अमेरिका में 2-18 साल के बच्चों पर कोवैक्सिन के इस्तेमाल के लिए आवेदन
क्या है खबर?
अमेरिका में 2 से 18 साल तक के बच्चों पर भारत बायोटेक की कोरोना वायरस 'कोवैक्सिन' के आपातकालीन इस्तेमाल के लिए आवेदन किया गया है। भारत बायोटेक की सहयोगी ऑक्यूजेन इंक ने ये आवेदन किया है।
अभी तक अमेरिका में केवल फाइजर की कोरोना वैक्सीन का ही 18 साल से कम उम्र के बच्चों पर इस्तेमाल हो रहा है। मॉडर्ना ने भी बच्चों पर इस्तेमाल की मंजूरी के लिए आवेदन किया हुआ है, हालांकि उसे अभी मंजूरी नहीं मिली है।
आवेदन
भारत में किए गए ट्रायल के आधार पर किया गया आवेदन
ऑक्यूजेन ने अपने बयान में कहा कि भारत में 2 से 18 साल की उम्र के 526 बच्चों पर किए गए कोवैक्सिन के दूसरे और तीसरे चरण के ट्रायल के नतीजों के आधार पर उसने ये आवेदन किया है।
मार्च से जुलाई के बीच हुए इस ट्रायल में तीन समहूों- 2-6 साल, 6-12 साल और 12-18 साल- में वैक्सीन का प्रभाव जांचा गया था। इस ट्रायल में वैक्सीन को पूरी तरह से सुरक्षित और प्रभावी पाया गया था।
बयान
ऑक्यूजेन के संस्थापक ने कहा- महामारी के खिलाफ लड़ाई में एक महत्वपूर्ण कदम
ऑक्यूजेन के सह-संस्थापक शंकर मुसुनरी ने मामले पर बयान जारी करते हुए कहा, "अमेरिका में बच्चों पर आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी के लिए आवेदन यहां हमारी वैक्सीन को उपलब्ध कराने और कोविड-19 महामारी के खिलाफ लड़ाई में मदद करने की तरफ एक महत्वपूर्ण कदम है।"
उन्होंने कहा कि अगर मंजूरी मिली तो कोवैक्सिन अपने बच्चों का वैक्सीनेशन कराने की सोच रहे पेरेंट्स के लिए एक और विकल्प प्रदान करेगी।
हालांकि कंपनी द्वारा प्रदान किया गया डाटा कम पड़ सकता है।
बड़ी सफलता
कोवैक्सिन को बुधवार को मिली थी WHO से मंजूरी
बता दें कि कोवैक्सिन को बुधवार को ही विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) से आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी मिली है। WHO ने तकनीकी सलाहकार समूह (TAG) की सिफारिश के आधार पर ये मंजूरी दी है।
इस मंजूरी के साथ ही दुनियाभर के तमाम देशों में कोवैक्सिन के इस्तेमाल और इसे लगवा चुके लोगों की यात्रा का रास्ता खुल गया है। अभी तक कुल 17 देश कोवैक्सिन को अपने यहां मंजूरी दे चुके हैं।
पृष्ठभूमि
भारत बायोटेक ने ICMR के साथ मिलकर तैयार की है कोवैक्सिन
बता दें कि भारत बायोटेक ने भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के साथ मिलकर कोवैक्सिन को विकसित किया है और यह पूरी तरह से स्वदेशी वैक्सीन है।
इसे कोरोना वायरस को ही निष्क्रिय करके विकसित किया गया है। इसके लिए ICMR ने भारत बायोटेक को जिंदा वायरस प्रदान किया था, जिसे निष्क्रिय करके कंपनी ने वैक्सीन विकसित की।
भारत के अलावा अन्य कुछ देशों में भी इसका इस्तेमाल हुआ है।
वयस्कों पर ट्रायल
गंभीर लक्षणों के खिलाफ 93.4 प्रतिशत प्रभावी पाई गई थी कोवैक्सिन
कोवैक्सिन को वयस्कों पर किए गए ट्रायल में कोविड के गंभीर लक्षणों के खिलाफ 93.4 प्रतिशत, हल्के और मध्यम लक्षणों के खिलाफ 78 प्रतिशत, डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ 65 प्रतिशत और बिना लक्षणों वाले कोविड के खिलाफ 63 प्रतिशत प्रभावी पाया गया था।
भारत बायोटेक ने देशभर के 25 अस्पतालों में 18-98 साल के 25,800 वॉलेंटियर्स पर वैक्सीन का तीसरे चरण का ट्रायल किया था। ये नतीजे 3 जुलाई को जारी किए गए थे।