अब तक के सबसे बड़े संकट में ऑटो सेक्टर, 3.5 लाख लोगों की नौकरी गई- रिपोर्ट्स
क्या है खबर?
जहां पूरे देश का ध्यान जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म होने की बहस पर है, वहीं दूसरी ओर देश की अर्थव्यवस्था हर दिन के साथ बड़े संकट की ओर बढ़ती जा रही है।
इसकी एक बानगी ऑटो सेक्टर में आई बड़ी गिरावट से मिलती है।
कार और मोटरसाइकिल की ब्रिकी में आई गिरावट से ऑटो सेक्टर अपने अब तक के सबसे बड़े संकट में है और अप्रैल से अब तक 3.5 लाख कर्मचारियों को नौकरी से निकाला जा चुका है।
आंकड़े
रॉयटर्स की रिपोर्ट में सामने आए आंकड़े
समाचार एजेंसी 'रॉयटर्स' की एक रिपोर्ट के अनुसार, शुरूआती अनुमानों के मुताबिक ऑटो सेक्टर में अप्रैल से लेकर अभी तक 3.5 लाख लोगों को नौकरी से निकाला जा चुका है।
इसमें से 15,000 को कार और मोटरसाइकिल निर्माताओं ने निकाला है, जबकि वाहनों के पुर्जे बनाने वाली कंपनियों ने 1 लाख लोगों को नौकरी से निकाला है।
बाकी लोगों कौ नौकरियां डीलर्स का काम सुस्त पड़ने और उनके बंद होने के कारण गईं।
रिपोर्ट
इन कंपनियों ने की कर्मचारियों की छुट्टी
रॉयटर्स ने अपनी रिपोर्ट में 5 ऐसी कंपनियों का जिक्र किया है, जिन्होंने नौकरियों में कटौती की है या करने वाली हैं।
जापान की मोटरसाइकिल निर्माता कंपनी यामाहा मोटर्स और वाहनों के पुर्जे बनाने वाली कंपनियों वेलियो और सुब्रोस ने भारत में ब्रिकी में गिरावट आने के बाद 17,00 अस्थाई कर्मचारियों को नौकरी से निकाला है।
वहीं, ऑटो सप्लाइर व्हील्स इंडिया अपने 800 अस्थाई कर्मचारियों को नौकरी से निकाल सकता है।
संकट
लगातार नौवें महीने बिक्री में गिरावट जारी
भारत की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी मारूति सुजुकी ने पिछले 6 महीनों में अपने अस्थाई कर्मचारियों की संख्या में 6 प्रतिशत की कमी की है।
वहीं, होंडा मोटर्स, टाटा मोटर्स और महिंद्रा एंड महिंद्रा ने कम मांग को देखते हुए पिछले कुछ हफ्तों से निर्माण कार्य को रोका हुआ है।
जुलाई में यात्री वाहनों की बिक्री में लगातार नौवें महीने गिरावट दर्ज की गई।
कई कंपनियों को 30 प्रतिशत से अधिक मासिक गिरावट का सामना करना पड़ रहा है।
असर
अर्थव्यवस्था पर पड़ सकता है गहरा असर
ऑटो सेक्टर में संकट का अर्थव्यवस्था पर बहुमत गहरा असर पड़ सकता है।
ऑटो सेक्टर भारत की GDP में 7 प्रतिशत का योगदान देता है और इससे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर 3.5 करोड़ लोगों को नौकरी मिलती है।
भारत में बेरोजगारी दर पहले से ही अपने चरम पर है और इस संकट से ये और बढ़ सकती है।
निजी डाटा समूह CMIE के अनुसार, जुलाई 2019 में बेरोजगारी दर 7.51 प्रतिशत रही, जबकि पिछले साल ये 5.66 प्रतिशत थी।
चुनौती
मोदी सरकार के लिए कड़ी परीक्षा बना संकट
हाल ही में अपना दूसरा कार्यकाल शुरू करने वाली मोदी सरकार के लिए ऑटो सेक्टर में आया ये बड़ा संकट अच्छा संकेत नहीं है।
बेरोजगारी के मुद्दे पर पहले से ही सवालों का सामना कर रही सरकार की मुसीबतें इससे और बढ़ सकती हैं।
वित्त मंत्रालय बुधवार को इसके संबंध में बैठक भी करेगा, जिसमें सेक्टर को पुनर्जीवित करने के लिए टैक्स में कटौती और डीलर और ग्राहकों दोनों के लिए फाइनेंस तक आसान पहुंच की मांग उठ सकती है।