
वायुसेना के बाद नौसेना और तटरक्षक बल को जल्द मिलेंगे C-295 विमान, जानें खासियत
क्या है खबर?
भारत अपनी सेनाओं की ताकत बढ़ाने में जुटा हुआ है। इसी कड़ी में एयरबस C-295 ट्रांसपोर्ट विमानों को नौसेना और तटरक्षक बलों में शामिल किया जाएगा। इसकी प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। विमानों के नौसैनिक संस्करण के लिए 13 मार्च को रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल जारी किया गया था, जिसे रक्षा अधिग्रहण परिषद ने 15 मार्च को मंजूरी दे दी है। इसके तहत कुल 15 C-295MW खरीदे जाएंगे, जिनमें से 9 नौसेना और 6 तटरक्षक बल के लिए होंगे।
समझौता
भारत ने स्पेन के साथ किया है समझौता
भारत ने 2021 में 56 C-295 विमान खरीदने के लिए स्पेन के साथ समझौता किया था। समझौते के अनुसार, 16 विमान स्पेन में निर्मित होकर भारत को सौंपे जाएंगे और बाकी 40 विमान भारत में बनाए जा रहे हैं। इसके लिए एयरबस ने टाटा के साथ समझौता किया है। इनका निर्माण गुजरात के वडोदरा में किया जा रहा है। अब तक वायु सेना को 15 C-295 विमान मिल चुके हैं। पहला भारत निर्मित C-295 अगले साल मिलने की उम्मीद है।
खासियत
क्या है विमानों की खासियत?
ये विमान 5-10 टन तक सामग्री अपने साथ ले जा सकता है। इसमें 70 सैनिक या 50 पैराट्रूपर पूरी युद्धक सामग्री के साथ ले जाए जा सकते हैं। सबसे खास बात है कि ये महज 670 मीटर लंबे रनवे से टेकऑफ और 320 मीटर लंबे रनवे पर लैंडिंग कर सकता है। इस वजह से ये चीन से सटी सीमा पर तैनाती के लिए अहम है। ये 480 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से 11 घंटे तक उड़ान भर सकता है।
ईंधन
दूसरे विमानों में हवा में ईंधन भर सकता है C-295
C-295 ने 28 नवंबर, 1997 को पहली उड़ान भरी थी। इसमें 2 प्रैट एंड व्हिटनी टर्बोप्रॉप इंजन हैं। इसके जरिए हवा में ही फिक्स्ड विंग वाले एयरक्राफ्ट और हेलीकॉप्टर में ईंधन भरा जा सकता है। आटो रिवर्स क्षमता के चलते यह 12 मीटर चौड़े रनवे पर 180 डिग्री तक मुड़ सकता है। दुनिया के 37 देश इन विमानों का इस्तेमाल करते हैं। 13 सितंबर, 2023 को वायुसेना को पहला C-295 मिला था।
पुराने विमान
वायुसेना के पास कितने ट्रांसपोर्ट विमान?
भारतीय वायुसेना अपने पुराने विमानों को चरणबद्ध तरीके से हटाकर उनकी जगह नए विमान तैनात कर रही हैं। फिलहाल वायुसेना के पास AN-32, IL-76, C-17 ग्लोबमास्टर और C-130J सुपर हरक्यूलिस ट्रांसपोर्ट विमान हैं। इनमें से AN-32 को 2032 के बाद से वायुसेना से हटाया जाएगा। इनकी जगह लेने के लिए वायुसेना ने RFI पहले ही जारी कर दिया है। C-17 ग्लोबमास्टर और C-130J सुपर हरक्यूलिस कई सालों तक सेवा में बने रहेंगे।