
दाल, घी समेत कई चीजें हो सकती हैं सस्ती, GST कम कर सकती है सरकार- रिपोर्ट
क्या है खबर?
आम लोगों को जल्द ही महंगाई से बड़ी राहत मिल सकती है। खबर है कि सरकार दाल, चायपत्ती, बेसन और घी जैसी रोजमर्रा की चीजों पर वस्तु एवं सेवा कर (GST) कम कर सकती है। ये कदम निम्न और मध्यमवर्गीय परिवारों को राहत देने के लिए उठाया जा रहा है, क्योंकि GST संग्रह अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच चुका है। इंडिया टुडे ने सूत्रों के हवाले से ये जानकारी दी है।
रिपोर्ट
12 से घटकर 5 प्रतिशत हो सकता है GST
रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार कुछ जरूरी चीजों पर GST को 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर सकती है। एक प्रस्ताव यह भी है कि GST दरों में 12 प्रतिशत की स्लैब को पूरी तरह से खत्म किया जा सकता है। फिलहाल जिन वस्तुओं पर 12 प्रतिशत GST लगता हैं, उनमें से ज्यादातर आम नागरिकों द्वारा रोजमर्रा की जिंदगी में इस्तेमाल की जाती हैं। इससे मध्यम वर्ग और आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों को बड़ा फायदा होगा।
वस्तुएं
कौन-कौनसी वस्तुएं हो सकती हैं सस्ती?
फिलहाल जूते-चप्पल, मिठाई, कपड़े, साबुन, टूथपेस्ट, डेयरी उत्पाद, बेसन, दालें, घी जैसे कई रोजमर्रा के सामानों पर 12 प्रतिशत GST लगता है। अगर दरें कम हुईं तो ये सब सामान सस्ते हो सकते हैं। पनीर, खजूर, सूखे मेवे, पास्ता, जैम, पैकेज्ड फ्रूट जूस, नमकीन, छाते, टोपी, साइकिल, लकड़ी से बने फर्नीचर और पेंसिल भी इसी श्रेणी में आती है। रिपोर्ट के मुताबिक, विपक्षी राज्यों के साथ भाजपा शासित राज्यों ने भी GST में कटौती की मांग की है।
संग्रह
रिकॉर्ड स्तर पर GST संग्रह
सरकार GST दरें इसलिए भी कम कर सकती हैं, क्योंकि हर महीने GST संग्रह नए रिकॉर्ड बना रहा है। जून 2025 में GST संग्रह सालाना आधार पर 6.2 प्रतिशत बढ़कर 1.85 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया है, जो जून, 2024 में 1.73 लाख करोड़ रुपये था। वहीं, मई 2025 में GST संग्रह 2.01 लाख करोड़ रुपये था, जो मई, 2024 में आए 1.72 लाख करोड़ रुपये से 16.4 प्रतिशत अधिक है।
बैठक
GST परिषद की बैठक में हो सकता है फैसला
इसी महीने GST परिषद की 56वीं बैठक हो सकती है। माना जा रहा है कि इसमें दरें कम करने को लेकर अंतिम फैसला लिया जा सकता है। इस साल बिहार में और अगले साल केरल, पश्चिम बंगाल, पुडुचेरी, असम और तमिलनाडु में चुनाव होना है। इसे देखते हुए भी आम आदमी को राहत दिए जाने की उम्मीद है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पहले का था कि GST दरों को तर्कसंगत बनाया ज रहा है।