IIT बॉम्बे: इस साल लगेंगी सिर्फ ऑनलाइन क्लासेस, ऐसा फैसला लेने वाला पहला संस्थान
मुंबई के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (IIT) ने कोरोना वायरस महामारी के चलते अपने संस्थानों के छात्रों की सुरक्षा को देखते हुए इस साल के अंत तक कॉलेज में कोई भी क्लास न लगाने की घोषणा की है। इस साल संस्थान में फेस टू फेस लेक्चर नहीं होंगे। बुधवार देर रात IIT निदेशक सुभासिस चौधरी ने इसकी घोषणा की। बता दें कि यह ऐसा निर्णय लेने वाला भारत का पहला संस्थान है।
छात्र हैं संस्थान की पहली प्राथमिकता- चौधरी
चौधरी ने कहा कि छात्र अगले सेमेस्टर की पढ़ाई पूरी तरह से ऑनलाइन माध्यम से करेंगे ताकि उनकी सुरक्षा में कोई समझौता न हो और वे आराम से पढ़ाई कर सकें। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि IIT बॉम्बे के लिए छात्र पहली प्राथमिकता है। महामारी की वर्तमान स्थिति को देखते हुए छात्रों के लिए अगले सेमेस्टर की योजना बनाने को लेकर काफी समय से हो रहे विचार-विमर्श के बाद ही यह फैसला लिया गया है।
आर्थिक रुप से कमजोर वर्ग के छात्रों के लिए दान करने का किया अनुरोध
IIT में ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन पाठ्यक्रमों के लिए नए सेमेस्टर की पढ़ाई जुलाई में शुरू होने वाली है। चौधरी ने एक ट्वीट कर आर्थिक रूप से कमजोर परिवार के छात्रों के लिए दान करने का अनुरोध किया है। उनका कहना है संस्थान में आर्थिक रूप से कमजोर परिवार से आने वाले छात्रों की संख्या अधिक है और ऑनलाइन पढ़ाई करने के लिए उन्हें लैपटॉप आदि की जरुरत होगी। इस कारण उन्होंने उनकी मदद करने का अनुरोध किया है।
पांच करोड़ रुपये की है जरुरत
इसके साथ ही चौधरी ने यह भी बताया कि उन्होंने अनुमान लगाया है कि उन्हें जरूरतमंद छात्रों की मदद के लिए लगभग पांच करोड़ रुपये की आवश्यकता है। उन्होंने दान के लिए एक अनुरोध करते हुए लिखा कि वे इन उज्ज्वल युवा छात्रों के लिए बिना किसी बाधा और देरी के उन्हें उनकी शिक्षा जारी रखने में मदद करने के लिए तत्पर हैं। बता दें कि मध्य मार्च से कोरोना वायरस महामारी के कारण सभी संस्थान बंद हैं।
अभी तक देश में इतने लोग हो चुके कोरोना वायरस से संक्रिमत
भारत के लगातार कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है। पूरे देश में मरीजों की संख्या 4,73,105 है। वहीं 14,894 लोगों की मौत हुई है और सक्रिय मामलों की संख्या 1,86,514 है। महाराष्ट्र में कुल 1.43 लाख लोग इससे संक्रमित हो चुके हैं और अकेले मुंबई ने अब तक लगभग 70,000 मामले सामने आए हैं। ऐसी स्थिति में छात्रों के लिए कॉलेज खोलना सही नहीं है।