बांग्लादेश: कौन हैं नाहिद इस्लाम, जिन्होंने शेख हसीना के खिलाफ छात्रों के विरोध का नेतृत्व किया?
बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में आरक्षण के विरोध में चल रहे प्रदर्शन और हिंसा के बाद प्रधानमंत्री शेख हसीना को सोमवार को अपने पद से इस्तीफा देकर देश छोड़ दिया है। इस पूरे घटनाक्रम के पीछे छात्र नेता नाहिद इस्लाम का नाम प्रमुख रूप से आ रहा है। दरअसल, नाहिद ने ही छात्रों के इस पूरे विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व किया है। ऐसे में आइए जानते हैं कि आखिर कौन हैं नाहिद और उन्होंने छात्रों का नेतृत्व कैसे किया?
कौन है नाहिद इस्लाम?
ढाका निवासी नाहिद एक छात्र नेता हैं। वे वर्तमान में ढाका विश्वविद्यालय से समाजशास्त्र की पढ़ाई कर रहे हैं। इसके साथ ही नाहिद को मानवाधिकार कार्यकर्ता के तौर पर भी जाना जाता है। वह छात्र संगठन 'स्टूडेंट्स अगेंस्ट डिस्क्रिमिनेशन' के सह समन्वयक भी हैं। आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मामला शांत होने लगा था, लेकिन नाहिद की एक अपील ने इसे फिर से जगा दिया और बाद में इसने हिंसक रूप ले लिया।
कैसे हुई थी आरक्षण पर विरोध की शुरुआत?
दरअसल, बांग्लादेश में स्वतंत्रता सेनानियों के बच्चों को सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत आरक्षण मिलता था। इसके बाद 2018 में प्रधानमंत्री हसीना ने नए आरक्षण नियम लागू कर इसे खत्म कर दिया था। हालांकि, इस साल 5 जून को ढाका हाई कोर्ट ने आरक्षण को दोबारा लागू कर दिया। इस फैसले के विरोध में छात्रों ने 1 जुलाई को सड़क और रेल मार्ग जाम कर प्रदर्शन शुरू किया था। इसका नेतृत्व नाहिद ने ही किया था।
हिंसा में हुई 115 लोगों की मौत
सरकार के प्रदर्शन को दबाने के लिए सख्ती बरतने पर 16 जुलाई को इसने हिंसा का रूप ले लिया। इसमें 115 लोगों की मौत हो गई। इसके बाद देश में कर्फ्यू के साथ इंटरनेट बंद कर दिया। 21 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को पलटते हुए अधिकतर आरक्षण को खत्म करते हुए उसकी सीमा को 7 प्रतिशत कर दिया। इसके बाद शांति स्थापित हुई, लेकिन पुलिस ने नाहिद सहित 6 लोगों को हिरासत में ले लिया।
नाहिद ने पुलिस पर लगाए प्रताड़ना के आरोप
नाहिद ने आरोप लगाया कि 19 जुलाई को पुलिस ने उन्हें और उनके साथियों को अस्पताल से उठाया था। उसके बाद उन्हें पीटा और आंदोलन वापस लेने के लिए जबरदस्ती वीडियो बनवाया। नाहिद का आरोप है कि पुलिस ने उन्हें बेहोश होने तक पीटा और 24 घंटे बाद एक पुल के नीचे फेंक दिया। हालांकि, पुलिस ने इन सभी आरोपों से इनकार कर दिया। इस घटना के बाद प्रदर्शनकारी छात्रों में रोष पैदा हो गया था।
गृह मंत्री पर लगाया झूठा प्रचार करने का आरोप
नाहिद ने दावा किया कि वह और उनके साथी जब पुलिस कैद में थे तो गृहमंत्री असदुज्जमां कमाल ने मीडिया में झूठा दावा कर दिया कि प्रदर्शनकारियों ने अपनी स्वेच्छा से आंदोलन खत्म करने की बात कही है। उनके पुलिस गिरफ्त से बाहर आने के बाद उन्होंने सभी प्रदर्शनकारियों को अपनी बात बताई और उसके बाद आंदोलन ने हिंसक रूप ले लिया। नाहिद ने आंदोलन में हुई मौतों के लिए पूरी तरह से हसीना सरकार को जिम्मेदार ठहराया है।
नाहिद के नेतृत्व में प्रदर्शन ने हसीना को किया देश छोड़ने का मजबूर
नाहिद के सरकार की सच्चाई बताने के बाद 3 अगस्त को गुस्साए छात्रों ने हसीना के इस्तीफा देने की मांग को लेकर मार्च निकाला। इस दौरान सरकार समर्थित गुटों के लोगों ने इसका विराेध किया। इसके बाद देश में हिंसा भड़क गई और 100 से अधिक लोगों की मौत हो गई। इसके बाद सोमवार प्रदर्शनकारियों को प्रधानमंत्री आवास की ओर बढ़ने के बाद हसीना ने इस्तीफा दे दिया और सैन्य हेलीकॉप्टर में अपनी बहन के साथ भारत आ गईं।