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    गाड़ियों में क्यों दी जाती है DRL और कब हुई थी इसकी शुरुआत?
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    ऑटो 1 मिनट में पढ़ें

    गाड़ियों में क्यों दी जाती है DRL और कब हुई थी इसकी शुरुआत?

    लेखन सोनाली सिंह
    Jan 31, 2022
    10:30 pm
    गाड़ियों में क्यों दी जाती है DRL और कब हुई थी इसकी शुरुआत?
    क्यों दी जाती है कारों में DRL?

    आजकल ज्यादातर कारों और मोटरसाइकिलों में आपको लाइटिंग फीचर्स के तौर पर DRL यानी दिन के समय भी जलने वाली लाइट देखने को मिलती है। इन्हे कम रोशनी की स्थितियों में खासकर सुरंगों, पुलों के नीचे और शाम या सुबह के समय कम रोशनी में भी ड्राइविंग करने के लिए बनाया गया है। इसकी मदद से आप सामने से आती गाड़ी को ज्यादा अच्छे से देख पाते हैं और दुर्घटना का शिकार होने से बचते हैं।

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    कब आई थी पहली DRL?

    पहली DRL लाइट को अमेरिका में बनाया गया था और वहां से बाकी देशों ने इसे आयात किया गया। बाद में इसे अमेरिका से निर्मित या बेची जाने वाली कारों में इस्तेमाल लिया जाने लगा। सुरक्षा मानकों को ध्यान में रखते हुए 1989 में मूल रूप से कनाडा में सबसे पहले इसे अनिवार्य किया गया। बाद में सुरक्षा मानकों के लिए इस फीचर को ज्यादातर देशों में अनिवार्य कर दिया है।

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    कैसे काम करती है DRL?

    ज्यादातर DRL कंप्यूटर मॉड्यूल और सेंसर पर आधारित होती हैं जो दिन में आस-पास के लाइट के स्तर को पहचान कर ऑटोमैटिक ऑन होती हैं। इस तरह कभी-कभी जब कार का इग्निशन चालू करते हैं तो कम लाइट होने की वजह से ये लाइटें भी अपने आप चालू हो जाती हैं। ये आमतौर पर हेडलैम्प्स की तुलना में कम पावर की होती हैं और हेडलाइट्स के पास या ऊपर में LED लाइट की एक पट्टी के रूप में होती हैं।

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    इसके हैं बहुत से फायदें

    कार में DRL को लगाने का खास मकसद कम रोशनी के समय सामने से आने वाली कारों को आपके कार की बेहतर विजिबिलिटी मुहैया कराना था, जिससे दुर्घटना की आशंका कम हो गई। इसके अलावा ये शानदार स्लिक लुक भी देते हैं, जिससे गाड़ी पहले से ज्यादा आकर्षक दिखने लगती है। अमेरिका और UK जैसे देशों में इसे पहले ही अनिवार्य कर दिया गया है, जबकि भारत जैसे देशों में यह अब नई गाड़ियों पर दिखाई दे रही हैं।

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    क्या ईंधन की ज्यादा खपत करती हैं DRL?

    ज्यादातर लोगों का मानना है कि हर समय लाइट जले रहने से ईंधन की खपत ज्यादा होती है, लेकिन ऐसा नहीं है। इस तरह की ज्यादातर लाइटें LED होती हैं और ऊर्जा की खपत को न्यूनतम स्तर पर रखती हैं। ये लाइटें मानक हेडलाइट्स द्वारा उपयोग की जाने वाली बिजली की तुलना में केवल एक अंश की खपत करती हैं। यही कारण है कि इन लाइटों के हर समय जलने पर भी ये कम ईंधन की खपत करती हैं।

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    लगातार DRL का जलना करता है इस बात का संकेत

    आमतौर पर जब आप अपनी कार स्टार्ट करते हैं तो ये लाइट्स चालू हो जाती हैं। इसके अलावा ब्रेक पेडल से अपना पैर हटाते हैं तो भी यह चालू हो जाती हैं। हालांकि, अगर कार के डैशबोर्ड पर DRL चेतावनी रोशनी लंबे समय तक चालू रहती है तो यह कार के हेडलैंप में लगी खराब बल्ब या DRL सर्किट में फ्यूज या रिले में आई खराबी की वजह से हो सकता है।

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    DRL चेतावनी रोशनी मिलने पर क्या करें?

    ज्यादातर केस में DRL चेतावनी रोशनी मिलने पर आपको हेडलाइट की एक बल्ब या एक फ्यूज को बदलना पड़े, लेकिन जटिल समस्या होने पर एक विशेषज्ञ तकनीशियन की आवश्यकता हो सकती है। बहुत बार कंप्यूटर में आई खराबी की वह से भी DRL के बारे में गलत जानकारी मिलती है। ऐसे में तकनीशियन आपकी कार को डायग्नोस्टिक कंप्यूटर से जोड़ कर समस्या की सही जानकारी देते हैं। DRL लाइट सुरक्षा संबंधी फीचर्स में से है और इसे अनदेखा नहीं करें।

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