क्रिप्टोकरेंसी को लेकर बड़ा फैसला, अब मनी लॉन्ड्रिंग कानून के दायरे में आएगा लेनदेन
वित्त मंत्रालय ने कहा है कि अब क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े सभी लेनदेन मनी लॉन्ड्रिंग कानून के प्रावधानों के दायरे में आएंगे। सरकार ने एक अधिसूचना जारी कर कहा कि क्रिप्टो जैसी वर्चुअल संपत्ति के लेनदेन को धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के अंतर्गत लाया गया है। इसका मतलब अब इनका लेनदेन भी PMLA कानून के तहत आएगा। ये कदम सरकार ने वर्चुअल संपत्ति पर निगरानी को सख्त करने के लिए उठाया है।
क्रिप्टोकरेंसी पर नकेल कसने की तैयारी
न्यूज एजेंसी ब्लूमबर्ग के मुताबिक, मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े प्रावधानों को क्रिप्टोकरेंसी के लेनदेन से जुड़ी सभी वित्तीय सेवाओं पर लागू किया गया है। इस कदम को भारत में क्रिप्टोकरेंसी को विनियमित करने की राह में बड़ा कदम माना जा रहा है। बता दें कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले साल कहा था कि दुनिया में क्रिप्टोकरेंसी की स्वीकार्यता तेजी से बढ़ी है और यह बहुत बड़ा मार्केट हो गया है, इसलिए अब इसे विनियमित करने की जरूरत है।
फैसले का आप पर क्या असर होगा?
इस फैसले से सरकार मनी लॉन्ड्रिंग कानून के तहत देश के बाहर भी क्रिप्टोकरेंसी के लेनदेन पर निगरानी रख सकेगी। हालांकि, भारत ने अभी तक क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े कानूनों और नियमों को अंतिम रूप नहीं दिया है।
बजट में क्रिप्टोकरेंसी पर लगाया गया था टैक्स
केंद्र सरकार ने 2022-23 के बजट में क्रिप्टोकरेंसी लेनदेन से होने वाली कमाई पर 30 फीसदी टैक्स लगाने का ऐलान किया था। इसमें 1 फीसदी टैक्स डिडक्शन एट सोर्स (TDS) भी शामिल है। 1 अप्रैल, 2022 से क्रिप्टो की कमाई पर टैक्स का यह प्रावधान लागू भी हो गया है। तब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने साफ-साफ कहा था कि टैक्स लगाने का मतलब ये नहीं है कि क्रिप्टोकरेंसी को कानूनी मान्यता मिल गई है।
RBI भी कर चुका है क्रिप्टो को विनियमित करने की वकालत
G-20 वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंकों के गवर्नरों की बैठक में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा था कि क्रिप्टोकरेंसी को विनियमित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नीतियां बनाने के प्रयास जारी हैं। इसी साल जनवरी में शक्तिकांत दास ने कहा था कि क्रिप्टोकरेंसी जुए के अलावा कुछ नहीं है और इसकी कीमत महज एक छलावा है। दास इससे पहले भी क्रिप्टोकरेंसी पर बैन लगाने की बात कह चुके हैं।
क्या है PMLA अधिनियम?
धन शोधन निवारण अधिनियम को 2005 में लागू किया गया। इसका मुख्य उद्देश्य मनी लॉन्ड्रिंग से लड़ना है। इसके तहत मनी लॉन्ड्रिंग को रोकना, अवैध गतिविधियों और आर्थिक अपराधों में काले धन के उपयोग को रोकना और मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल या उससे प्राप्त संपत्ति को जब्त करना आदि आते हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ED) इसी अधिनियम के तहत कार्यवाही करता है। मनी लॉन्ड्रिंग का दोषी पाए जाने पर कानून में कम से कम 3 साल की सजा का प्रावधान है।