'ब्रह्मास्त्र' रिव्यू: कमजोर कहानी पर शानदार विजुअल इफेक्ट्स, अयान ने बनाई अपनी दुनिया
क्या है खबर?
निर्देशक अयान मुखर्जी की फिल्म 'ब्रह्मास्त्र' सालों की मेकिंग के बाद आखिरकार शुक्रवार को रिलीज हो गई।
फिल्म में रणबीर कपूर और आलिया भट्ट मुख्य भूमिका में हैं। रणबीर ने शिवा का किरदार तो आलिया ने ईशा का किरदार निभाया है।
अयान ने दावा किया था कि वह ऐसा कुछ करने जा रहे हैं जो बॉलीवुड में पहले कभी नहीं देखा गया। वह फिल्म पहली भारतीय फिल्म यूनिवर्स होगी।
जानते हैं यह फिल्म उम्मीदों पर कितनी खरी उतरी।
कहानी
ऋषि-मुनियों की तपस्या से पैदा हुए अस्त्रों की कहानी है 'ब्रह्मास्त्र'
अयान ने अपनी फिल्म यूनिवर्स का नाम 'अस्त्रावर्स' रखा है। फिल्म कुछ अस्त्रों की कहानी है जो हिमालय पर ऋषि-मुनियों की तपस्या से पैदा हुए थे। इन अस्त्रों में सबसे शक्तिशाली है ब्रह्मास्त्र।
आज भी ये अस्त्र इस दुनिया में मौजूद हैं और वे ऋषि-मुनि इन अस्त्रों की रक्षा करते हैं। अस्त्रों की दुनिया से शिवा का रहस्यमई जुड़ाव है।
कुछ अंधेरी ताकतें हैं जो ब्रह्मास्त्र को पाना चाहती हैं। फिल्म इन ताकतों से ब्रह्मास्त्र को बचाने की कहानी है।
पहला भाग
शुरुआत में ही शाहरुख खान ने दिया सरप्राइज
अमिताभ के वॉयसओवर के साथ फिल्म की भूमिका बांधी जाती है। फिल्म के शुरुआती आधे घंटे में दर्शकों का परिचय अस्त्रों की दुनिया से कराया जाता है और शिवा-ईशा के रोमांस को स्थापित किया जाता है।
फिल्म के शुरुआत में ही शाहरुख खान का कैमियो दर्शकों के लिए सरप्राइज की तरह आता है। शाहरुख को करीब 10-15 मिनट का स्क्रीन स्पेस दिया गया है जिसमें मेकर्स ने उनकी उपस्थिति को पूरी तरह से भुनाया है।
दूसरा भाग
बिना किसी रोमांच के बढ़ती है फिल्म की कहानी
पहले भाग में फिल्म डांस, ऐक्शन और रहस्यों से मनोरंजक बनी है, वहीं दूसरे भाग में यह बिल्कुल कमजोर हो जाती है।
शिवा और अस्त्रों से जुड़े कई रहस्यों को बेहद मामूली तरीके से दर्शकों के सामने रख दिया जाता है। ऐसा लगता है जैसे एक लंबी कहानी को जल्दी-जल्दी समेटा जा रहा है।
बिना किसी रोमांच के रहस्य खुलते रहते हैं और ब्रह्मास्त्र को खोने-बचाने की लंबी और बोझिल दौड़-भाग चलती रहती है।
अभिनय
औसत रहे रणबीर, आलिया से ज्यादा दिखा मौनी का तेज
फिल्म में रणबीर के हिस्से ऐक्शन, कॉमेडी, रोमांस सब है। रणबीर रोमांटिक सीन में जितने सहज लगते हैं, ऐक्शन में उतना ही पीछे रह गए।
आलिया के हिस्से कुछ ऐक्शन दृश्य थे जिनके साथ वह न्याय नहीं कर पाईं।
मौनी रॉय अपने नाकारात्मक किरदार में सहज दिखीं। उनके दृश्यों में उनका 'नागिन' का अनुभव दिखता है।
पर्दे पर अमिताभ बच्चन को देखना अच्छा लगता है। शाहरुख अपने सीमित रोल में छा गए, वहीं नागार्जुना के हिस्से कुछ खास नहीं आया।
क्या अच्छा?
VFX से अयान ने पर्दे पर उतारी अपने सपनों की दुनिया
यह एक बड़े बजट की फिल्म है। फिल्म में वह भव्यता दिखती है। यह अयान मुखर्जी का ड्रीम प्रोजेक्ट है। वह अपनी कल्पनाओं को पर्दे पर उतारने में कामयाब हुए हैं। फिल्म के विजुअल इफेक्ट्स अब तक के किसी भी बॉलीवुड फिल्म से जानदार हैं। VFX ही इस फिल्म का USP है।
फिल्म की स्टारकास्ट इसका मुख्य आकर्षण है। शाहरुख अपने चिर-परिचित अंदाज में ऐक्शन और कॉमेडी करते दिखे। वहीं अमिताभ की मौजूदगी भी फिल्म का स्तर बढ़ाती है।
क्या कमी?
इन वजहों से कमजोर हो गई फिल्म
VFX से फिल्म में एक फैंटेसी क्रिएट की गई है। इसके बावजूद फिल्म कई जगह ऐसी लगती है कि आप फिल्म देखने की बजाय कोई कहानी सुन रहे हैं।
फिल्म की स्टोरीटेलिंग रोचक हो सकती थी। फिल्म का क्लाइमैक्स निराश करने वाला है।
शिवा और ईशा फिल्म का केंद्र हैं, लेकिन आलिया के अभिनय ने इसे कमजोर कर दिया।
फिल्म के ऐक्शन में कहीं-कहीं दक्षिण भारतीय सिनेमा का प्रभाव दिखता है जो बेवजह है।
जानकारी
न्यूजबाइट्स प्लस
अयान का 'अस्त्रावर्स' तीन भागों में आएगा। अयान ने भारतीयता और पौराणिकता के आधार पर इस यूनिवर्स का निर्माण किया है। 'ब्रह्मास्त्र' के आखिर में इसकी अगली फिल्म 'ब्रह्मास्त्र 2: देव' की घोषणा कर दी गई है।
निष्कर्ष
देखें न देखें?
क्यों देखें- फिल्म बेहतरीन विजुअल इफेक्ट्स से परिपूर्ण है। सुपरनैचरल कैरेक्टर्स वाली कहानियों का शौक है तो फिल्म अच्छी लगेगी। बच्चों के साथ वीकेंड पर यह फिल्म देख सकते हैं।
क्यों न देखें- 'अस्त्रावर्स' में मार्वल वाली अपेक्षा रखेंगे तो निराश ही होंगे। बेहतरीन फिल्ममेकिंग के बावजूज इसकी कहानी बच्चों की ही है। ऐसी कहानियां बोर करती हों तो फिल्म देखने न जाएं। फिल्म की लेंथ (दो घंटे 40 मिनट) भी आपको बोर कर सकती है।
न्यूजबाइट्स स्टार- 2.5/5