'धमाका' से लेकर 'रण' तक, पत्रकारिता और मीडिया का असली चेहरा दिखाती हैं ये बॉलीवुड फिल्में
लोकतंत्र चार स्तंभों पर टिका है, जिसमें से एक पत्रकारिता यानी मीडिया भी है। समाज का आईना कहा जाने वाले पत्रकारिता के क्षेत्र में भी आज कल कुछ ऐसा होता है, जिसकी सच्चाई सभी को पता होनी जरूरी है। ऐसे में बॉलीवुड फिल्म निर्माता-निर्देशकों ने कई फिल्में बनाई हैं, जिनमें पत्रकारों और पत्रकारिता से जुड़े तमाम लोगों की जिंदगी को दर्शाया गया है। आज हम इस लेख में आपको उन्हीं फिल्मों के बारे में बताने वाले हैं। चलिए जानते हैं।
'रण' और 'फिर भी दिल है हिंदुस्तानी'
राम गोपाल वर्मा की फिल्म 'रण' में समाचार चैनलों और राजनीतिक पार्टियों के गठजोड़ को दिखाया गया था। फिल्म में अमिताभ बच्चन को नैतिक पत्रकार के रूप में दुनिया के सामने सच्चाई पेश करने की लड़ाई लड़ते हुए देखा गया था। जूही चावला और शाहरुख खान 'फिर भी दिल है हिंदुस्तानी' दो रिपोर्टों की कहानी है, जो 2 प्रतिद्वंद्वी चैनलों से संबंधित हैं। हंसी के साथ शुरू हुई यह फिल्म दर्शकों को दांतों तले उंगली दबाने पर मजबूर करती है।
'नो वन किल्ड जेसिका' और 'पेज 3'
इस फिल्म के बिना इस सूची को पूरा करना असंभव है। वास्तविक जीवन में जेसिका लाल हत्या के इर्द-गिर्द घूमती यह फिल्म मीडिया की ताकत को दर्शाती है। विद्या बालन और रानी मुखर्जी की यह फिल्म बहादुर पत्रकारों द्वारा भ्रष्ट प्रणाली को उजागर करती है। मधुर भंडारकर की 'पेज 3' शोबिज पत्रकारिता की वास्तविकता पर आधारित है, जो ग्लैमर पर केंद्रित है और पर्दे के पीछे की सच्चाई को छिपाती है। इसे दर्शकों द्वारा बहुत सराहा गया था।
'पीपली लाइव' और 'नूर'
'पीपली लाइव' समाचार चैनलों की दुनिया की सच्चाई को उजागर करती है। इसमें दिखाया गया है कि कैसे चैनल उच्च टीआरपी हासिल करने के लिए किसी भी स्थिति में हेरफेर करते हैं। 'कराची, यू आर किलिंग मी' नामक उपन्यास पर आधारित फिल्म 'नूर' एक युवा पत्रकार की कहानी है, जो एक ऐसे मामले की जांच करता है जहां एक डॉक्टर लोगों को मारता है और उनके शारीरिक अंगों का व्यापार करता है। फिल्म में सोनाक्षी सिन्हा मुख्य भूमिका में हैं।
'धमाका' और 'काबुल एक्सप्रेस'
कार्तिक आर्यन अभिनीत 'धमाका' पत्रकार अर्जुन पाठक की कहानी है। इसमें दिखाया गया कि कैसे अर्जुन के पास एक आतंकवादी का फोन आता है और टीआरपी की भूखी मीडिया के बीच रेस जीतने के लिए वह इंटरव्यू प्रसारित करता है और मुसीबत में फंस जाता है। 'काबुल एक्सप्रेस', भारत के दो पत्रकारों की कहानी है, जिन्हें अफगानिस्तान पर अमेरिकी आक्रमण होने के बाद एक रिपोर्ट बनाने पड़ोसी मुल्क भेजा जाता है। फिल्म निर्देशक कबीर खान के अनुभवों पर आधारित थी।