जावेद अख्तर को राष्ट्रीय पुरस्कार और पद्म सम्मान समेत मिल चुके हैं ये प्रतिष्ठित सम्मान
क्या है खबर?
जावेद अख्तर मौजूदा दौर के सर्वश्रेष्ठ शायरों, लेखकों और गीतकारों में शुमार है। 5 दशक से लंबे करियर में वह अब तक एक से बढ़कर एक फिल्में, संवाद और गीत लिख चुके हैं।
उनके गीतों में मोहब्बत की अलग गहराई नजर आती है। वह अपने राजनीतिक विचारों के लिए भी चर्चा में रहते हैं।
17 जनवरी को जावेद अपना जन्मदिन मना रहे हैं।
नजर डालते हैं जावेद को मिले प्रतिष्ठित पुरस्कारों और सम्मानों पर।
राष्ट्रीय पुरस्कार
राष्ट्रीय पुरस्कार
अपने बेहतरीन गीतों के लिए जावेद राष्ट्रीय पुरस्कार पा चुके हैं। भारतीय सिने जगत का यह सम्मानित पुरस्कार जावेद को एक नहीं कई बार दिया गया है।
1998 में फिल्म 'बॉर्डर' के गाने 'संदेश आते हैं' के लिए उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार दिया गया था।
1999 'गॉडमदर' और 2001 में 'रेफ्यूजी' के गानों के लिए जावेद को राष्ट्रीय पुरस्कार दिया गया था। 'लगान' के गाने 'राधा कैसे ना जले' के लिए भी उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार दिया गया था।
पद्म सम्मान
पद्म पुरस्कार
जावेद को 1999 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। इसके बाद 2007 में उन्हें पद्मभूषण से भी नवाजा गया था।
उर्दू साहित्य के क्षेत्र में अपने योगदान के लिए जावेद प्रतिष्ठित साहित्य अकादमी पुरस्कार भी पा चुके हैं। उन्हें यह पुरस्कार उनकी शायरी संग्रह 'लावा' के लिए 2013 में दिया गया था।
हाल ही में उन्हें अजंता एलोरा अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह में लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड से नवाजा गया है।
रिचर्ड डॉकिन्स पुरस्कार
रिचर्ड डॉकिन्स पुरस्कार
2020 में जावेद को प्रतिष्ठित रिचर्ड डॉकिन्स पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। जावेद इस पुरस्कार को पाने वाले पहले और इकलौते भारतीय हैं।
यह पुरस्कार विज्ञान, रिसर्च, शिक्षा और मनोरंजन के क्षेत्र से जुड़े प्रतिष्ठित व्यक्तियों को दिया जाता है, जो सार्वजनिक रूप से तार्किक रहकर धर्मनिरपेक्षता की रक्षा की कोशिश करते हैं।
यह पुरस्कार रिचर्ड डॉकिन्स के नाम पर दिया जाता है। वह ऑक्सफॉर्ड यूनिवर्सिटी में साइंस ऑफ पब्लिक अंडरस्टैडिंग के प्रोफेसर थे।
फिल्मफेयर
फिल्मफेयर पुरस्कार
5 दशक से भी लंबे करियर में जावेद एक से बढ़कर एक गीत लिख चुके हैं। अपने शानदार गीतों के लिए वह फिल्म जगत के कई बड़े पुरस्कारों से सम्मानित किए जा चुके हैं।
अपने करियर में वह कई बार फिल्मफेयर पुरस्कार जीत चुके हैं।
'लगान', 'रेफ्यूजी', 'बॉर्डर', '1942: अ लव स्टोरी', 'वीर जारा', 'कल हो ना हो' जैसी फिल्मों के गानों के लिए वह फिल्मफेयर पुरस्कार पा चुके हैं।
जानकारी
न्यूजबाइट्स प्लस
संघर्ष के दिनों में जावेद कमलिस्तान स्टूडियो के कॉस्ट्यूम रूम में रहते थे। वहां 'पाकीजा' का सेट था। एक दिन अलमारी में उन्हें मीना कुमारी की धूल चढ़ी हुई फिल्मफेयर की ट्रॉफी दिखी। तब वह कल्पना करते थे कि एक दिन वह भी इसे जीतेंगे।