
अपने डिजिटल खर्च को कम करके कैसे करें बचत?
क्या है खबर?
डिजिटल युग में लोगों का खर्चा काफी बढ़ गया है और इसका सबसे अधिक असर युवा वर्ग पर देखा जा रहा है।
UPI और अन्य डिजिटल भुगतान साधनों ने ट्रांजैक्शन को बेहद आसान बना दिया है, लेकिन इसके चलते लोगों को अपने खर्चों का अंदाजा तक नहीं रहता।
अलग-अलग सब्सक्रिप्शन सेवाएं जैसे स्ट्रीमिंग ऐप, क्लाउड स्टोरेज, और इन-ऐप खरीदारी मिलकर मासिक बजट को बिगाड़ देती हैं।
हालांकि, सही योजना से इन खर्चों को काबू में रखा जा सकता है।
अनावश्यक सब्सक्रिप्शन
अनावश्यक सब्सक्रिप्शन बन सकते हैं खर्च का कारण
स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म, म्यूजिक ऐप और अन्य डिजिटल सेवाओं की सदस्यता आज हर किसी की जरूरत बन चुकी है।
हालांकि, कई बार हम जिन सेवाओं की सदस्यता लेते हैं, उनका नियमित उपयोग नहीं कर पाते। हर सब्सक्रिप्शन अपने-आप में छोटा दिख सकता है, लेकिन इनका योग मासिक खर्च को काफी बढ़ा देता है।
ऐसे में जरूरी है कि समय-समय पर सब्सक्रिप्शन की समीक्षा की जाए और अप्रयुक्त सेवाएं रद्द कर दी जाएं, ताकि बचत हो सके।
क्लाउड स्टोरेज
क्लाउड स्टोरेज और इन-ऐप खर्च पर दें ध्यान
क्लाउड स्टोरेज डिजिटल जीवन का अहम हिस्सा बन गया है, लेकिन जैसे-जैसे डाटा बढ़ता है, इसकी लागत भी बढ़ती जाती है। वहीं, मोबाइल ऐप्स में की जाने वाली इन-ऐप खरीदारी भी एक बड़ी खर्च की वजह बनती है।
इन दोनों खर्चों पर समय रहते ध्यान न दिया जाए तो ये चुपचाप बजट को बिगाड़ सकते हैं। क्लाउड डाटा की सफाई और इन-ऐप खर्च पर सीमाएं तय करके हम इन लागतों को बेहतर ढंग से नियंत्रित कर सकते हैं।
लाइसेंसिंग शुल्क
लाइसेंसिंग शुल्क भी बनते हैं खर्च
सॉफ्टवेयर लाइसेंसिंग शुल्क, खासकर व्यवसायों के लिए, एक स्थायी और नियमित खर्च होता है।
ऑफिस टूल्स से लेकर स्पेशलाइज्ड ऐप्स तक, सभी को कानूनी रूप से चलाने के लिए लाइसेंसिंग की आवश्यकता होती है। ये शुल्क मासिक या वार्षिक आधार पर लगते हैं और लंबे समय में बड़ा खर्च बन जाते हैं।
इसलिए, जरूरी है कि उपयोग में न आने वाले टूल्स की समीक्षा की जाए और केवल जरूरी सॉफ्टवेयर पर ही निवेश किया जाए।