एशिया की सबसे वजनी महिला ने चार साल में घटाया 214 किलो वजन, जानें कैसे
मोटापा कई बीमारियों का घर माना जाता है। अक्सर लोग वजन कम करने के लिए कई तरीके अपनाते हैं। ज़्यादातर लोग 10-20 किलो वजन कम करते हैं, लेकिन इस महिला ने कमाल ही कर दिया। दरअसल कभी एशिया की सबसे वजनी महिला के रूप में जानी जाने वाली महाराष्ट्र के पालघर के वसई की रहने वाली 42 वर्षीय अमृता रजनी ने चार साल के अंदर जो कारनामा कर दिखाया है, वह वाक़ई तारीफ़ के काबिल है।
300 किलो से भी ज़्यादा था अमृता का वजन
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि अमृता के डॉक्टर शशांक शाह ने बुधवार को इसकी घोषणा की। उन्होंने बताया कि अमृता का वजन 300 किलो से भी ज़्यादा था और वो कई बीमारियों से ग्रसित थीं।
जन्म के समय सामान्य बच्चों की तरह था वजन
बता दें कि अमृता जन्म से ही ऐसी नहीं थी। जब उनका जन्म हुआ था, तो उनका वजन सामान्य बच्चों की तरह तीन किलो ही था। जैसे ही उनकी उम्र छह साल हुई, अचानक से उनका वजन तेज़ी से बढ़ने लगा और 16 साल की उम्र में अमृता का वजन 126 किलो हो गया। अमृता के बढ़ते वजन की वजह से उसके घर वाले परेशान हो गए और उन्होंने देश और दुनिया के कई डॉक्टरों से संपर्क भी किया।
डॉक्टर ने बदल दी अमृता की दुनिया
अमृता के ऊपर इलाज का कोई असर नहीं हुआ। वजन बढ़ने की वजह से उन्हें धीरे-धीरे अपना काम करने में भी दिक्कत होने लगी। अमृता के अनुसार, शर्म की वजह से उन्होंने घर से निकलना भी बंद कर दिया। उनके जीवन में उस समय बदलाव आया, जब उनकी मुलाकात बांद्रा स्थित लिलावती अस्पताल में लैपराओबेस सेंटर के संस्थापक शशांक से हुई। अमृता ने बताया कि, डॉक्टर शशांक से उनकी मदद की और उनकी पूरी दुनिया ही बदल दी।
मोटापे की वजह से साँस लेने में होती थी दिक्कत
आज अमृता अपने मोटापे से आज़ाद हैं और सामान्य व्यक्ति की तरह अपने सभी काम ख़ुद ही करती हैं। वह ख़ुद से चलती हैं और अपने कपड़े भी ख़ुद से पहनती हैं। अमृता की माँ ममता रजनी ने बताया कि 300 किलो से ज़्यादा वजन होने की वजह से वह बिना घर वालों के कुछ भी नहीं कर पाती थी। उसे साँस लेने में भी दिक्कत होती थी, जिसकी वजह से उसे ऑक्सीजन का सहारा लेना पड़ता था।
सर्जरी के बाद कम हुआ अमृता का वजन
वहीं, डॉक्टर शशांक का कहना है कि अमृता पहली बार उनके पास 2015 में आई थीं। कई जाँच के बाद उन्होंने अमृता की सर्जरी करने का फ़ैसला किया। अमृता को अस्पताल ले जाने के लिए एम्बुलेंस में सोफ़ा लगाना पड़ा था। केवल यही नहीं अस्पताल में उनके लिए ख़ास बेड का भी इंतज़ाम करना पड़ा था। 2015 और 2017 में उनकी दो सर्जरी हुई। सर्जरी के बाद उनका वजन कम हुआ और अब अमृता का वजन 86 किलो है।
देश का हर तीसरा व्यक्ति है वजन बढ़ने से परेशान
डॉक्टर शशांक ने कहा कि अब अमृता का नाम लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज कराने की प्रक्रिया भी चल रही है। डॉक्टर ने बताया कि बदलते पर्यावरण के प्रभाव की वजह से लोगों का वजन तेज़ी से बढ़ रहा है। पहले देश में जहाँ हर पाँचवें व्यक्ति को वजन बढ़ने की समस्या थी, लेकिन आज के समय में वह तीसरे पर आ गई है। यानी देश का हर तीसरा व्यक्ति बढ़ते वजन से परेशान है।