
NCPCR की नई गाइडलाइन, बाल कलाकारों से नहीं करा सकते छह घंटे से ज्यादा काम
क्या है खबर?
पर्दे पर आने वाली कहानियों में बच्चों का किरदार अहम हिस्सा होता है। टीवी के कई बच्चे घर-घर में अपनी पहचान बना चुके हैं। इन दिनों कई रियलिटी शो हैं जो बच्चों पर ही आधारित हैं।
इन शो के लिए छोटे बच्चे भी घंटों सेट पर काम करते हैं। इससे उनकी पढ़ाई तो प्रभावित होती है, उनके स्वास्थ्य पर भी असर पड़ता है।
अब इनके काम को लेकर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने नई गाइडलाइन जारी की है।
नियम
क्या हैं नए नियम?
NCPCR ने मनोरंजन जगत में काम करने वाले नाबालिग बच्चों के कामकाज को लेकर नई गाइडलाइन जारी की है।
इस गाइडलाइन के मुताबिक किसी भी बच्चे से लगातार 27 दिन से ज्यादा काम नहीं करवाया जा सकता है।
वहीं एक दिन में निर्माता उनसे छह घंटे से ज्यादा काम नहीं करा सकते हैं। ये गाइडलाइन्स फिल्म, टीवी शो, रिएलिटी शो और OTT कंटेंट समेत अन्य क्षेत्रों में लागू की जाएंगी।
बयान
अध्यक्ष ने बताई सख्ती की जरूरत
ई टाइम्स के अनुसार NCPCR के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने कहा कि हमे मनोरंजन जगत में काम करने वाले बच्चों के काम के घंटे पर ध्यान देने की जरूरत थी। बच्चों के किरदारों को लेकर कई शिकायतें आती हैं, लेकिन इनपर काम के बोझ को लेकर शिकायत कौन करेगा।
उन्होंने कहा कि इन बच्चों के कामकाज की परिस्थितयों को नियंत्रित करने के लिए इन गाइडलाइन्स को सख्ती से लागू करने की जरूरत है।
अभिभावक
अभिभावक ही बढ़ा रहे बच्चों का बोझ?
नई गाइडलाइन के तहत बच्चों को लेने से पहले शो के प्रोड्यूसर को जिलाध्यक्ष की अनुमति लेनी होगी। इससे बच्चों के लिए सेट पर सुरक्षित माहौल सुनिश्चित होगा।
कुछ सर्वे के नतीजों के अनुसार इन बच्चों की कमाई उनके माता-पिता रखते हैं। इसलिए बच्चों के हित में उनकी दिनचर्या तय करने की बजाय वे शूटिंग के हिसाब से उनकी दिनचर्या बनाते हैं।
देखा गया है कि अभिभावक बच्चों के अभिनय करियर को ही अपना फुल टाइम जॉब बना लेते हैं।
मकदस
बच्चों को शोषण से बचाने के लिए बनी गाइडलाइन
नई गाइडलाइन्स का मकसद है कि बाल कलाकारों के साथ कामकाजी नहीं बल्की बच्चों जैसा बर्ताव किया जाए। इसका उद्देश्य बच्चों को न सिर्फ निर्माता बल्कि अभिभावकों के शोषण से भी बचाना है।
इन गाइडलाइन्स के तहत अब सेट पर बच्चों के लिए एक ट्यूटर और चाइल्ड काउंसेलर का होना भी अनिवार्य होगा।
इसके अलावा उन्हें काम के बीच-बीच में ब्रेक देना होगा। लंबे काम के घंटों के बीच उन्हें मुश्किल से खाली समय मिल पाता है।