स्कूल शिक्षा प्रणाली में आने वाले हैं ये 10 प्रमुख बदलाव
नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क (NCF) के प्री ड्राफ्ट में स्कूल शिक्षा प्रणाली में कई बदलाव किए गए हैं। NCF प्रमुख दस्तावेज है, जिसके आधार पर किताबों को तैयार किया जाता है। इसे 2005 में आखिरी बार बदला गया था। नई शिक्षा नीति 2020 के तहत NCF को अब नए सिरे से तैयार किया जा रहा है। NCF पढ़ाई के तरीके, मूल्यांकन और विषयों के विकल्प समेत कई पहलुओं पर बदलाव करेगा। इसे CBSE, ICSE समेत सभी बोर्ड अपनाएंगे।
NCF और राष्ट्रीय शिक्षा नीति में संबंध
राष्ट्रीय शिक्षा नीति के जरिए तय किया जाता है कि देश में बच्चों की पढाई-लिखाई कैसी होगी। अब तक 4 शिक्षा नीतियां आ चुकी हैं। पहली शिक्षा नीति साल 1968 में आई। दूसरी साल 1972 में और तीसरी साल 1986 में आई। 2020 में चौथी शिक्षा नीति आई है। इस नीति में 5+3+3+4 का सिस्टम है। NCF इसी शिक्षा नीति का हिस्सा है। NCF को इससे पहले 4 बार संशोधित किया जा चुका है। अब पांचवी बार बड़ा संशोधन होगा।
9वीं से लेकर 12वीं तक हो रहे बड़े बदलाव
1- 9वीं से 12वीं को 2 चरणों में बांटा जाएगा। पहला 9वीं और 10वीं और दूसरा 11वीं और 12वीं। पहले चरण में विज्ञान, सामाजिक विज्ञान और मानविकी जैसे विषय पढ़ाएं जाएंगे। दूसरे चरण में इतिहास, फिजिक्स और भाषा को जोड़ा गया है। 2- 9वीं से लेकर 12वीं तक पढ़ाई में करिकुलम एरिया को जोड़ा गया है। करिकुलम पाठ्यक्रम में मानविकी, गणित और कम्यूटर, वोकेशनल शिक्षा, शारीरिक शिक्षा, आर्ट्स, सामाजिक विज्ञान, विज्ञान, अंतःविषय क्षेत्र शामिल हैं।
सेमेस्टर सिस्टम लागू होगा
3- 9वीं-10वीं और 11वीं-12वीं में छात्रों को 8 करिकुलम एरिया में से कुल 16-16 पाठ्यक्रम चुनने होंगे। हर एरिया में से 2-2 कोर्स पास करने होंगे। 4- NCF में 12वीं में सेमेस्टर लागू करने का प्रस्ताव रखा गया है यानि 12वीं की बोर्ड परीक्षाएं साल में कम से कम 2 बार आयोजित की जाएंगी। छात्र पहले सेमेस्टर में उन विषयों की परीक्षा दे सकेंगे जिनकी तैयारी उन्होंने पूरी कर ली है। बाकी विषय की परीक्षा दूसरे सेमेस्टर में दे सकेंगे।
अब गणित के साथ इतिहास पढ़ना होगा संभव
5- वर्तमान में 12वीं में केवल 5 विषय होते हैं। इन विषयों में आर्ट्स, विज्ञान और कॉमर्स शामिल हैं। छात्र केवल अपनी स्ट्रीम के विषयों की पढ़ाई कर सकते हैं, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। नई स्कूल शिक्षा प्रणाली में छात्र गणित के साथ इतिहास या फिजिक्स के साथ इतिहास की पढ़ाई कर सकेंगे। 6- अभी 9वीं और 10वीं केवल 5 विषय में पास होना अनिवार्य था, लेकिन अब विषयों की संख्या 8 हो जाएगी।
8वीं तक भी हुए कई बदलाव
7- 3 से 8 साल के बच्चों को पढ़ाने के लिए खेल आधारित शिक्षा पर फोकस किया जाएगा ताकि बच्चों की रूचि स्कूल में बनी रहे। 6वीं से 8वीं तक के पाठ्यक्रम में कॉन्सेप्ट मजबूत करने पर जोर दिया जाएगा। इन कक्षाओं में पूरे साल के दौरान अलग-अलग टेस्ट लेने की सिफारिश की गई है। 8- स्कूलों में जाति, धर्म, लिंग के आधार पर भेदभाव नहीं होगा। कक्षाओं में बैठने की व्यवस्था, यूनिफॉर्म में बदलाव किया जाएगा।
गणित में भी होगा प्रोजेक्ट वर्क
9- NCF में शिक्षा को रचनात्मक बनाने पर जोर देने की सिफारिश की गई है। NCF में कहा गया है कि बच्चों को शुरुआती कक्षाओं से ही गणित, विज्ञान जैसे विषय रोचक तरीके से पढ़ाए जाएं। शिक्षकों को अपने पढ़ाने के तरीके में बदलाव लाना होगा। 10- इसके अलावा गणित में भी प्रैक्टिकल और प्रोजेक्ट वर्क को अहमियत दी जाएगी। लिखित परीक्षा के अंक के साथ प्रैक्टिकल परीक्षा के अंकों को जोड़कर परिणाम बनाया जाएगा। इसका अनुपात 80-20 का रहेगा।