शेख हसीना का राजनयिक पासपोर्ट रद्द, जानिए क्या होगा इसका उनके भारत में रहने पर असर
क्या है खबर?
बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की परेशानियां बढ़ती जा रही हैं।
तख्तापलट के बाद बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने हसीना समेत पूर्व कैबिनेट मंत्रियों, सलाहकारों और सांसदों का राजनयिक पासपोर्ट रद्द कर दिया है।
हसीना ने बीते कई दिनों से भारत में शरण ली हुई हैं, लेकिन इस कदम के बाद वे अब और ज्यादा दिन यहां नहीं रह सकेंगी।
आइए जानते हैं कि क्या हसीना को बांग्लादेश लौटना होगा।
दिन
भारत में केवल 26 दिन और रह सकती हैं हसीना?
भारत की वीजा नीति के मुताबिक, किसी बांग्लादेशी नागरिक के पास राजनयिक या आधिकारिक पासपोर्ट है तो वह बगैर वीजा के भारत में अधिकतम 45 दिन तक रुक सकता है।
हसीना का राजनयिक पासपोर्ट रद्द हो चुका है और उनके पास कोई दूसरा पासपोर्ट भी नहीं है।
आज यानी 24 अगस्त तक हसीना को भारत आए हुए 19 दिन हो गए हैं। ऐसे में नियमों के हिसाब से उनके पास 25 दिन और बचे हैं।
प्रत्यर्पण संधि
क्या भारत-बांग्लादेश के बीच प्रत्यर्पण संधि है?
भारत और बांग्लादेश के बीच 2013 में हसीना के कार्यकाल में ही प्रत्यर्पण संधि हुई थी।
इसके तहत दोनों देश ऐसे व्यक्तियों का प्रत्यर्पण करेंगे, जिनके खिलाफ अदालत में मुकदमा लंबित है या वो किसी आरोप का सामना कर रहे हैं या किसी अपराध में दोषी पाए गए हैं।
संबंधित शख्स का अपराध कम से कम 1 साल सजा के प्रावधान वाला होना चाहिए। संधि के दायरे में वित्तीय अपराध भी आते हैं।
प्रत्यर्पण
बांग्लादेश प्रत्यर्पित की जाएंगी हसीना?
संधि के मुताबिक, अगर किसी शख्स के पर राजनीतिक प्रकृति के आरोप हों तो प्रत्यर्पण अपील खारिज की जा सकती है। इस आधार पर भारत हसीना की प्रत्यर्पण अपील खारिज कर सकता है।
हालांकि, हसीना के खिलाफ हत्या समेत 51 आपराधिक मामले दर्ज किए गए हैं। ऐसे में भारत आरोपों को राजनीतिक बताकर अपील खारिज नहीं कर सकता।
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के कई नेताओं ने भारत से हसीना को वापस भेजने की अपील भी की है।
तख्तापलट
बांग्लादेश में आरक्षण विरोधी हिंसा के बाद हुआ तख्तापलट
बांग्लादेश में सरकारी नौकरी में मिलने वाले आरक्षण को लेकर जून से लगातार प्रदर्शन हो रहे थे।
5 अगस्त की शाम प्रदर्शनों के हिंसक होने के बाद हसीना प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद कुछ अधिकारियों और अपनी बहन के साथ भारत आ गई थीं।
हिंसा में 500 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है।
इसके बाद सेना ने अंतरिम सरकार बनाकर नोबल पुरस्कार विजेता मुहम्मद युनूस को इसका प्रमुख सलाहकार बनाया है।