थानागाजी गैंगरेप मामला: चार दोषियों को उम्रकैद, वीडियो वायरल करने वाले को पांच साल की सजा
राजस्थान के अलवर के थानागाजी में पिछले साल 19 वर्षीय दलित महिला से हुए गैंगरेप के मामले में विशेष अदालत ने मंगलवार को अपना फैसला सुना दिया है। अदालत ने पांच दोषियों में चार को उम्रकैद और एक को पांच साल की सजा सुनाई है। इस बहुचर्चित मामले में अनुसूचित जाति और जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत संचालित न्यायाधीश बृजेश कुमार की विशेष अदालत में सुनवाई हुई थी और इसने लंबी सुनवाई के बाद आरोपियों को दोषी ठहराया है।
आरोपियों ने दंपत्ति को बंधक बनाकर पति के सामने किया था गैंगरेप
बता दें 2 मई, 2019 को पीड़िता अपने पति के साथ बाइक पर अलवर से थानागाजी आ रही थी। थानागाजी से कुछ दूर पहले आरोपियों ने उन्हें रोक लिया था और बंधक बनाकर सुनसान जगह पर ले गए थे। उसके बाद आरोपियों ने पति के सामने ही पीड़िता से गैंगरेप किया था और घटना का वीडियो बनाकर उसे सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया था। मामले में पीड़िता ने उसी दिन थानागाजी थाने में गैंगरेप का मामला दर्ज कराया था।
पुलिस ने पांच आरोपियों के खिलाफ पेश किया था चालान
इस मामले की जांच करते हुए पुलिस ने एक किशोर सहित छह आरोपियों को गिरफ्तार किया था। इनमें से किशोर के खिलाफ किशोर न्याय बोर्ड में सुनवाई चल रही है। पुलिस ने चार्जशीट में बताया कि घटना में एक किशोर सहित पांच आरोपियों ने महिला से दुष्कर्म किया था, जबकि एक अन्य आरोपी ने पूरी घटना का वीडियो बनाकर वायरल किया था। रेप के दोषियों को उम्रकैद और वीडियो वायरल करने वाले को पांच साल की सजा हुई है।
पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ इन धाराओं में पेश किया था चालान
पुलिस ने मामले में आरोपी अशोक गुर्जर (20), इंद्राज गुर्जर (22), हंसराज गुर्जर (20), छोटेलाल (22) और एक किशोर के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 147, 149, 323, 341, 354B, 376d, 506, 342, 386, 384, 395,327,365 और SC-ST एक्ट की विभिन्न धाराओं के अलावा IT एक्ट में चालान पेश किया था। आरोपी हंसराज के खिलाफ 376 (2)N की अतिरिक्त धारा और आरोपी मुकेश के खिलाफ IT एक्ट 67, 67A 4/6 के तहत चालान पेश किया था।
मामले को लेकर जमकर हुआ था विरोध
इस मामले में पुलिस की ओर से त्वरित कार्रवाई नहीं करने को लेकर जमकर हंगामा और विरोध प्रदर्शन हुए थे। उसको देखते हुए सरकार ने तत्कालीन पुलिस अधीक्षक राजेश पचार, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक, पुलिस पाधीक्षक और तत्कालीन थानागाजी थानाप्रभारी सरदार सिंह सहित अन्य स्टाफ को हटा दिया था। उसके बाद नए थानाप्रभारी ने मामले में चालान पेश करते हुए आगे की कार्रवाई की थी। इसमें लंबी सुनवाई के बाद कोर्ट ने आरोपियों दोषी मान लिया।