
इस अनोखे स्कूल में रविवार को भी होती है पढ़ाई, 20 साल से नहीं हुई छुट्टी
क्या है खबर?
महाराष्ट्र के पुणे से लगभग 60 किलोमीटर पूर्व में स्थित एक छोटे से गांव करदेलवाड़ी में एक प्राथमिक स्कूल साल के हर एक दिन चलता है और पिछले दो दशक में यहां एक भी छुट्टी नहीं हुई है।
नेशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशन रिसर्च एंड ट्रेनिंग (NCERT) के विशेषज्ञ इस साल दो बार इस गांव में आए और यहां रहकर उन्होंने यह समझने का प्रयास किया कि यह स्कूल साल में 365 दिन कैसे काम करता है।
स्कूल
2001 में नियुक्त हुए शिक्षकों ने कभी नहीं बंद होने दिए स्कूल के दरवाजे
इस स्कूल को दो शिक्षकों दत्तात्रेय और बेबिनंदा सकत संचालित करते हैं। दोनों जिला परिषद शिक्षक हैं। वे दोनों 2001 में स्कूल में नियुक्त हुए थे।
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, इस स्कूल में पिछले 20 वर्षों में कभी भी छात्रों के लिए एक भी दिन दरवाजे बंद नहीं हुए और बेबिनंदा ने भी तभी से कभी छुट्टी नहीं ली है।
स्कूल में कभी भी छुट्टी न हो, इसलिए वे शादियों और अंतिम संस्कारों में भी नहीं जाते हैं।
पुरस्कार
बेबिनंदा को राष्ट्रपति से मिल चुका है राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार
शिक्षा जगत में बेहतरीन काम करने के लिए बेबिनंदा को जिला परिषद और राज्य और केंद्र सरकार द्वारा सम्मानित किया जा चुका है। बेबिनंदा को 2015 में राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार भी मिल चुका है।
दत्तात्रेय बताते हैं कि उन्हें दूसरे स्कूल में 11 साल की सेवा के बाद पुणे स्थित इस स्कूल में ट्रांसफर कर दिया गया था।
वह बताते हैं कि जब वे यहां आए तो उन्हें इस स्कूल की इमारत काफी बेजान लगी जिसमें चार कमरे थे।
छात्र
पढ़ाई के अलावा छात्रों को अन्य गतिविधियों का भी दिया जाता है मौका
दत्तात्रेय कहते हैं कि उन्होंने स्कूल में छोटी-छोटी चीजों जैसे बागबानी, दीवारों पर चित्र बनाना, मिट्टी से खिलौने बनाना, स्कूल के रंग-रूप और वातावरण को जीवंत बनाने के साथ शुरुआत की।
उन्होंने कहा, "हमने छात्रों को कक्षाओं के बीच स्वतंत्र रूप से घूमने की अनुमति दी। कुछ छात्र वीकेंड की छुट्टी में भी कुछ गतिविधियां करने के लिए आते थे, इसलिए हम भी आने लगे और इस तरह यह शुरू हुआ।"
छुट्टी
वीकेंड की छुट्टियों में छात्र स्कूल में क्या करते हैं?
जब सकत दंपति को यह महसूस हुआ कि वीकेंड की छुट्टियों में भी स्कूल आना छात्रों को व्यस्त और उत्पादक बनाए रखता है तो उन्होंने छात्रों के लिए मुफ्त में विशेष गतिविधियां आयोजित करनी शुरू कर दीं।
इस दौरान छात्र स्कूल में पेंट करते हैं, स्केच बनाते हैं, फिल्में या नाटक देखते हैं, मिट्टी की वस्तुएं बनाते हैं, बगीचा बनाते हैं, इंटरनेट से नई-नई जानकारी लेते हैं और संगीत सीखते हैं।
शिक्षा
मराठी स्कूल होने के बावजूद छात्रों को अंग्रेजी की भी दी जाती है शिक्षा
बेबिनंदा बताती हैं कि स्कूल के छात्रों को बालभारती पाठ्यपुस्तक के अनुसार पढ़ाई कराई जाती है।
वह कहती हैं कि हालांकि यह एक मराठी माध्यम का स्कूल है, लेकिन वो छात्रों को अंग्रेजी भी पढ़ाते हैं ।
उन्होंने आगे कहा, "हर साल कक्षा चार के कम से कम आधे छात्र राज्य की स्कॉलरशिप परीक्षा पास करते हैं जिसे बहुत कठिन माना जाता है। बहुत से लोग आश्चर्यचकित हैं कि हमारे छात्र अपनी उम्र से कहीं आगे इतना कैसे जानते हैं।"