'तूफान' रिव्यू: अज्जू की भाईगिरी से अजीज की बॉक्सिंग तक, बेमिसाल है फरहान का हर पंच
काफी समय से फरहान अख्तर की फिल्म 'तूफान' का इंतजार था, जो अब आखिरकार खत्म हो गया है। अमेजन प्राइम वीडियो पर 16 जुलाई को यह स्पोर्ट्स ड्रामा फिल्म रिलीज हो गई है। राकेश ओमप्रकाश के निर्देशन में बनी इस फिल्म में मृणाल ठाकुर, परेश रावल, हुसैन दलाल, सुप्रिया पाठक और विजय राज भी अहम भूमिका में नजर आए हैं। फिल्म दर्शकों को बांधने में कितनी सफल रही? यह वास्तव में तूफान है या हवा का झोंका, आइए जानते हैं।
अज्जू के इर्द-गिर्द घूमती है फिल्म की कहानी
अनाथालय में पला अज्जू (फरहान अख्तर) बड़े होकर मुंबई के डोंगरी इलाके में भाईगिरी करता है। हर किसी से पैसा वसूलता है, लेकिन दिल का अच्छा है। सब उसे डर के मारे सलाम ठोकते हैं और अज्जू को भी कहीं ना कहीं इस बात का अहसास है कि असल में कोई उसकी इज्जत नहीं करता। मोटी कमाई हो जाती है, एक ही इशारे पर सारे काम भी हो जाते हैं, लेकिन वो इज्जत नहीं मिल पाती, जिसकी उसे दरकार है।
इज्जत और प्यार की ललक के चलते बॉक्सिंग रिंग में एट्री करता है अज्जू
एक दिन अज्जू की जिंदगी में अनन्या (मृणाल ठाकुर) आती है, जो डॉक्टर हैं। उसका साथ पाकर अज्जू अपनी राह बदल देता है। अनन्या सिर्फ एक बात बोलती है- ये अज्जू गैंगस्टर है और ये अजीज अली द बॉक्सर, तुम्हें क्या बनना है? जिंदगी में इज्जत और प्यार पाने के साथ अज्जू बॉक्सिंग में अपने जुनून को पहचानने लगता है। अज्जू से अजीज बनने के उसके सफर में कितने रोड़े आते हैं, यह जानने के लिए आपको फिल्म देखनी होगी।
अपने किरदार में रच-बस गए फरहान
फिल्म में फरहान का अभिनय एक नंबर का है। जिस तरह वह 'भाग मिल्खा भाग' में मिल्खा सिंह बने थे, उतनी ही शिद्दत से फरहान यहां बॉक्सर अजीज अली बने हैं। डोंगरी वाली भाषा पर उनकी पकड़ अच्छी है। जिस अंदाज में फरहान पूरी फिल्म में अपने किरदार को पकड़कर चले हैं, वो काबिल-ए-तारीफ है। अज्जू भाई हो या बॉक्सर अजीज अली, फरहान ने अपने किरदार के साथ पूरा इंसाफ किया है। उनकी मेहनत को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
कैसा है अन्य कलाकारों का अभिनय?
फिल्म में अभिनेत्री मृणाल ठाकुर ने भी अच्छा काम किया है। 'तूफान' में उन्हें 'सुपर 30' और 'बाटला हाउस' से ज्यादा स्क्रीन टाइम मिला है। फरहान के साथ उनकी जोड़ी बढ़िया जमी है। दूसरी तरफ फरहान के कोच बने परेश रावल लंबे समय बाद एक यादगार किरदार में नजर आए हैं। फरहान के कोच की भूमिका में वह दमदार लगे हैं। सह कलाकारों में हुसैन दलाल, सुप्रिया पाठक, विजय राज और दर्शन कुमार का काम भी देखने लायक है।
निर्देशन में राकेश मेहरा ने की जबरदस्त वापसी
राकेश ओमप्रकाश मेहरा एक उम्दा निर्देशक हैं और उन्होंने 'तूफान' से एक बार फिर यह साबित कर दिया है। 'भाग मिल्खा भाग' के बाद वह फिर छा गए हैं। 'तूफान' एक तरह से सिनेमा में उनका पुनर्जन्म है। मेहरा ने अपनी इस फिल्म के जरिए हिंदू-मुस्लिम कट्टरपंथ के मसले पर भी ठोस विचार रखे हैं। फिल्म की कहानी वही पुराने बॉलीवुड स्टाइल की है, लेकिन राकेश ने कहानी को आज के जमाने का टच दिया है।
ये हैं फिल्म की खामियां
फिल्म में रोमांस, कॉमेडी, ड्रामा सबकुछ है, लेकिन करीब पौने तीन घंटे की इसकी लंबाई खटकती है। एडिटिंग की कमी थोड़ी खलती है। फिल्म का संगीत दिया है शंकर-एहसान-लॉय ने, वहीं गीतकार हैं जावेद अख्तर, लेकिन उनके होते हुए भी फिल्म का संगीत याद नहीं रहता। बॉक्सिंग रिंग में फरहान के बाइसेप्स देख लगा जैसे उन पर जरूरत से ज्यादा मेहनत की गई है। दूसरे बॉक्सर्स की तुलना में फरहान के बाइसेप्स-ट्राइसेप्स ज्यादा हाइलाइट किए गए, जो अखरते हैं।
देखें या ना देखें?
अगर आप फरहान अख्तर के फैन नहीं हैं तो 'तूफान' देखने के बाद बन जाएंगे। खास बात यह है कि फिल्म में जबरदस्ती का एक्शन नहीं ठूंसा गया है। स्पोर्ट्स को स्पोर्ट्स की तरह दिखाया गया है। एक अच्छी पटकथा ही एक अच्छी फिल्म की जान होती है। 'तूफान' ने एक बार फिर यह बात समझा दी है। ऐसे में बेशक आप इस फिल्म को अपने परिवार के साथ बैठकर देख सकते हैं। हमारी तरफ से 'तूफान' को 3.5 स्टार।