वीवर्क ने दायर किया दिवालियापन, कर्ज और घाटे से रही है जूझ
को-वर्किंग स्पेस उपलब्ध कराने वाली कंपनी वीवर्क ने अमेरिका में दिवालियापन के लिए आवेदन किया है। बड़े कर्ज और भारी घाटे से जूझ रही कंपनी ने अपने ऊपर 83,000 करोड़ रुपये से 4 लाख करोड़ रुपये तक की देनदारियों की सूचना दी है। यह आवेदन वीवर्क को उसके लेनदारों से कानूनी सुरक्षा और जमीन के मालिकों के साथ बातचीत के लिए सुविधा प्रदान करेगी। बता दें कि कंपनी ने पहले ही कह दिया था कि उसका जारी रहने संदेहास्पद है।
अमेरिका और कनाडा तक सीमित है दिवालियापन
कंपनी ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि दिवालियापन फाइलिंग अमेरिका और कनाडा में वीवर्क के लोकेशन तक ही सीमित है। रेगुलेटरी फाइलिंग के अनुसार, कंपनी दुनिया भर में 777 स्थानों पर लाखों वर्ग फुट क्षेत्र लीज पर देती है। वीवर्क ने किर्कलैंड एंड एलिस और कोल शोट्ज को कानूनी सलाहकार के रूप में नियुक्त किया है। C स्ट्रीट एडवाइजरी ग्रुप और अल्वारेज एंड मार्सल के समर्थन के साथ PJT पार्टनर्स वीवर्क के निवेश बैंक के रूप में काम करेगा।
को-वर्किंग स्पेस की मांग में कमी
कंपनी को बीते कुछ वर्षों से कई चुनौतियों से जूझ रही है। वीवर्क को सबसे बड़ी मुश्किल को-वर्किंग स्पेस की मांग में लगातार आने वाली गिरावट से हुई है। रिपोर्ट के मुताबिक, कोरोना वायरस के दौरान वीवर्क की परेशानियां और बढ़ गईं, जब कंपनियों ने अपने ऑफिस खाली कर दिए और कर्मचारी घरों से काम करने लगे। कुछ कंपनियों ने ऑफिस खोले हैं, लेकिन को-वर्किंग स्पेस की मांग महामारी से पहले के दिनों जैसी नहीं रह गई है।
पूर्व CEO और को-फाउंडर ने कही यह बात
दिवालियापन की कगार पर पहुंचना वीवर्क के लिए एक बड़ा उलटफेर है। इस कंपनी की वर्ष 2019 में निजी तौर पर लगभग 4 लाख करोड़ कीमत थी, लेकिन यह बहुत कम कीमत पर पब्लिक हुई। पूर्व CEO और को-फाउंडर एडम न्यूमैन ने कहा कि दिवालियापन दायर करना निराशाजनक है। न्यूमैन ने CNBC से एक इंटरव्यू में कहा कि वीवर्क एक ऐसे प्रोडक्ट का लाभ उठाने में विफल रही, जो आज पहले से कहीं अधिक प्रासंगिक है।
राजस्व बढ़ने के बाद भी कंपनी दिखा रही थी घाटा
को-वर्किंग स्पेस उपलब्ध कराने वाली 13 वर्ष पुरानी इस कंपनी ने अगस्त में दूसरी तिमाही के लिए लगभग 7,200 करोड़ रुपये के राजस्व पर लगभग 3,200 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा दिखाया था, जबकि कंपनी का राजस्व साल-दर-साल 4 प्रतिशत बढ़ रहा था। उसी समय कंपनी ने परिचालन जारी रखने की अपनी क्षमता के बारे में संदेह जताया था। इस साल कंपनी के CEO संदीप मथरानी सहित कई शीर्ष अधिकारी भी कंपनी छोड़कर चले गए हैं।