क्या कोरोना महामारी खत्म होने के बाद भी AC कोच यात्रियों को नहीं मिलेंगे कंबल, बेडशीट?
क्या है खबर?
कोरोना वायरस महामारी ने कई चीजों में बदलाव ला दिया है। इनमें हाथ नहीं मिलाना और मास्क लगाना प्रमुख है।
इसी तरह भारतीय रेलवे ने संक्रमण से बचने के लिए AC कोच यात्रियों को कंबल, बेडशीट और तकिया देना बंद कर दिया, लेकिन अब ऐसा कहा जा रहा है कि कोरोना महामारी के बाद भी रेलवे इस सुविधा को हमेशा के लिए बंद करने की तैयारी कर रहा है।
हालांकि, इस पर अभी औपचारिक निर्णय नहीं लिया गया है।
चर्चा
रेलवे बोर्ड और मंडल अधिकारियों की बैठक में हुई चर्चा
इस मामले को लेकर हाल ही में हुई रेलवे बोर्ड और मंडलों के शीर्ष अधिकारियों की उच्च स्तरीय वीडियो कॉन्फ्रेंस में चर्चा की गई है।
वीडियो कॉन्फ्रेंस में शामिल हुए तीन शीर्ष अधिकारियों ने इंडियन एक्स्रपेस से इसकी पुष्टि की है।
रेल मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सुरक्षा के लिहाज से रेलवे ट्रेनों के AC कोच में यात्रियों को कंबल, बेडशीट, तौलियां और तकिया सुविधा को हमेशा के लिए बंद करने पर विचार कर रहा है।
स्थिति
वर्तमान में प्रचलन में हैं 18 लाख लिनन सेट
रेलवे सत्रों ने बताया कि देशभर में बिल्ड ऑपरेट ओन ट्रांसफर मॉडल के तहत लिनेन को धोने के लिए स्थापित मैकेनाइज्ड मेगा लॉन्ड्री पर निर्णय के लिए एक समिति बनाई जा रही है।
रेलवे का अनुमान है कि प्रत्येक लिनेन सेट को धोने के लिए 40-50 रुपये का खर्च आता है।
वर्तमानम में करीब 18 लाख लाख लिनेन सेट चलन में हैं। रेलवे में एक कंबल 48 महीने सेवा में रहता है और महीने में एक बार धोया जाता है।
शिकायत
शिकायतों का कारण रहे हैं कंबल और बेडशीट
ट्रेनों में काम आने वाले लिनन सेट, विशेष रूप से कंबल और बेडशीट यात्रियों की शिकायत और संसद के सवालों का कारण रही है। ऐसे में इन्हें बंद करने का विचार किया जा रहा है।
यही कारण है कि अभी फिलहाल कोई नया लिनेन आइटम नहीं खरीदा जा रहा है। इसके अलावा पिछले कुछ महीनों में लगभग 20 रेलवे डिवीजनों ने निजी वेंडरों को सस्ते दामों पर स्टेशनों पर डिस्पोजेबल कंबल, तकिए और चादरें बेचने का ठेका दिया है।
दुकान
देशभर में 50 वेंडरों ने स्टेशनों पर खोली दुकानें
रेलवे सूत्रों के अनुसार पूर्व मध्य रेलवे के दानापुर डिवीजन में पांच ऐसे वेंडर हैं, जो रेलवे को प्रति वर्ष लगभग 30 लाख रुपये का भुगतान करते हैं। पूरे भारत में लगभग 50 ऐसे वेंडरों ने रेलवे स्टेशनों में दुकान खोली हैं।
अधिकारियों ने कहा कि खर्च के बजाय यह विकल्प लिनेन प्रबंधन को किराया से इतर राजस्व कमाने के अवसर में बदल देता है। तापमान नियंत्रण के साथ कंबल की आवश्यकता को समाप्त भी किया जा सकता है।
जानकारी
अभी नहीं किया गया है कोई निर्णय
रेल मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि अभी कोई निर्णय नहीं लिया गया है। मौजूदा समय में भी कोरोना महामारी के कारण लिनेन सेट नहीं दिए जा रहे हैं। जब स्थिति सामान्य हो जाएगी तो इन सभी निर्णयों को समीक्षा के लिए रखा जाएगा।