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बिहार में नहीं मिलेगा 65 प्रतिशत आरक्षण, सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा हाई कोर्ट का फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा पटना हाई कोर्ट का फैसला

बिहार में नहीं मिलेगा 65 प्रतिशत आरक्षण, सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा हाई कोर्ट का फैसला

Jul 29, 2024
12:28 pm

क्या है खबर?

सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में सरकारी नौकरी और शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश के लिए पिछड़े वर्गों, अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) को 50 की जगह 65 प्रतिशत आरक्षण देने के सरकार के निर्णय को रद्द करने वाले पटना हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है। सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगाने से साफ इनकार कर दिया। ऐसे में अब राज्य में पात्राें को अधिकतम 50 प्रतिशत ही आरक्षण दिया जाएगा।

अुनमति

सुप्रीम कोर्ट ने दी अन्य याचिकाओं पर सुनवाई की अनुमति

मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगाने का इनकार करने के साथ उस फैसले के खिलाफ बिहार सरकार की कम से कम 10 याचिकाओं पर सुनवाई करने पर सहमति भी जताई है। कोर्ट ने याचिकाओं पर नोटिस जारी किए बिना ही अपील की अनुमति दे दी और कहा कि मामले से जुड़ी अन्य सभी याचिकाओं पर सितंबर में सुनवाई की जाएगी।

दलील

बिहार सरकार के वकील ने दिया छत्तीसगढ़ का उदाहरण

बिहार सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील श्याम दीवान ने पटना हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगाने की मांग करने के साथ छत्तीसगढ़ का भी एक उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ के भी एक ऐसे ही मामले में शीर्ष अदालत ने हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगाई थी। इस पर मुख्य न्यायाधीश ने कहा, "हम मामले से जुड़ी सरकारी याचिकाओं को सूचीबद्ध करेंगे, लेकिन हम (उच्च न्यायालय के फैसले पर) कोई रोक नहीं लगाएंगे।"

आरक्षण

बिहार सरकार ने नवंबर 2023 में पारित किया था विधेयक

बता दें कि बिहार सरकार ने 9 नवंबर, 2023 को विधानसभा में एक विधेयक पारित करते हुए आरक्षण की सीमा को 50 से बढ़ाकर 65 प्रतिशत कर दिया था। विधेयक में SC को 16 की जगह 20 प्रतिशत और अनुसूचित जनजाति (ST) को एक की जगह 2 प्रतिशत आरक्षण देने का प्रावधान किया गया था। इसी तरह OBC को 12 की जगह 18 प्रतिशत और EBC को 18 की जगह 25 प्रतिशत आरक्षण देने की बात कही गई थी।

आबादी

आबादी के हिसाब से दिया था आरक्षण

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विधानसभा में पेश किए प्रस्ताव में कुल आबादी में SC का 19.7 प्रतिशत होने पर, उन्हें 20 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने की बात कही थी। प्रस्ताव के अनुसार, ST की जनसंख्या में हिस्सेदारी 1.7 प्रतिशत है, उन्हें 2 प्रतिशत आरक्षण मिलना चाहिए। OBC आबादी का 27 प्रतिशत हैं, इन्हें 12 प्रतिशत आरक्षण मिलता है। EBC 36 प्रतिशत हैं, इन्हें 18 प्रतिशत आरक्षण मिलता है। ऐसे में इन दोनों समुदायों को मिलाकर 43 प्रतिशत आरक्षण मिलना चाहिए।

रोक

पटना हाई कोर्ट ने लगाई थी फैसले पर रोक

बिहार सरकार के इस विधेयक के खिलाफ पटना हाई कोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गई थी। उन पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने 20 जून, 2024 को सरकार के फैसले पर रोक लगा दी थी। कोर्ट ने कहा था कि नवंबर में राज्य विधानमंडल की ओर से सर्वसम्मति से पारित किए गए संशोधन संविधान के खिलाफ हैं और यह समानता के (मूल) अधिकार का हनन करता है। उसके बाद 3 जुलाई को बिहार सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची थी।