डॉलर के मुकाबले सबसे निचले स्तर पर पहुंचा रुपया, ये हैं गिरावट की वजहें
भारतीय रुपया आज (19 दिसंबर) अमेरिकी डॉलर के मुकाबले सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया। यह बीते दिन 84.95 प्रति डॉलर पर बंद होने के बाद 85 प्रति डॉलर पर खुला। इसके पीछे वैश्विक और घरेलू कारकों का असर है, जिनकी वजह से मुद्रा पर दबाव बना हुआ है। डॉलर के मुकाबले रुपया की गिरावट लगातार जारी है, जिससे वित्तीय बाजारों में अस्थिरता देखी जा रही है। इस गिरावट से भारतीय अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।
अमेरिकी फेड का प्रभाव है रुपये की कमजोरी का प्रमुख कारण
अमेरिकी फेडरल रिजर्व की कड़ी नीतियों ने रुपये पर दबाव डाला है। दिसंबर में फेड ने केवल 2 बार दरों को घटाने का अनुमान जताया, जबकि पहले 4 बार कटौती की उम्मीद थी। इससे डॉलर मजबूत हुआ और रुपये की कीमत घट गई। मुद्रास्फीति और वैश्विक आर्थिक समस्याओं ने भी डॉलर को ताकत दी। इन हालात में रुपये की कीमत और घट सकती है, क्योंकि डॉलर के मुकाबले रुपये की मांग कम हो रही है।
भारत का व्यापार घाटा और घरेलू आर्थिक मंदी
भारत का व्यापार घाटा नवंबर में लगभग 3,218 अरब रुपये तक बढ़ गया, जो अक्टूबर से बहुत अधिक था। सोने के आयात और निर्यात में कमी ने इसे और बढ़ा दिया। इसके साथ ही, भारत की धीमी आर्थिक वृद्धि ने रुपये की स्थिति को और खराब किया है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) रुपये को स्थिर करने की कोशिश कर रहा है, लेकिन उसे इसमें मुश्किलें आ रही हैं। आर्थिक मंदी के कारण रुपये पर और दबाव बढ़ता जा रहा है।
विदेशी पूंजी प्रवाह में कमी और वैश्विक तनाव
भारत में धीमी आर्थिक वृद्धि और अस्थिर शेयर बाजार ने विदेशी निवेशकों को कम आकर्षित किया है। इस कारण भारतीय बाजार से पैसे बाहर जा रहे हैं, जिससे रुपये की मांग घट रही है। साथ ही, वैश्विक व्यापार तनाव और अमेरिका की नीतियों ने रुपये पर असर डाला है। अमेरिकी डॉलर की ताकत बढ़ने से रुपये की स्थिति और कमजोर हो सकती है। इन कारणों से रुपये की कीमत घट रही है।
अमेरिकी चुनाव और ट्रंप की नीतियां
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव और डोनाल्ड ट्रंप की व्यापार नीतियां वैश्विक बाजारों को प्रभावित कर रही हैं। ट्रंप के राजकोषीय कदम और व्यापार नीतियों में बदलाव से डॉलर और मजबूत हो सकता है। इससे रुपये की कीमत और गिर सकती है। विश्लेषकों का कहना है कि यह स्थिति रुपये जैसी उभरती हुई बाजार मुद्राओं के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकती है। ट्रंप की नीतियों से रुपये पर और दबाव पड़ सकता है।