राफेल डील के बाद फ्रांस ने अनिल अंबानी का 1,120 करोड़ का टैक्स माफ किया- रिपोर्ट
भारत और फ्रांस के बीच हुई राफेल डील में रोजाना नए खुलासे सामने आ रहे हैं। इस मामले में शनिवार को नया मोड़ आया। फ्रांस के अखबार Le Monde की रिपोर्ट के मुताबिक, राफेल डील होने के बाद फ्रांस सरकार ने अपने यहां चल रही अनिल अंबानी की टेलीकॉम कंपनी का 143.7 मिलियन यूरो (लगभग 1,119 करोड़ रुपये) का टैक्स माफ कर दिया। यह कदम प्रधानमंत्री मोदी द्वारा राफेल डील की घोषणा के कुछ महीनों बाद उठाया गया।
कंपनी पर पाई गई 151 मिलियन यूरो की देनदारी
अखबार के मुताबिक, टैक्स एजेंसियों ने अंबानी की कंपनी रिलायंस एटलांटिक फ्लैग फ्रांस की जांच की थी। इस दौरान एजेंसियों को कंपनी पर 2007-10 के बीच की 60 मिलियन यूरो (लगभग 470 करोड़ रुपये) की टैक्स देनदारी पाई गई। इसके बाद कंपनी ने सेटलमेंट के तौर पर 7.6 मिलियन यूरो (लगभग 57 करोड़) चुकाने की पेशकश की, जिसे एजेंसियों से ठुकरा दिया। इसके बाद एजेंसियों ने दोबारा जांच की और 2010-12 के दौरान 91 मिलियन यूरो की देनदारी पाई गई।
रिपोर्ट करने वाले पत्रकार के ट्वीट
राफेल डील के बाद टैक्स माफ
अप्रैल, 2015 में प्रधानमंत्री मोदी ने 36 राफेल विमान खरीदने की घोषणा की। तब तक अंबानी की कंपनी पर कुल 151 मिलियन यूरो का टैक्स बकाया था। डील के छह महीने बाद टैक्स एजेंसियों ने कंपनी से 57 करोड़ रुपये का सेटलमेंट स्वीकार कर लिया।
रिलायंस ने इन आरोपों पर क्या कहा?
अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस ने इस खबर का खंडन किया है। कंपनी ने कहा कि रिलायंस एटलांटिक फ्लैग फ्रांस, रिलायंस कम्यूनिकेशन की सहायक कंपनी है और टैक्स का यह मामला 10 साल पुराना है। रिलायंस ने कहा कि रिलायंस फ्लैग ने टैक्स से जुड़े सारे विवाद फ्रांस के कानूनी दायरे में निपटाए हैं, जो फ्रांस की हर कंपनी के लिए मौजूद हैं। इसमें किसी तरह का पक्षपात नहीं किया गया है और न ही गलत लाभ उठाया गया है।
भारत सरकार को लगा था सुप्रीम कोर्ट से झटका
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को राफेल सौदे में उसके फैसले पर पुनर्विचार यायिका दायर करने के लिए इस्तेमाल हुए दस्तावेजों पर केंद्र सरकार की आपत्तियों को खारिज कर दिया। सरकार को झटका देते हुए कोर्ट ने नए दस्तावेजों के आधार पर सुनवाई करने का फैसला किया है। इससे पहले सरकार ने कोर्ट से कहा था कि जिन दस्तावेजों के आधार पर पुनर्विचार याचिका दाखिल की गई है, वह देश की सुरक्षा से जुड़े हैं और उन्हें चोरी किया गया है।
सरकारी कंपनी HAL को हटाकर अनिल अंबानी की कंपनी को किया गया शामिल
राफेल सौदे में सरकारी कंपनी हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) को हटाकर अनिल अंबानी की रिलायंस डिफेंस को शामिल किया गया था। UPA सरकार के समय हुए 108 विमानों के सौदे में HAL दसॉ की सहयोगी कंपनी थी। मोदी सरकार ने इस सौदे को रद्द कर दिया और 36 विमानों की खरीद का नया सौदा किया जिसमें HAL की जगह रिलायंस डिफेंस शामिल है। विरोधी अनिल की कंपनी को समझौते में शामिल करने के लिए मोदी पर सवाल उठाते रहे हैं।