केंद्र सरकार ने पहली बार ICU में भर्ती के नियम बनाए, जानें नई गाइडलाइन
क्या है खबर?
केंद्र सरकार ने पहली बार गहन चिकित्सा इकाई (ICU) में इलाज और मरीजों को भर्ती करने के लिए अस्पतालों को दिशानिर्देश जारी किए हैं। इन दिशानिर्देशों को क्रिटिकल केयर मेडिसिन में विशेषज्ञता वाले 24 शीर्ष डॉक्टरों के एक पैनल ने तैयार किया है।
इसके तहत उन मेडिकल कंडीशन की सूची बनाई है, जिनके तहत किसी मरीज को ICU में रखने की जरूरत होती है।
आइये इस बारे में विस्तार से जानते हैं।
गाइडलाइन
दिशानिर्देशों में क्या-क्या कहा गया है?
रिपोर्ट के मुताबिक, हल्की बेहोशी की हालत, जिसमें रोगी को सांस लेने में मदद की जरूरत हो, सर्जरी के बाद के मामलों में हालत बिगड़ने की आशंका और जटिल सर्जरी वाले मरीजों को ICU में भर्ती करने की सिफारिश की गई है।
दूसरी तरफ ऐसे मरीजों को ICU से बाहर रखने की सिफारिश की गई है, जिनको इसकी खास जरूरत नहीं है या जिनकी हालत में सुधार की कोई खास गुंजाइश नहीं है।
वजह
क्यों बनाए गए दिशानिर्देश?
डॉक्टर आरके मणि वो विशेषज्ञ हैं, जो दिशानिर्देश बनाने वाले पैनल में शामिल हैं।
उन्होंने कहा, "ICU एक सीमित संसाधन है। इन दिशानिर्देशों का मकसद है कि इसका विवेकपूर्ण और न्यायपूर्ण इस्तेमाल हो सके, ताकि जिन लोगों को इसकी सबसे ज्यादा जरूरत है, उन्हें प्राथमिकता मिले। ये इसलिए बनाई गई हैं, ताकि संसाधनों का सही तरीके से इस्तेमाल किया जा सके।"
बता दें कि अस्पतालों के लिए ये दिशानिर्देश बाध्यकारी नहीं हैं और केवल मार्गदर्शन के लिए हैं।
बाध्यकारी
बाध्यकारी नहीं हैं दिशानिर्देश
इंडियन कॉलेज ऑफ क्रिटिकल केयर मेडिसिन के सचिव डॉक्टर सुमित रे ने कहा, "ये सिर्फ सलाह है, बंदिशें नहीं। ICU में मरीज को भर्ती करने और डिस्चार्ज करने के मानदंड व्यापक प्रकृति के हैं, इसलिए इलाज करने वाले डॉक्टर के विवेक पर बहुत कुछ छोड़ दिया गया है। अधिकांश विकसित देशों में मरीजों के परीक्षण के लिए प्रोटोकॉल मौजूद हैं, ताकि संसाधनों का विवेकपूर्ण तरीके से उपयोग किया जा सके।"
प्लस
न्यूजबाइट्स प्लस
देश में ICU बेड की काफी किल्लत है। सेंटर फॉर डिसीज डायनेमिक्स, इकॉनोमिक्स एंड पॉलिसी (CDDEP) के मुताबिक, देश में 95,000 ICU बेड और 48,000 वेंटिलेटर हैं। ये सामान्य हालत में जरूरत के लिहाज से 2.8 गुना कम है।
देश में मौजूदा ICU बेड में से ज्यादातर निजी अस्पतालों और बड़े शहरों में हैं। इस वजह से गरीब और ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।