क्या भविष्य में कंप्यूटर दे पाएगा संगीत की दुनिया में इंसानों को मात?
क्या है खबर?
आज इतने सालों के बाद भी बीटल्स के गीत और धुनें सबको अपना दीवाना बना लेती हैं, लेकिन अब नया दौर आ गया है।
आने वाले दिनों में संगीत नए रूप में सबके सामने पेश हो सकता है। भविष्य में शायद कंप्यूटर ही गीत लिखेंगे और धुनें भी बनाएँगे।
आगे चलकर यह भी हो सकता है कि आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस (AI) इतनी अक़्लमंद हो जाए कि ख़ुद गाना भी गाए।
आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस
AI से तैयार की जा रही है नई तरह की आवाज़ें
साल 1957 में सबसे पहले कंप्यूटर से धुन तैयार की गई थी, जिसका नाम 'इलियाक स्वीट' था।
इस धुन को इलिनॉय यूनिवर्सिटी के कम्प्यूटर शोधकर्ताओं के बनाए इलियाक वन कंप्यूटर ने तैयार किया था।
तब से लेकर आज तक अक़्लमंद मशीनों के संगीत ने लंबा सफ़र तय कर लिया है। आज AI की मदद से गीत लिखे जा रहे हैं, नई धुनें बनाई जा रही हैं और नई तरह की आवाज़ें भी तैयार की जा रही हैं।
जानकारी
क्या है आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस?
आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस (AI) मानव और अन्य जंतुओं द्वारा प्रदर्शित प्राकृतिक बुद्धि के विपरीत मशीनों द्वारा प्रदर्शित बुद्धि है। AI एक ऐसा संयंत्र है जो पर्यावरण को देखकर अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने की कोशिश करता है।
एल्बम
एल्बम 'हेलो वर्ल्ड' को 50 लाख से ज़्यादा लोगों ने सुना
बीटल्स से प्रेरणा लेकर, सोनी के CSL रिसर्च लैब की फ्लो मशीन ने पहला AI पॉप गीत 'डैडीज कार' तैयार किया।
गीत को लिखने के लिए AI सॉफ़्टवेयर ने कुछ धुनों का सुझाव भी दिया। AI के बनाए गए एल्बम 'हेलो वर्ल्ड' को 50 लाख से ज़्यादा लोगों ने सुना है।
इस धुन को कनाडा के गीतकार किस्ज़ा ने गाया है। इसी तरह संगीतकार एलेक्स डा किड्स ने ट्रैक 'नॉट ईज़ी' को IBM के वॉटसन सॉफ़्टवेयर से तैयार किया था।
मशीन
इंसानी और मशीनी धुन में अंतर कर पाना है मुश्किल
स्वीडन के केटीएच रॉयल इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी और लंदन की किंगस्टन यूनिवर्सिटी ने मिलकर एक ऐसी मशीन तैयार की है, जिसकी मदद से मात्र 14 घंटो में एक लाख लोक धुनें तैयार कर ली गईं।
हालाँकि केवल 20 प्रतिशत धुनें ही बहुत अच्छी थीं। इनमें से लगभग 3,000 धुनें सुनने के बाद पेशेवर संगीतकारों ने इनकी तारीफ़ की।
कई लोगों को मशीनी धुन और इंसान की धुन में फ़र्क़ करके के लिए कहा गया और वो नहीं कर पाए।
धुन
मशीनों द्वारा बनाई धुनें लोकप्रियता के मामले में होंगी पहले स्थान पर
यूट्यूबर टैरिन सदर्न कहती हैं कि, AI की मदद से कई विचारों को तकनीक की मदद से साकार करने की अपार सम्भावनाएँ हैं।
हाल ही में सदर्न ने AI की मदद से अपने एल्बम 'ब्रेक फ़्री' को तैयार किया था। इसके लिए उन्होंने एम्पर, IBM के वॉटसन और गूगल के मैजेंटा सॉफ़्टवेयर की मदद ली थी।
सदर्न और उनके जैसे कई संगीतकारों का मानना है कि बहुत जल्द मशीनों द्वारा बनाई धुनें लोकप्रियता के मामले में पहले स्थान पर होंगी।