चेन्नई की कई IT कंपनियों ने अपने कर्मचारियों को घर से काम करने को बोला है क्योंकि उनके पास पर्याप्त पानी नहीं है। चेन्नई में पिछले 200 दिन से बारिश नहीं हुई है। मानसून में शहर में पर्याप्त बारिश नहीं होने की पूरी संभावना है और उसे अगले तीन महीनों तक जल संकट का सामना करना पड़ेगा।
'टाइम्स ऑफ इंडिया' की रिपोर्ट के अनुसार, 12 IT कंपनियों के लगभग 5,000 तकनीकी विशेषज्ञों को अपनी पसंद की जगह से काम करने को बोला गया है। इस बीच कंपनियों को टॉरगेट के साथ-साथ यह सुनिश्चित करने में भारी मशक्कत करनी पड़ेगी कि अगले 100 दिन तक जल संकट का सामना कैसे करें। पिछली बार 4 साल पहले निजी टैंकर्स की हड़ताल के दौरान IT कंपनियों ने अपने कर्मचारियों को घर से काम करने को बोला था।
ओल्ड महाबलीपुरम रोड (OMR) इलाके में तारामणी के TIDEL पार्क और सिरुसेरी के SIPCOT IT पार्क के बीच मौजूद IT पार्क्स से 600 IT और ITES कंपनियां काम करती हैं। ये कंपनियां पानी की किल्लत से निपटने के लिए तरह-तरह के इंतजाम कर रही हैं। एक कंपनी ने तो अपने कर्मचारियों को घर से पीने का पानी लाने को कहा है। कंपनियां अपनी 55 प्रतिशत जरूरतों को पूरा करने के लिए संसाधित पानी का इस्तेमाल कर रही हैं।
एक IT कंपनी के एडमिन ने 'TOI' से बातचीत में कहा कि उन्हें नहीं पता कि कंपनी ऐसे कब तक काम कर सकती है। उन्होंने आगे जोड़ा, "हम एक तंग रस्सी पर चल रहे हैं। संपत्ति कर का 30 प्रतिशत हिस्सा पानी और सीवेज में जाता है, लेकिन हमें इसका कोई असर नहीं दिखता।" इस बीच कुछ IT कंपनियों ने जल संरक्षण के पोस्टर भी लगाए हैं और संकट से निपटने के अन्य उपलब्ध तरीकों पर विचार कर रही हैं।
OMR को गर्मियों में रोजाना 3 करोड़ लीटर पानी की आवश्यकता पड़ती है, जिसमें से ज्यादातर बाहर से मंगाया जाता है। इसके 60 प्रतिशत हिस्से का इस्तेमाल IT कंपनियां और अन्य दफ्तर करते हैं।
संकट का सबसे ज्यादा असर SIPCOT IT पार्क पर हुआ है, जिसकी 46 कंपनियों को रोजाना 20 लाख लीटर पानी की आवश्यकता होती है। पहले ये पानी पार्क में स्थित 17 कुंओं से आता था। लेकिन अब केवल 10 लाख लीटर पानी ही कुंओं से प्राप्त हो पाता है, जबकि बाकी का पानी टैंकरों से मंगाया जाता है। OMR की IT कंपनियों के प्रतिनिधि अधिकारियों से भी मदद मांग चुके हैं, लेकिन उन्हें आश्वासन के अलावा और कुछ नहीं मिला।