विश्व बैंक: भारत की विकास दर का अनुमान घटाया, कहा- धीरे-धीरे पटरी पर आ जाएगी अर्थव्यवस्था
क्या है खबर?
केंद्र सरकार के मंत्री देश पर छाई आर्थिक मंदी की बात को कितना भी झुठलाना चाहें, लेकिन रोजाना सामने आते आंकड़े इशारा करते हैं कि देश की अर्थव्यवस्था में सब कुछ ठीक नहीं है।
पहले अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) प्रमुख ने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में गिरावट का भारत पर ज्यादा असर देखने को मिल रहा है और अब विश्व बैंक ने इस साल के लिए भारत की विकास दर घटाकर 6 प्रतिशत कर दी है।
आर्थिक मंदी
विश्व बैंक का अनुमान, धीरे-धीरे पटरी पर आ जाएगी अर्थव्यवस्था
रविवार को दक्षिण एशिया आर्थिक फोकस के अपने ताजा संस्करण में विश्व बैंक ने भारतीय अर्थव्यवस्था के मंदी से उभरने की उम्मीद भी जताई है।
विश्व बैंक के अनुसार, 2021 में भारत की विकास दर फिर से 6.9 प्रतिशत पर पहुंच जाएगी। इसके अगले साल 2022 में इसके 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है।
विश्व बैंक ने ये मानते हुए ये अनुमान लगाए हैं कि इस दौरान भारत की मौद्रिक नीतियां उदार रहेंगी।
रिपोर्ट
दो साल से गिर रही भारत की विकास दर
विश्व बैंक ने अपने रिपोर्ट में लगातार दूसरे साल भारत की आर्थिक विकास दर की रफ्तार गिरने का संज्ञान लिया है।
जहां 2017-18 में भारत की विकास दर 7.2 प्रतिशत थी, वहीं 2018-19 में ये गिरकर 6.8 प्रतिशत हो गई।
हालांकि इस दौरान मैन्युफैक्चरिंग और कंस्ट्रक्शन गतिविधियां बढ़ने के कारण औद्योगिक उत्पादन विकास दर बढ़कर 6.9 प्रतिशत हो गई।
वहीं कृषि और सेवा क्षेत्र की विकास दर 2.9 प्रतिशत और 7.5 प्रतिशत रही।
गरीबी
गरीबी में कमी, लेकिन रफ्तार में आई गिरावट
रिपोर्ट में 2019-20 की पहली तिमाही में विकास दर कम रहने को कम करने आंका गया है।
बता दें कि अप्रैल-जून तिमाही में भारत की विकास दर पांच प्रतिशत रही थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि एक तरफ निजी खपत में कमी हुई, वहीं दूसरी तरफ इंडस्ट्री और सेवा दोनों क्षेत्रों में गिरावट देखने को मिली।
इसमें बताया गया है कि भारत में गरीबी में कमी तो हुई, लेकिन इसकी रफ्तार में गिरावट देखने को मिली है।
जानकारी
नोटबंदी और GST से गरीब परिवारों पर खतरा बढ़ा
विश्व बैंक ने ये भी कहा है कि नोटबंदी और GST जैसी योजनाओं, ग्रामीण अर्थव्यवस्था में धीमे विकास और शहरी इलाकों में बेरोजगारी बढ़ने के कारण सबसे गरीब परिवारों पर खतरा बढ़ा है।
मूडीज क्रेडिट एजेंसी
मूडीज ने भी कम किया था विकास दर का अनुमान
बता दें कि विश्व बैंक से पहले क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज ने 2019-20 में भारत की विकास दर का अनुमान घटाकर 5.8 प्रतिशत कर दिया था।
इससे पहले उसने विकास दर 6.2 प्रतिशत रहने की उम्मीद जताई थी।
मूडीज ने ये भी कहा था कि अगर अर्थव्यवस्था में सुस्ती जारी रही तो भारत सरकार की राजकोषीय घाटा कम करने को कोशिशों को झटका लगेगा और उस पर कर्ज का बोझ बढ़ भी सकता है।
RBI और IMF
RBI और IMF ने भी स्वीकार की आर्थिक मंदी की बात
मूडीज की तरह भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने भी 2019-20 में देश की विकास दर का अनुमान घटाकर 6.1 प्रतिशत कर दिया था।
इससे पहले RBI ने विकास दर 6.9 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था, यानि उसने अपने अनुमान में 0.8 प्रतिशत की कमी की।
इसके अलावा IMF प्रमुख क्रिस्टालिना जॉर्जिएवा ने भी बीते दिनों कहा था कि वैश्विक मंदी का सबसे ज्यादा असर भारत पर देखने को मिल रहा है और उसकी विकास दर कम रहेगी।
अजीबो-गरीब बयान
लेकिन मंत्री हैं कि मानने को तैयार नहीं
अर्थव्यवस्था की स्थिति को लेकर इन सभी विश्वसनीय संगठनों और एजेंसियों की चेतावनी के बावजूद केंद्र सरकार है कि आर्थिक मंदी मानने को तैयार नहीं है।
आर्थिक मंदी पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और पियूष गोयल के अजीबो-गरीब बयानों के बाद अब कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा है कि अर्थव्यवस्था के कुछ गड़बड़ नहीं है क्योंकि तीन फिल्मों ने एक दिन के अंदर 100 करोड़ रुपये से अधिक कमाई की।