हिजाब विवाद: परीक्षा छोड़ने वालों को दोबारा मिलेगा मौका? कर्नाटक शिक्षा मंत्री ने कही ये बात
कर्नाटक के शिक्षा मंत्री बीसी नागेश ने हिजाब विवाद के कारण परीक्षा में शामिल नहीं होने वाली छात्राओं के लिए दोबारा परीक्षा आयोजित करने की संभावना से इनकार कर दिया है। नागेश ने सोमवार को कहा कि परीक्षा में अनुपस्थित रहने वाले छात्रों के लिए इस तरह का कोई नियम नहीं है। उन्होंने कहा, "परीक्षाओं की प्रकृति प्रतियोगात्मक होती है। ऐसे में अनुपस्थित रहने वालों के लिए मानवीय आधार पर विचार नहीं किया जा सकता।"
छात्रों ने क्यों छोड़ी थी परीक्षा?
कर्नाटक हाई कोर्ट ने अपने अंतरिम आदेश में छात्रों के कक्षा के अंदर भगवा शॉल, स्कार्फ, हिजाब और अन्य कोई भी धार्मिक वस्त्र पहनने पर रोक लगा दी थी। इसके कारण जब कई मुस्लिम छात्राएं हिजाब पहनकर राज्य के विभिन्न शहरों में कक्षा 10 की प्रारंभिक परीक्षा देने स्कूल पहुंची तो उन्हें हिजाब उतारने के लिए कहा गया। कई छात्राओं ने हिजाब न उतारने का निर्णय लिया और इसके कारण परीक्षा छोड़ दी।
सिर्फ परीक्षा में उपस्थित होने वाले फेल छात्रों को दोबारा मिलेगा मौका
नागेश ने पत्रकारों के सवाल का जवाब देते हुए कहा, "हिजाब समेत चाहें जिस भी कारण से छात्र परीक्षा में अनुपस्थित रहे हों, उन्हें दोबारा मौका नहीं दिया जाएगा। अंतिम परीक्षा में अनुपस्थित रहने का मतलब है अनुपस्थित रहना और दोबारा परीक्षा आयोजित नहीं की जाएगी।" मंत्री ने आगे साफ किया कि केवल उन्हीं छात्रों को दोबारा परीक्षा देने का अवसर दिया जाएगा जो परीक्षा में शामिल हुए, लेकिन पास नहीं हो सके।
'400 मुस्लिम छात्राओं ने सोमवार को स्कूल-कॉलेज छोड़े'
नागेश ने दावा किया कि लगभग 400 मुस्लिम छात्राओं ने सोमवार को स्कूल-कॉलेजों को छोड़ दिया। उन्होंने कहा, "हम उन छात्रों को समायोजित कर सकते हैं जिन्होंने अदालत के फैसले से पहले परीक्षाओं में भाग नहीं लिया था, लेकिन हम उन लोगों के लिए ऐसा नहीं कर सकते जिन्होंने फैसले के बाद भाग नहीं लिया है। अगर हम मानवीय आधार पर विचार करते हैं तो आगे जाकर कई और छात्र विभिन्न कारणों से अनुपस्थित होंगे।"
सुप्रीम कोर्ट में जारी रखेंगे लड़ाई- CFI
कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (CFI) ने सोमवार को प्रेस वार्ता कर कहा कि वे सुप्रीम कोर्ट में अपनी लड़ाई जारी रखेंगे। CFI के सरफराज गंगावती ने कहा कि छात्रों को परीक्षा नहीं देने के लिए मजबूर किया जा रहा है। उन्होंने कहा, "सत्तारूढ़ भाजपा छात्रों, विशेषकर मुस्लिम छात्राओं को शिक्षित नहीं करना चाहती है। फैसले से पहले हमने राज्य के 25 जिलों के कॉलेजों का दौरा किया और पाया कि इस नियम के कारण 11,000 मुस्लिम छात्राएं प्रभावित हुईं।"
कर्नाटक हाई कोर्ट ने अंतिम फैसला क्या सुनाया था?
कर्नाटक हाई कोर्ट ने 15 मार्च को शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध को चुनौती देने वाली विभिन्न याचिकाओं को खारिज करते हुए कहा था कि हिजाब पहनना इस्लाम की अनिवार्य धार्मिक प्रथा नहीं है। कोर्ट के अनुसार, "स्कूल की वर्दी का नियम एक उचित पाबंदी है और संवैधानिक रूप से स्वीकृत है, जिस पर छात्राएं आपत्ति नहीं उठा सकती हैं। इसके कारण 5 फरवरी को जारी किए गए सरकारी आदेश को अमान्य करने का कोई केस नहीं बनता।"