इलेक्ट्रिक स्कूटरों के लिए एथर एनर्जी करेगी भारी निवेश, बढ़ेगी नेटवर्क और उत्पादन क्षमता
देश में इलेक्ट्रिक वाहनों की बढ़ती डिमांड के बीच इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर बनाने वाली कंपनी एथर एनर्जी भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों के भविष्य को लेकर पूरी तरह से संतुष्ट है। एथर कर्नाटक स्थित होसुर प्लांट में अगले वित्तीय वर्ष के अंत तक अपनी उत्पादन क्षमता बढ़ाकर सालाना पांच लाख यूनिट करने की योजना बना रही है। वर्तमान में यहां प्रति वर्ष 1.1 लाख यूनिट्स का उत्पादन होता है। इसके लिए कंपनी 600 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश करेगी।
विस्तार के लिए निवेश की योजना बना रही कंपनी
एथर एनर्जी अगले चार से पांच सालों में प्लांट के विस्तार के लिए लगभग 650 करोड़ रुपये का निवेश करने पर विचार कर रही है। एथर एनर्जी के सह-संस्थापक और CEO तरुण मेहता ने अनुमान लगाया है कि भारत में इलेक्ट्रिक स्कूटर का बाजार कई गुना की वृद्धि दर्ज करेगा। इसलिए कंपनी अपनी निर्माण सुविधा का विस्तार करने के लिए पहले ही 130 करोड़ रुपये निवेश का वादा कर चुकी है।
ज्यादा शहरों तक पहुंच बनाने की कोशिश में कंपनी
तरुण मेहता ने भविष्य की योजनाओं के बारे में बताते हुए कहा कि कंपनी इस वित्तीय वर्ष के अंत तक अपनी पहुंच 13 शहरों से बढ़ाकर 50 और अगले वित्तीय वर्ष तक 100 शहरों तक करेगी। इसके साथ ही इस साल के अंत तक कंपनी अपने फास्ट-चार्जिंग स्टेशनों को 140 से बढ़ाकर 500 तक करने वाली है। कंपनी ने अगले दो सालों में स्कूटर सेगमेंट में एक नया उत्पाद बनाने का लक्ष्य भी रखा है।
हाल में हुई है दामों में कटौती
एथर वर्तमान में अपने दो इलेक्ट्रिक स्कूटर-450X और 450 प्लस का उत्पादन करती है। हाल ही में FAME II नीति के तहत इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों के सब्सिडी दरों के बढ़ने से एथर ने अपने ग्राहकों को 14,500 रुपये तक का लाभ देने का फैसला किया था। इसके तहत एथर 450 प्लस इलेक्ट्रिक स्कूटर की कीमत 1,39,990 रुपये से घटकर 1,25,490 रुपये और एथर 450X की कीमत 1,59,000 रुपये से घटकर 1,44,500 रुपये हो गई है।
ओला भी कर चुकी है निवेश
पिछले साल ओला ने भी दुनिया की सबसे बड़ी स्कूटर निर्माण फैसिलिटी बनाने के लिए तमिलनाडु सरकार के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किया था। इसके तहत ओला राइड-हेलिंग फर्म फैक्ट्री लगाने करने के लिए लगभग 2,400 करोड़ रुपये का निवेश कर रही है। फैक्ट्री में प्रति वर्ष 20 लाख इलेक्ट्रिक वाहनों की शुरुआती उत्पादन क्षमता होगी, जिसे साल 2022 तक बढ़ाकर एक करोड़ प्रति वर्ष दोपहिया वाहन करने का लक्ष्य रखा गया है।