वॉयस एक्टिंग क्या है? जानिए इसके बारे में जरूरी बातें
बॉलीवुड से लेकर हॉलीवुड तक, आमतौर पर फिल्मों में हीरो-हीरोइन ही सारी महफिल लूट लेते हैं, लेकिन किसी भी फिल्म को बनाने में सैकड़ों कलाकारों का खून-पसीना लगा होता है। फिल्म निर्देशक, प्रोड्यूसर और लाइट-मैन से लेकर कैमरा-मैन तक की भूमिकाओं को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। फिल्मों की दुनिया में वॉयस एक्टिंग भी एक विधा है, जिसके कई पहलू हैं। आइए आपको बताते हैं कि वॉयस एक्टिंग क्या है और सिनेमा में इसका क्या योगदान है।
वॉयस एक्टिंग क्या है?
वॉयस एक्टिंग को किसी एक शब्द में परिभाषित नहीं किया जा सकता। यह एक ऐसी कला है, जिसके जरिए किसी कैरेक्टर को जीवंत बनाया जा सकता है। आवाजों की नकल निकालना और पर्दे पर संवादों को आवाज देना वॉयस एक्टर का काम होता है। वॉयस एक्टर्स को अलग-अलग नामों से जाना जाता है। ऐसे कलाकारों को वॉयस आर्टिस्ट, वॉयस टैलेंट, वॉयस-ओवर आर्टिस्ट या वॉयस-ओवर टैलेंट कहकर बुलाया जाता है।
फिल्मों की डबिंग में होता है वॉयस एक्टर्स का इस्तेमाल
आजकल फिल्में पैन इंडिया लेवल पर कई भाषाओं में रिलीज की जाती हैं, इसलिए वॉयस एक्टर्स की मांग बढ़ गई है। वॉयस एक्टर्स फिल्म को कई क्षेत्रीय भाषाओं में डब करते हैं। कई कलाकारों ने डबिंग करके अपनी अलग पहचान भी बनाई है। श्रेयस तलपड़े ने अल्लू अर्जुन की 'पुष्पा' को हिंदी में डब किया था। अमिताभ बच्चन 'राधे श्याम' में प्रभास की आवाज बने थे, वहीं शरद केलकर ने 'बाहुबली' में प्रभास के लिए अपनी आवाज दी थी।
कितना बड़ा है वॉयस एक्टिंग का दायरा?
वॉयस एक्टिंग का दायरा बहुत ही विस्तृत है। आज के दौर में रेडियो, टेलीविजन उत्पादन, फिल्म निर्माण, थिएटर और प्रेजेंटेशन जैसे हर जगह में वॉयस एक्टिंग का इस्तेमाल हो रहा है। गेमिंग, वीडियो, कार्टून और विज्ञापनों आदि में धड़ल्ले से इसका उपयोग किया जा रहा है। मेट्रो रेल की घोषणाएं हों, विज्ञापन अभियान हो या फिर फोन पर दिशा-निर्देश देने वाली आवाज, हर जगह इसका स्कोप है। ऑडियोबुक्स के बढ़ते चलन ने इसका महत्व और बढ़ा दिया है।
वॉयस एक्टर्स में क्या-क्या गुण होने चाहिए?
एक वॉयस एक्टर बनने के लिए आपको कई मापदंडों से गुजरना पड़ेगा। इसके लिए आपकी आवाज आकर्षक होनी चाहिए। आप जो संवाद कह रहे हैं, उसमें स्पष्टता औॅर निरंतरता होनी चाहिए। डायलॉग डिलीवरी के दौरान आत्मविश्वास झलकना चाहिए। जरूरत पड़ने पर टोन में बदलाव भी जरूरी है। अच्छा कम्युनिकेशन स्किल भी इसका एक महत्वपूर्ण गुण है। एक बेहतर वॉयस एक्टर उसे ही कहा जाएगा, जो लोगों को अपनी ओर खींचने में कामयाब हो जाए।
पहला वॉयस-ओवर कब किया गया था रिकॉर्ड?
कनाडाई आविष्कारक रेगिनाल्ड फेसेंडेन को दुनिया का पहला वॉयस-ओवर रिकॉर्ड करने का श्रेय दिया जाता है। वह टेलीफोन के आविष्कार से इतने प्रभावित थे कि वे वायरलेस तरीके से संचार स्थापित करने का एक तरीका विकसित करना चाहते थे। उन्होंने 1900 में अपना पहला सफल वॉयस-ओवर रिकॉर्ड किया था। एनिमिनेशन में पहला सिंक्रोनाइज्ड वॉयस-ओवर विकसित करने का रिकॉर्ड अमेरिकी एनिमेशन फिल्म प्रोड्यूसर वॉल्ट डिज्नी के नाम है।
इन अंतरराष्ट्रीय कलाकारों ने वॉयस एक्टर्स के तौर पर किया काम
कई अंतरराष्ट्रीय कलाकारों ने अपने प्रोजेक्ट्स और कार्टूनों में आवाज दी है। अमेरिकी वॉयस-ओवर कलाकार ट्रेस मैकनील ने टीवी सीरीज 'माइटी मैक्स', फिल्म 'द लैंड बिफोर टाइम' और 'सुपरमैन' जैसे प्रोजेक्ट्स में अपनी आवाज का जादू बिखेरा है। अमेरिका के वॉयस-ओवर एक्टर जिम कमिंग्स को भी इस क्षेत्र में महारथ हासिल है। उन्होंने अब तक 400 से अधिक फिल्मों में काम किया है। 'विनी द पूह' और 'द टाइगर मूवी' को उन्होंने अपनी आवाज से संवारा है।
लोकप्रिय भारतीय वॉयस-ओवर कलाकारों पर एक नजर
भारत में कई कलाकारों ने फिल्मों, कार्टून और विज्ञापनों में अपनी आवाज देकर शोहरत हासिल की है। ऋचा निगम ने सर्फ एक्सेल के विज्ञापन में काम किया है। इसका विज्ञापन का टैगलाइन 'दाग अच्छे है' काफी लोकप्रिय हुआ था। 'बिग बॉस' की आवाज जाने-माने कलाकार अतुल कपूर हैं। मेट्रो में होने वाली अनाउंसमेंट में जो पुरुष की आवाज आपको सुनाई देती है, उसे शम्मी नारंग ने दिया है। बता दें कि शम्मी दूरदर्शन के जाने-माने एंकर रह चुके हैं।
'काबिल' में वॉयस-ओवर आर्टिस्ट बने थे ऋतिक रोशन
2017 में आई एक्शन थ्रिलर फिल्म 'काबिल' में ऋतिक रोशन वॉयस-ओवर आर्टिस्ट बने थे। इसमें उन्होंने एक अंधे व्यक्ति की भूमिका निभाई थी। इसमें उनके कैरेक्टर का नाम रोहन भटनागर था।