मुस्लिम प्रोफेसर की नियुक्ति पर विवाद के बीच वापस खोला गया BHU का संस्कृत विभाग
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के संस्कृत विभाग में मुस्लिम प्रोफेसर फिरोज खान की नियुक्ति पर विवाद के बीच गुरूवार को संस्कृत विभाग को वापस खोल दिया गया। दोपहर 03:30 बजे के आसपास विभाग के सदस्यों की उपस्थिति में संस्कृत विद्या धर्म संकाय की विभागीय इमारत पर लगे तालों को खोला गया। इस दौरान छात्रों से कक्षा में वापस लौटने की मांग की गई, लेकिन उन्होंने ऐसा करने से इनकार करते हुए प्रदर्शन जारी रखने का संकेत दिया।
प्रोफेसर ने कहा- छात्रों को ताला खोले जाने से कोई दिक्कत नहीं
इस मौके पर संस्कृत विभाग में प्रोफेसर चंद्रमौली उपाध्याय ने कहा, "मैं केवल इतना कह सकता हूं कि हमने विभाग को फिर से खोल दिया है। प्रदर्शन कर रहे छात्रों ने हमसे कहा है कि उन्हें ताला खोले जाने से कोई दिक्कत नहीं है।"
क्यों प्रदर्शन कर रहे हैं छात्र?
संस्कृत में PhD फिरोज खान को 5 नवंबर को BHU के संस्कृत विभाग में सहायक प्रोफेसर नियुक्ति किया गया था। इस बीच छात्रों के एक धड़े ने उनकी नियुक्ति के खिलाफ प्रदर्शन करना शुरू कर दिया। प्रदर्शनकारी छात्रों की मांग है कि फिरोज की नियुक्ति रद्द होनी चाहिए क्योंकि वो एक हिंदू नहीं हैं और एक मुस्लिम शिक्षक उन्हें संस्कृत नहीं पढ़ा सकता। अपनी इस मांग को लेकर ये छात्र पिछले दो हफ्ते से प्रदर्शन कर रहे हैं।
प्रोफेसर फिरोज खान के साथ BHU प्रशासन, छात्रों के एक धड़े का समर्थन में प्रदर्शन
इस बीच छात्रों का एक धड़ा फिरोज खान के समर्थन में भी उतर आया है। इन छात्रों ने 'डॉक्टर फिरोज खान हम आपके साथ हैं' के बैनर लेकर विश्वविद्यालय में मार्च किया। BHU प्रशासन भी मुद्दे पर प्रोफेसर खान के साथ खड़ा है। विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर राकेश भटनागर ने छात्रों से प्रदर्शन खत्म करने की मांग करते हुए कहा है कि प्रोफेरस खान की नियुक्ति नियमों के तहत हुई है और इसमें कुछ गलत नहीं है।
BHU चांसलर बोले- महामना जिंदा होते तो नियुक्ति का समर्थन करते
गुरूवार को BHU के चांसलर न्यायाधीश गिरिधर मालवीय ने मामले पर बयान देते हुए कहा, "छात्रों की मांग गलत है। महामना (BHU के संस्थापक मदन मोहन मालवीय) की सोच बहुत बड़ी थी। अगर वो आज जिंदा होते तो वो अवश्य ही नियुक्ति का समर्थन करते।"
हिंदू परंपराएं और संस्कृत सीखते हुए गुजरा है फिरोज खान का बचपन
जयपुर के बगरू के रहने वाले प्रोफेसर फिरोज खान ने पांचवीं कक्षा से ही संस्कृत पढ़ना शुरू कर दिया था। इसके बाद उन्होंने जयपुर के राष्ट्रीय संस्कृत शिक्षा संस्थान से संस्कृत में ही MA और PhD की। फिरोज के पिता रमजान खान ने संस्कृत में शास्त्री योग्यता हासिल की हुई है और वो मंदिरों में भक्ति गीत गाने के साथ-साथ गायों की सेवा भी करते हैं। इस कारण फिरोज का बचपन हिंदू परंपराओं और संस्कृत को सीखते हुए गुजरा है।
प्रदर्शनों के बीच अपने घर वापस लौटे फिरोज खान
अपने खिलाफ हो रहे इन प्रदर्शनों के बीच फिरोज खान बुधवार को वापस अपने गृहनगर जयपुर लौट गए। पूरे विवाद पर फिरोज का कहना है, "मैंने अपनी पूरी जिंदगी संस्कृत सीखी है और मुझे कभी यह अहसास नहीं हुआ कि मैं मुसलमान हूं। लेेकिन अब जब मैं पढ़ाना चाहता हूं तो यही सबसे बड़ा मुद्दा बन गया।" उन्होंने उम्मीद जताई है कि प्रदर्शन जल्द खत्म होंगे और छात्र कक्षाओं में वापस लौटेंगे।