कार के शीशों पर ब्लैक फिल्म लगाने पर नहीं कटेगा चालान? जानिए क्या कहते हैं नियम
कार की खिड़कियों या विंडशील्ड पर ब्लैक शीशे या सन कंट्रोल फिल्म लगाना एक विवादित मुद्दा रहा है। अक्सर आपने पुलिस को शीशों पर लगी ब्लैक फिल्म को उतारते या चालान काटते देखा होगा। हाल ही में केरल हाई कोर्ट ने 2 याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान दिए फैसले ने नया मोड ला दिया है। कोर्ट ने प्लास्टिक फिल्म या कूलिंग फिल्म लगाने से रोकने को गलत बताया है। आइये जानते हैं इसको लेकर नियम क्या कहते हैं।
2012 में सुप्रीम कोर्ट ने लगा दिया था बैन
केंद्रीय मोटर वाहन नियमों के मुताबिक विंडस्क्रीन के लिए न्यूनतम 70 फीसदी और खिड़कियों के लिए 50 फीसदी दृश्यता अनिवार्य है। इस नियम की पालना करते हुए ब्लैक फिल्म लगाना कानून अंतर्गत सही है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने सामाजिक कार्यकर्ता अविशेष गोयनका की याचिका पर सुनाई करते 4 मई, 2012 से वाहनों में ब्लैक स्क्रीन को बैन कर दिया था। कोर्ट ने कहा था कि वाहनों पर काली फिल्म लगे होने से जनता की सुरक्षा को खतरा होता है।
केरल हाईकोर्ट ने यह कहा
केरल उच्च न्यायालय के ताजा फैसले से कार चालकों को राहत मिलेगी, जो शीशों पर ब्लैक फिल्म लगवाना चाहते हैं। कोर्ट ने कहा कि अगर कार की खिड़कियों पर सेंट्रल मोटर व्हीकल एक्ट, 1989 के नियमों के तहत फिल्म लगी है, तो चालान करना गलत होगा। कार चालक अपनी जरूरत के अनुसार नियम अंतर्गत खिड़कियों पर प्लास्टिक फिल्म लगवा सकते हैं। हालांकि, पूरी तरह से काले शीशे या जीरो पारदर्शिता वाले फिल्म पर अब भी जुर्माना लगाया जाएगा।
प्लास्टिक फिल्म लगाने के क्या हैं फायदे?
कार की खिड़कियों के शीशे पर प्लास्टिक या कूलिंग फिल्म लगवाने से गाड़ी के अंदर का तापमान 34 से 45 फीसदी तक कम किया जा सकता है। इसके साथ ही ये फिल्म 99 फीसदी अल्ट्रावॉयलेट किरणों, 85 फीसदी इंफ्रारेड किरणों और 55 फीसदी रिफ्लेक्शन को कम करने में मदद करती हैं। दुर्घटना की स्थिति में यह फिल्म कांच के टुकड़ों को अंदर के यात्रियों को चोट पहुंचाने से रोकती है और चोरी की घटनाओं को भी कम करती है।