महाराष्ट्र: कक्षा 10 की बोर्ड परीक्षा में बाप पास, लेकिन फेल हो गया बेटा
कक्षा 7 के बाद पढ़ाई बीच में ही छोड़ने वाले 47 वर्ष के भास्कर वाघमारे ने 30 वर्ष के बाद अब महाराष्ट्र राज्य माध्यमिक और उच्च माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (MSBSHSE) की तरफ से आयोजित कक्षा 10 की बोर्ड परीक्षा पास कर ली है। लेकिन परिवार वालों को एक बात का मलाल है। मलाल इस बात का है कि वाघमारे का बेटा साहिल भी इस बार की कक्षा 10 की परीक्षा में शामिल हुआ था, लेकिन वो फेल हो गया।
आर्थिक तंगी के कारण भास्कर को छोड़नी पड़ी थी पढ़ाई
इस परीक्षा को पास कर भास्कर ने लोगों को यह संदेश दिया है कि पढ़ाई की कोई उम्र नहीं होती है और इंसान जब कुछ करने की ठान ले तो वह उसे पूरा कर लेता है। भास्कर पुणे के बाबासाहेब आंबेडकर इलाके में रहते हैं और प्राइवेट नौकरी करते हैं। उन्होंने बताया कि परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण उन्हें अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़नी पड़ी थी।
अधिक आमदनी के लिए भास्कर ने दी थी परीक्षा
भास्कर ने टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए बयान में बताया कि वे कुछ समय से पढ़ाई फिर से शुरू करने और कुछ कोर्स करने के लिए उत्सुक थे ताकि उन्हें अधिक कमाई करने में मदद मिल सके। उन्होंने बातचीत में आगे बताया, "इसलिए मैंने कक्षा 10 की परीक्षा में बैठने का फैसला किया था। मेरा बेटा भी इस साल परीक्षा दे रहा था और इससे मुझे पढ़ाई में काफी मदद मिली।"
बेटे की सप्लीमेंट्री परीक्षा की तैयारी में मदद करेंगे भास्कर
भास्कर ने बताया कि वे परीक्षा की तैयारी के लिए अपना काम खत्म कर घर लौटने के बाद प्रतिदिन पढ़ाई करते थे। उन्होंने खुशी जाहिर की कि वह इस परीक्षा को पास कर सके, लेकिन वहीं दूसरी तरफ उन्हें इस बात का दुख भी है कि उनका बेटा दो विषयों में फेल हो गया। उन्होंने कहा, "मैं अपने बेटे की सप्लीमेंट्री परीक्षा की तैयारी में मदद करूंगा। मुझे भरोसा है कि वह इन विषयों में पास हो जाएगा।"
बेटे ने पिता के पास होने पर जताई खुशी
साहिल ने नतीजे आने के बाद मिली-जुली प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए कहा, "मुझे खुशी है कि मेरे पिता ने वह किया जो वह हमेशा से करना चाहते थे। लेकिन मैं भी हार नहीं मानूंगा। मैं सप्लीमेंट्री परीक्षा की तैयारी करूंगा और सभी विषयों को पास करने की कोशिश करूंगा।" शुक्रवार को घोषित परिणामों के अनुसार, इस बार कक्षा 10 का पास प्रतिशत 96.94 प्रतिशत रहा। पिछले शैक्षणिक सत्र बोर्ड कोरोना वायरस महामारी के कारण परीक्षा आयोजित नहीं हो सकी थीं।