
#NewsBytesExplainer: क्या होता है अवंट-गार्डे सिनेमा? जानिए इसके बारे में सबकुछ
क्या है खबर?
हॉलीवुड से लेकर बॉलीवुड इंडस्ट्री 100 से भी ज्यादा दशकों से हम सभी का मनोरंजन करते आ रहे हैं।
मनोरंजन करने की कोशिश में फिल्म निर्माता मुद्दों को अपनी कल्पना में ढालकर फिल्मों के जरिए हमारे सामने पेश करते हैं, लेकिन कितनी फिल्मों ने लीक से हटकर, प्रयोग करके आपके सामने मुद्दे उठाए हैं? बहुत कम...।
ऐसे ही सिनेमा को 'अवंट-गार्डे' सिनेमा कहते हैं, जो फिल्म निर्माण की पारंपरिक परंपराओं को चुनौती देकर अलग तरह का सिनेमा पेश करता है।
परिभाषा
क्या है अवंट-गार्डे की परिभाषा?
'अवंट-गार्डे' सिनेमा को ऑफबीट या अपरंपरागत सिनेमा के रूप में भी जाना जाता है। जिस सिनेमा को फिल्म निर्माण की मुख्य शैली से हटकर एक अलग दृष्टिकोण के साथ बनाया जाता है, उसे अवंट-गार्डे सिनेमा कहते हैं।
इसका मकसद ना केवल परंपरा को तोड़ना और मुद्दों का राजनीतिकरण करना होता है, बल्कि विष्य को अपने तरीके से फिर से परिभाषित करना भी होता है।
'अवंट-गार्डे' फिल्मों का लंबा इतिहास रहा है। हॉलीवुड-बॉलीवुड दोनों में उनकी एक खास जगह है।
चुनौती
दर्शकों की सोच को चुनौती देती हैं ये फिल्में
'अवंट-गार्डे' फिल्में दर्शकों को सवाल करने या चुनौती देने का मौका देती हैं कि वे जो देखते हैं] उसके बारे में वे सोचते क्या हैं।
हालांकि, ऐसी फिल्में बनाने में इस बात का ध्यान बिल्कुल नहीं रखा जाता कि विषय हमारे समाज में स्वीकृत है या नहीं। ये फिल्में ज्यादातर सपने, फैंटेसी, धारणा और अंतरिक्ष जैसे विषयों पर बनाई जाती हैं।
इन फिल्मों में सिनेमैटोग्राफी बेहद मजबूत होती है और ये आमतौर पर विभिन्न शैलियों का मिश्रण होती हैं।
नाम
कैसे पड़ा नाम?
'अवंट-गार्डे' एक फ्रांसीसी शब्द है, जिसे अंग्रेजी में 'एडवांस गार्ड' कहा जाता है। 'एडवांस गार्ड' का मतलब ये होता है वे लोग, जो किसी भी नई चीज का अनुभव सबसे पहले करते हैं।
जब इस शब्द को किसी फिल्म से जोड़ा जाता है तो इसका मतलब होता है कि, ऐसी फिल्में जो किसी भी चीज को चुनौती देने और नए तरीके से पेश करने के सक्षम हों।
ऐसी फिल्में आमतौर पर छोटे स्तर पर ही रिलीज की जाती हैं।
इतिहास
आंदोलन के साथ उभरा था 'अवंट-गार्डे' सिनेमा
'अवंट-गार्डे' सिनेमा पेंटिंग और साहित्य में हुए 'अवंट-गार्डे आंदोलन' के साथ उभरा था। सर्रेलिस्ट (अतियथार्थवादी) कलाकारों को इस सिनेमाई माध्यम में अपनी भावनाएं व्यक्त करने का खूब मौका मिला था।
'सर्रियलिज्म', 1924 में आंद्रे ब्रेटन द्वारा स्थापित एक कला आंदोलन था। इसे एक कला आंदोलन होने के साथ-साथ एक तकनीक भी माना जाता है।
यह एक ऐसी तकनीक है, जिसमें चिह्न और तस्वीरों की मदद से वास्तविकता से बाहर निकलकर एक दुनिया बनाई जा सके।
खूबियां
ये होती हैं इन फिल्मों की खूबियां
इस तरह की फिल्मों की खूबियों की बात करें तो इन फिल्मों इस तरह के दृश्य और संपादन का इस्तेमाल किया जाता है, जिससे अलग ही तरह का भावनात्मक माहौल बनाया जा सके।
अवंट-गार्डे फिल्म निर्माता कई तरह की विजुअल तकनीक और रचनाओं के साथ प्रयोग करते हैं, जिससे ये फिल्में दर्शनीय बनती हैं। अगर इन फिल्मों में गाने ना हों तो वो कोई अचंभे की बात नहीं है, क्योंकि इनमें गाने ना होना भी इनकी खूबी है।
हिंदी फिल्में
ये हिंदी फिल्में हैं अवंट-गार्डे सिनेमा का उदाहरण
हमारे हिंदी सिनेमा में कई फिल्में हैं, जिन्हें अवंट-गार्डे सिनेमा के तहत बनाया गया है। इनमें 'स्पर्श', 'मंडी', 'AK वर्सेज AK',' नो स्मोकिंग', 'लव सेक्स और धोखा', 'सत्या', 'उड़ान', 'गैंग्स ऑफ वासेपुर', 'धोबी घाट', 'माई ब्रदर...निखिल' और 'तुम्बाड' जैसी फिल्में शामिल हैं।
बता दें, शबाना आजमी, ओम पुरी, नसीरुद्दीन शाह, कमल हासन, अनुराग कश्यप, सत्यजीत रे, गुरु दत्त और गुलजार समेत कई अन्य सितारों को भारत में प्रयोगात्मक सिनेमा यानी अवंट-गार्डे सिनेमा को बढ़ावा देने वाला माना जाता है।