इशरत जहां 'फर्जी' एनकाउंटर: CBI कोर्ट ने आखिरी तीन आरोपियों को भी किया बरी
क्या है खबर?
केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) की स्पेशल कोर्ट ने बुधवार को इशरत जहां 'फर्जी' एनकाउंटर मामले में आरोपी तीन पुलिस अधिकारियों को बरी कर दिया। इन अधिकारियों ने 20 मार्च को रिहाई की अपील दाखिल की थी और आज कोर्ट ने उनकी रिहाई का आदेश जारी कर दिया।
इसी के साथ मामले में सभी आरोपी रिहा हो गए है और मामला एक तरह से बंद हो गया है। CBI के दोबारा अपील करने पर ही अब मामला खुल सकता है।
रिहाई का कारण
गुजरात सरकार ने नहीं दी थी मुकदमा चलाने की अनुमति
जिन तीन पुलिस अधिकारियों को रिहा किया गया है, उनमें IPS अधिकारी जीएल सिंघल, रिटायर पुलिस अधिकारी तरुण बरोत और अनजु चौधरी शामिल हैं।
गुजरात सरकार ने इन तीनों के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति नहीं दी और इसी आधार पर उन्होंने कोर्ट में रिहाई की अपील दाखिल की थी।
CBI जज वीआर रावल ने आदेश जारी करते हुए कहा, "प्रथमदृष्टया ऐसा कोई सबूत नहीं है जो साबित करता हो कि इशरत जहां और अन्य चार लोग आतंकवादी नहीं थे।"
पृष्ठभूमि
क्या है पूरा मामला?
15 जून, 2004 को 19 वर्षीय कॉलेज छात्रा इशरत जहां समेत चार अन्य को गुजरात के अहमदाबाद में पुलिस एनकाउंटर में मारा गया था।
मरने वालों में इशरत के अलावा जावेद शेख, अमजद अली अकबर अली राणा और जीशान जौहर शामिल थे।
तब अहमदाबाद के डिप्टी पुलिस कमिश्नर रहे वंजारा एनकाउंटर करने वाली पुलिस टीम का नेतृत्व कर रहे थे।
पुलिस का कहना था कि ये चारों तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी पर जानलेवा हमला करने के लिए आ रहे थे।
जानकारी
पुलिस ने सभी को बताया था लश्कर के आतंकी
पुलिस ने इन चारों लोगों को पाकिस्तानी आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी बताया था। जहां राणा और जौहार पाकिस्तानी नागरिक थे, वहीं आपराधिक पृष्ठभूमि वाला शेख, राणा को पहले से जानता था। इन तीनों लश्कर से जुड़े होने की पूरी संभावना है।
जांच
सरकार और हाई कोर्ट की जांच में फर्जी पाया गया था एनकाउंटर
इशरत की मां शमीमा ने अगस्त 2004 में गुजरात हाई कोर्ट में याचिका दायर करते हुए कहा था कि उनकी बेटी को फेक एनकाउंटर में मारा गया है।
हाई कोर्ट ने 13 अगस्त, 2009 को मामले में एक विशेष जांच दल (SIT) की गठन किया।
वहीं, नियमों के तहत गुजरात सरकार ने भी मामले में एक मजिस्ट्रेट जांच बिठाई।
दोनों ही रिपोर्ट में एनकाउंटर को फर्जी बताते हुए गुजरात पुलिस पर सवाल खड़े किए गए थे।
चार्जशीट
CBI ने सात पुलिस अधिकारियों के खिलाफ दायर की थी चार्जशीट
हाई कोर्ट ने 2011 में मामले की जांच CBI को सौंप दी थी और उसे एक नई FIR दर्ज करने को कहा था।
2013 में दाखिल की गई अपनी चार्जशीट में CBI ने सात पुलिस अधिकारियों- पीपी पांडे, वंजारा, एनके अमीन, जेजी परमार, सिंघल, बरोत और चौधरी- को मुख्य आरोपी बनाया था।
इन सभी पर हत्या, अपहरण और सबूत नष्ट करने समेत तमाम धाराओं के तहत आरोप तय किए गए थे।
मामले पर राजनीति
राजनीतिक विवाद का केंद्र है एनकाउंटर
इशरत जहां फर्जी एनकाउंटर का यह मामला राजनीतिक भूचाल का भी केंद्र रहा है। भाजपा कांग्रेस पर मामले के जरिए नरेंद्र मोदी पर कीचड़ उछालने का आरोप लगाती है।
वहीं विरोधी मामले में मोदी और अमित शाह को खींचते हुए आरोप लगाते हैं कि उन्होंने वंजारा जैसे पुलिस अधिकारियों का प्रयोग करते हुए कई फेक एनकाउंटर करवाए।
2002-2006 के बीच गुजरात में ऐसे पांच एनकाउंटर हुए थे जिनके फर्जी होने का आरोप लगता है। वंजारा इन सभी में आरोपी हैं।