कॉन्स 2024 भारत के लिए खास, FTII के छात्रों की इस शॉर्ट फिल्म को मिली जगह
कान्स फिल्म फेस्टिवल फिल्मी दुनिया के 5 सबसे बड़े पुरस्कार समारोहों की सूची में शामिल है। यह भी उन फिल्म महोत्सवों में शुमार है, जिसका इंतजार मनोरंजन जगत से जुड़े लाेगों को सालभर होता है। कान्स 2024 में कई फिल्मों का प्रीमियर होने वाला है। अब खबर है कि फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (FTII) के छात्रों की शॉर्ट फिल्म 'सनफ्लावर्स वर द फर्स्ट वन्स टू नो' को इस प्रतिष्ठित फिल्म फेस्टिवल के लिए चुना गया है।
सिर्फ 1 भारतीय फिल्म ने बनाई जगह
कान्स फिल्म फेस्टिवल का आयोजन 14 मई से 25 मई तक होने वाला है, जिसमें दुनियाभर की कई फिल्में दिखाई जाएंगी, वहीं कुछ फिल्में आपस में प्रतिस्पर्धा करती नजर आएंगी। शॉर्ट फिल्मों की सूची में FTTI के 4 छात्रों की फिल्म का चयन हुआ है, जिसकी जानकारी खुद FTTI ने सोशल मीडिया पर दी है। खास बात ये है कि 18 चुनी गईं फिल्मों में भारत से सिर्फ 1 ही फिल्म है, जिसका मुकाबला बाकी 17 विदेशी फिल्मों से होगा।
FTTI ने यूं साझा की खुशखबरी
FTTI ने लिखा, 'बड़ी घोषणा! हमें यह बताते हुए गर्व महसूस हो रहा है कि FTTI के छात्रों की फिल्म 'सनफ्लावर वर द फर्स्ट वन्स टू नो' को 77वें कान फिल्म फेस्टिवल में प्रतियोगिता खंड में चुना गया है। यह दुनियाभर के फिल्म स्कूलों द्वारा 2,263 एंट्री में से चुनी गईं 18 शॉर्ट फिल्मों में से एकमात्र भारतीय फिल्म है।' इस पोस्ट से भारतीय अपनी खुशी जाहिर कर रहे हैं। उन्हें उम्मीद है कि ये फिल्म कान्स में जीतकर आएगी।
यहां देखिए पोस्ट
पायल की बदौलत किसी भारतीय फिल्म को 30 साल बाद मिला मौका
इस साल भारत के लिए कान्स खास है, क्योंकि इसके सबसे प्रतिष्ठित पाम डिओर यानी गोल्डन पाम अवॉर्ड के लिए लेखक-निर्देशक पायल कपाड़िया की फिल्म 'ऑल वी इमेजिन एज लाइट' को भी प्रतिस्पर्द्धा करने का मौका मिला है। पिछले 30 सालों के बाद कान्स के इस सेक्शन में पहुंचने वाली यह पहली भारतीय फिल्म होगी। 1983 में हुए कान्स फिल्म फेस्टिवल में मृणाल सेन की फिल्म 'खारिज' को ये मौका नसीब हुआ था।
पहली बार इस भारतीय फिल्म को मिला था कॉन्स में पुरस्कार
कान्स में दुनियाभर की चुनिंदा फिल्मों और डॉक्यूमेंट्री को दिखाया जाता है। कान्स का भारत से खास रिश्ता रहा है। इस कड़ी की शुरुआत 1946 में चेतन आनंद की फिल्म 'नीचा नगर' से हुई थी। इसे पाम डिओर पुरस्कार से नवाजा गया था।