पाकिस्तान: सोमवार को अगले प्रधानमंत्री के रूप में शपथ लेंगे शहबाज शरीफ
क्या है खबर?
पाकिस्तान में चल रहे सियासी घमासान के बाद रविवार देर रात आखिरकार इमरान खान की सरकार गिर गई।
अविश्वास प्रस्ताव पर हुई वोटिंग में 174 सांसदों ने इमरान सरकार के खिलाफ वोट डाला जो बहुमत के आंकड़े 172 से दो अधिक है।
अब नेता प्रतिपक्ष और पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (PML-N) अध्यक्ष शहबाज शरीफ को अगले प्रधानमंत्री के रूप में चुना गया है। उनके सोमवार को प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने की संभावना है।
मुलाकात
आज राष्ट्रपति अल्वी से मुलाकात करेंगे शरीफ
PML-N की रविवार को हुई बैठक में शहबाज शरीफ को सर्वसम्मति से प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार चुना गया है। ऐसे में वह शाम को राष्ट्रपति आरिफ अल्वी से मुलाकात कर सरकार बनाने का दावा पेश करेंगे।
ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि वह सोमवार को पाकिस्तान के 23वें प्रधानमंत्री के रूप में शपथ लेंगे।
इसी के साथ उनके मंत्रिमंडल में शामिल नेताओं के भी शपथ लेने की संभावना है। मंत्रियों के नाम पर चर्चा खत्म हो चुकी है।
परिचय
कौन है शहबाज शरीफ?
शहबाज शरीफ तीन बार पाकिस्तान के प्रधानमंत्री रह चुके नवाज शरीफ के छोटे भाई और पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (PML-N) के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। उनका जन्म 23 सितंबर, 1951 को लाहौर में हुआ था।
उनके पिता मोहम्मद शरीफ बंटवारे से पहले भारत के अमृतसर में रहते थे और 1947 में लाहौर जाकर बस गए।
शरीफ ने लाहौर की एक सरकारी यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन की और इसके बाद अपने परिवार का कारोबार संभाला। नवाज के अलावा उनका एक और बड़ा भाई है।
राजनीतिक करियर
1980 के दशक में राजनीति में आए शरीफ
शरीफ 1980 के दशक में राजनीति आए और 1988 में विधायक का पहला चुनाव जीता। उनके नाम सबसे अधिक तीन बार पंजाब प्रांत का मुख्यमंत्री रहने का रिकॉर्ड है।
शरीफ 1997 में पहली बार पंजाब के मुख्यमंत्री बने, लेकिन 1999 में सेनाध्यक्ष जनरल परवेज मुशर्रफ के तख्तापलट करने के बाद उनकी कुर्सी चली गई और उन्हें देश छोड़कर दुबई भागना पड़ा।
वह 2008 में दूसरी और 2013 में तीसरा बार पंजाब के मुख्यंमत्री बने।
जानकारी
शरीफ पर मनी लॉन्ड्रिंग और भ्रष्टाचार के आरोप, हो चुके हैं गिरफ्तार
शरीफ पर भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग के केस दर्ज हैं। दिसंबर, 2019 में मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में उनकी 23 संपत्तियां जब्त की गई थीं। इसी मामले में सितंबर, 2020 में उन्हें गिरफ्तार किया गया। अभी भी जमानत पर बाहर हैं।
पृष्ठभूमि
कैसे गिरी इमरान खान की सरकार?
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत जब कल संसद की कार्यवाही शुरू हुई तो कुछ देर में ही साफ हो गया कि इमरान नहीं चाहते कि अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग हो।
उन्होंने स्पीकर को साफ निर्देश दिया कि किसी भी सूरत में वोटिंग न कराई जाए। जब देर रात बात हाथ से जाती दिखी तो उन्होंने लगभग 11:30 बजे स्पीकर और डिप्टी स्पीकर से इस्तीफा दिलवा दिया।
इसके बाद अयाज सादिक ने स्पीकर बनकर अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग कराई।
रिकॉर्ड
अविश्वास प्रस्ताव के जरिए कुर्सी गंवाने वाले पहले प्रधानमंत्री बने इमरान
अविश्वास प्रस्ताव के जरिए कुर्सी गंवाते ही इमरान के साथ एक अनचाहा रिकॉर्ड जुड़ गया है। वह पाकिस्तान के इतिहास के पहले ऐसे प्रधानमंत्री बन गए हैं जिन्हें अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग में अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी है।
उनसे पहले 1989 में बेनजीर भुट्टो और 2006 में तत्कालीन प्रधानमंत्री शौकत अजीज के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया था, लेकिन दोनों ही अपनी कुर्सी बचाने में सफल रहे थे।
हालांकि, इस मामले में इमरान पूरी तरह से असफल साबित हुए हैं।
बयान
अविश्वास प्रस्ताव पहले इमरान ने क्या कहा?
अविश्वास प्रस्ताव से पहले इमरान ने कहा कि उनकी सरकार को गिराने की अमेरिकी साजिश को साबित करने वाला "धमकी पत्र" मुख्य न्यायाधीश के सामने पेश किया जाएगा।
वोटिंग में हार का सामना करने से पहले उन्होंने कहा, "मैं वैश्विक साजिश को सफल नहीं होने दूंगा और पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश को धमकी भरा पत्र पेश किया जाएगा। धमकी भरे राजनयिक षडयंत को सभी राजनीतिक प्रमुखों के साथ भी साझा किया जाएगा।"
प्रतिक्रिया
इमरान के समर्थकों ने बताया 'पाकिस्तान के लिए दुखद दिन'
अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग से सरकार गिरने के बाद इमरान के कई समर्थकों ने इसे पाकिस्तान के लिए दुखद दिन करार दिया है।
पूर्व सूचना एवं प्रसारण मंत्री फवाद हुसैन ने ट्वीट किया, 'पाकिस्तान के लिए दुखद दिन... लुटेरों की वापसी के साथ एक अच्छे नेता को घर भेज दिया।'
पूर्व मानवाधिकार मंत्री शिरीन मजारी ने भी ट्वीट किया, 'लोकतंत्र के लिए दुखद दिन ... अमेरिकी शासन की सहायता से एक भ्रष्ट राजनीतिक माफिया की जीत हुई है।'