AICTE ने इस साल 20 संस्थानों को दी क्षेत्रीय भाषाओं में इंजीनियरिंग पढ़ाने की मंजूरी
शैक्षणिक वर्ष 2022-23 में क्षेत्रीय भाषाओं में इंजीनियरिंग की पढ़ाई कराने वाले संस्थानों की संख्या दोगुनी हो गई है। अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE) ने इस वर्ष क्षेत्रीय भाषाओं में बैचलर ऑफ टेक्नोलॉजी (BTech) डिग्री कार्यक्रमों की पढ़ाई के लिए 20 अन्य संस्थानों को मंजूरी दे दी है। इससे अब देश के 11 राज्यों में क्षेत्रीय भाषाओं में इंजीनियरिंग की पढ़ाई कराने वाले संस्थानों की संख्या कुल 39 हो गई है।
मध्य प्रदेश में हैं क्षेत्रीय भाषाओं में इंजीनियरिंग पढ़ाने वाले सबसे अधिक संस्थान
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, ऐसे संस्थानों की सबसे बड़ी संख्या अब मध्य प्रदेश (12) में है, इसके बाद तमिलनाडु (10) और उत्तर प्रदेश (4) हैं। बता दें कि इस वर्ष गुजराती भाषा को क्षेत्रीय भाषाओं में इंजीनियरिंग की पढ़ाई कराने के लिए जोड़ा गया है। इसमें हिंदी, मराठी, तेलुगु, कन्नड़, तमिल और बंगाली भाषा पहले से शामिल हैं। इनमें हिंदी सबसे लोकप्रिय है, देश के 21 संस्थानों ने हिंदी भाषा में इंजीनियरिंग पढ़ाने का विकल्प चुना है।
BTech और डिप्लोमा के कुल 62 कोर्सेज क्षेत्रीय भाषाओं में होंगे उपलब्ध
BTech और डिप्लोमा के कुल 62 कोर्सेज क्षेत्रीय भाषाओं में उपलब्ध कराए जाएंगे। इनमें कंप्यूटर इंजीनियरिंग, सिविल इंजीनियरिंग और मेकेनिकल इंजीनियरिंग से लेकर इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी और ऐसे कई अन्य कोर्सेज की शिक्षा क्षेत्रीय भाषाओं में प्रदान की जाएगी। यह पहल राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 (NEP) के तहत की जा रही है, जिसमें छात्रों को हर स्तर पर क्षेत्रीय भाषाओं में शिक्षा दिए जाने पर जोर दिया गया है। इसका विद्यार्थियों को बड़ा फायदा मिलने की उम्मीद है।
AICTE अध्यक्ष ने उच्च शिक्षा में क्षेत्रीय भाषाओं को शामिल करने पर दिया था जोर
NEP 2020 के दो साल पूरे होने पर हाल ही में एक पैनल चर्चा में AICTE के अध्यक्ष अनिल सहस्रबुद्धे ने उच्च शिक्षा में क्षेत्रीय भाषाओं को शामिल करने की आवश्यकता पर जोर दिया था। उन्होंने कहा, "NEP 2020 को समझने के बाद हमने पाया कि ऐसा कोई नियम नहीं है जो मातृभाषा में सीखने और सिखाने (उच्च शिक्षा के लिए) से रोकता हो। यह एक मिथक है कि इसे केवल अंग्रेजी में पढ़ाया जा सकता है।"
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से पुस्तकों का क्षेत्रीय भाषाओं में हो रहा अनुवाद
उन्होंने इस दौरान आगे कहा, "हमने इसे बहुत गंभीरता से लिया और अपने सभी इंजीनियरिंग संस्थानों को मातृभाषा में पढ़ाने पर विचार करने के लिए कहा।" सहस्रबुद्धे ने कहा कि पहले इस तरह की पहल सफल नहीं हो पाई थी, क्योंकि भारतीय भाषाओं में अध्ययन सामग्री उपलब्ध नहीं थी। उन्होंने कहा कि अब परिषद आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के टूल का उपयोग करके पुस्तकों का क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद कर रही है।
पहले साल केवल 225 छात्रों ने क्षेत्रीय भाषाओं में इंजीनियरिंग करने के लिए लिया था प्रवेश
बता दें कि यह दूसरा वर्ष है जब AICTE ने NEP, 2020 के प्रावधानों के अनुरूप इंजीनियरिंग कॉलेजों को क्षेत्रीय भाषाओं में BTech कोर्स शुरू करने की अनुमति दी है। इस पहल के पहले वर्ष की शुरुआत धीमी रही। पहले वर्ष इंजीनियरिंग कॉलेजों को कुल 1,230 छात्रों को प्रवेश देने की मंजूरी मिली थी, लेकिन केवल 225 छात्रों ने ही प्रवेश लिया था। इसमें सबसे अधिक 116 छात्रों हिंदी भाषा में BTech करने का निर्णय लिया था।