देश में 2020-21 से नहीं खुलेंगे नये इंजीनियरिंग कॉलेज, यह है वजह
देश में 2020-21 के अकादमिक सत्र से कोई भी नया इंजीनियरिंग कॉलेज नहीं खोला जाएगा। दरअसल, अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE) ने फैसला किया है कि अगले अकादमिक सत्र से किसी भी नए इंजीनियरिंग कॉलेज की अनुमति नहीं दी जाएगी। इस पॉलिसी पर हर दो साल में रिव्यू किया जाएगा। AICTE चैयरमेन अनिल सहस्त्रबुद्धे ने बताया कि परिषद ने बीवीआर मोहन रेड्डी कमेटी की सिफारिशों के आधार पर यह कदम उठाया गया है।
क्या थी कमेटी की सिफारिशें?
सरकार द्वारा गठित IIT हैदराबाद के चैयरमेन बीवीआर मोहन रेड्डी की अध्यक्षता वाली कमेटी ने सिफारिश की थी कि नए इंजीनियरिंग कॉलेज नहीं खोले जाने चाहिए। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि अगले अकादमिक सत्र से केवल मौजूदा कॉलेजों को ही नए कोर्स शुरू करने या परंपरागत कोर्स की जगह नई तकनीक वाले कोर्स शुरू करने की अनुमति दी जानी चाहिए। वहीं मौजूदा सीट बढ़ाने के लिए मौजूदा कॉलेजों को AICTE की जांच से गुजरना होगा।
नए कोर्स शुरू करने की सिफारिश
दिसंबर में सौंपी गई अपनी सिफारिशों में कमेटी ने कहा था कि नए कॉलेज बनाने की बजाय नई तकनीकों वाले कोर्स पर ध्यान देने की जरूरत है। इसके लिए कमेटी ने AICTE से आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (AI), ब्लॉकचेन, रोबोटिक्स, क्वांटम कंप्यूटिंग, डाटा साइंस, साइबर सिक्योरिटी, 3D प्रिंटिंग और डिजाइन के लिए अंडरग्रेजुएट इंजीनियरिंग कोर्स चलाने की सिफारिश की है। AICTE ने कमेटी की रिपोर्ट की स्वीकार करते हुए इसकी सिफारिशों को अपनी हैंडबुक में प्रकाशित किया है।
इंजीनियरिंग में दाखिला नहीं ले रहे छात्र
दिसंबर, 2017 में इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि AICTE से मान्यता प्राप्त देशभर के 3,291 कॉलेजों में लगभग 51 फीसदी सीटें खाली थीं। पढ़ाई के लिए खराब माहौल, दाखिले में अनियमितताओं, भ्रष्टाचार, लैब और शिक्षकों की कमी और उद्योगों के साथ संपर्क नहीं होने के कारण इन कॉलेजों से पढ़कर जाने वाले छात्रों को रोजगार मिलने में मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। इस वजह से इंजीनियरिंग से लोगों का मोहभंग हो रहा है।
कम की गई थी सीटें
इसके कुछ समय बाद ही AICTE ने 2018-19 सत्र में इंजीनियरिंग की सीटों को घटाने का फैसला किया था। परिषद के फैसले के बाद B.Tech और M.Tech की 1.67 लाख सीटें कम हो गई थी। यह पिछले पांच सालों में घटाई गई सीटों की सबसे बड़ी संख्या है। इससे पहले 2017-18 में हजारों की संख्या में सीटें कम की गई थी। इंजीनियरिंग कॉलेजों में दाखिलों में आ रही गिरावट के बीच मोहन रेड्डी कमेटी का गठन किया गया था।