
भारत में पहला लिविंग विल क्लिनिक शुरू, जानिए क्या होता है इसका काम
क्या है खबर?
भारत ने अपना पहला लिविंग विल क्लिनिक मुंबई में शुरू किया है। यह पहल पीडी हिंदुजा अस्पताल द्वारा की गई है। इस क्लिनिक का मकसद लोगों को गंभीर स्वास्थ्य स्थितियों में पहले से ही अपनी इलाज संबंधी इच्छाएं तय करने में मदद देना है। अस्पताल ने इसे देश की पहली ऐसी सुविधा बताया है, जहां मरीज अपनी भविष्य की मेडिकल देखभाल के लिए कानूनी दस्तावेज तैयार कर सकते हैं।
विल
लिविंग विल का मतलब क्या होता है?
लिविंग विल एक कानूनी दस्तावेज होता है, जिसमें कोई व्यक्ति यह तय कर सकता है कि किसी गंभीर या आकस्मिक हालत में, जब वह बोल या सोच न सके, तो उसे कौन-सा इलाज दिया जाए। यह दस्तावेज कोमा, मनोभ्रंश या अन्य आपात स्थितियों में मदद करता है। इसमें व्यक्ति पहले से अपनी मेडिकल प्राथमिकताओं को लिख सकता है, ताकि डॉक्टर या परिवार बाद में उसकी मर्जी के अनुसार निर्णय लें।
उपयोग
इसका उपयोग कैसे होता है और क्यों जरूरी है?
लिविंग विल दस्तावेज मरीजों को मैकेनिकल वेंटिलेशन, डायलिसिस, फीडिंग ट्यूब या सिर्फ दर्द निवारक इलाज जैसी प्राथमिकताएं तय करने की सुविधा देता है। यह दस्तावेज अस्पताल या डॉक्टर के लिए भी एक स्पष्ट दिशा तय करता है। इसका असर तभी शुरू होता है जब व्यक्ति खुद निर्णय लेने की स्थिति में नहीं होता, जैसे बेहोशी या गंभीर बीमारी। इससे इलाज से जुड़ा नियंत्रण मरीज के हाथ में रहता है और परिवार को भी सही दिशा मिलती है।
कानूनी स्थिति
अन्य देश और भारत में कानूनी स्थिति
2018 में सुप्रीम कोर्ट ने भारत में लिविंग विल को वैध घोषित किया। कोई व्यक्ति 2 विश्वसनीय लोगों को अपनी ओर से निर्णय लेने के लिए अधिकृत कर सकता है, जिनकी उम्र 18 वर्ष से अधिक होनी चाहिए। अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, जर्मनी, स्विट्जरलैंड जैसे कई देशों में पहले से यह व्यवस्था है। इन देशों में लिविंग विल को कानूनी मान्यता मिली हुई है और गंभीर स्थितियों में यह काफी मददगार साबित होता है।