न्यूरोलॉजिकल और मानसिक विकारों से जूझ रहे कोरोना से ठीक हो चुके एक तिहाई लोग- अध्ययन
क्या है खबर?
महामारी को हराकर ठीक हो चुके मरीजों को भी लंबे समय तक कोरोना के असर का सामना करना पड़ रहा है।
एक अध्ययन में सामने आया है कि लगभग एक तिहाई कोरोना संक्रमित ठीक होने के छह महीनों के भीतर तंत्रिका संबंधी (न्यूरोलॉजिकल) विकारों या मनोरोग से जूझ रहे हैं ।
लान्सेट साइकेट्री जर्नल में प्रकाशित हुए अध्ययन में शामिल 13 प्रतिशत लोगों का कहना है कि कोरोना से संक्रमित होने से पहले कभी उनमें ऐसे लक्षण नहीं थे।
कोरोना वायरस
तंत्रिका तंत्र पर गंभीर असर डालता है वायरस- अध्ययन
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए अध्ययन में बताया गया है कि कोरोना महामारी फैलाने वाले SARS-CoV-2 वायरस के कारण तंत्रिका तंत्र पर गंभीर असर पड़ता है, जिस वजह से महामारी से ठीक होने के महीनों बाद भी लोग पूरी तरह सेहतमंद नहीं हो पाते हैं।
महामारी की शुुरुआत के बाद ऐसी कई रिपोर्ट्स सामने आ चुकी हैं, जिनमें बताया गया है कि कोरोना संक्रमित होने पर तंत्रिका तंत्र में विकार की आशंका बढ़ जाती है।
कोरोना का कहर
दो लाख से अधिक लोगों पर किया गया अध्ययन
शोधकर्ताओं ने यह भी बताया है कि कोरोना संक्रमण से ठीक होने के तीन महीनों के भीतर कुछ लोगों में बैचेनी और स्वभाव में चिड़चिड़ापन जैसे लक्षण भी नजर आते हैं।
ताजा अध्ययन में ऑक्सफोर्ड के शोधकर्ताओं ने छह महीनों तक 2,36,379 मरीजों के रिकॉर्ड का विश्लेषण किया है। इनमें 10 साल से अधिक के वो लोग शामिल थे, जो 20 जनवरी, 2020 के बाद संक्रमित हुए और 13 दिसंबर, 2020 तक जीवित थे।
अध्ययन
गंभीर रुप से संक्रमित मरीजों पर ज्यादा असर
ताजा अध्ययन में शोधकर्ता महामारी से ठीक हो चुके 2,36,379 लोगों के आंकड़ों की इनफ्लूएंजा से संक्रमित 1,05,579 मरीजों और श्वसन तंत्र में संक्रमण का सामना कर रहे 2,36,038 मरीजों के आंकड़ों से तुलना कर नतीजे पर पहुंचे हैं।
अध्ययन में पता चला कि जो लोग कोरोना वायरस से गंभीर रूप से संक्रमित हुए थे, उनमें मनोरोग के दूसरों से ज्यादा गंभीर लक्षण देखे गए हैं।
नतीजा
अध्ययन में क्या नतीजा सामने आया?
अध्ययन में पता चला कि लगभग 34 प्रतिशत लोगों ने महामारी से ठीक होने के छह महीनों के भीतर खुद में तंत्रिका तंत्र या मानसिक स्वास्थ्य संबंधी कोई विकार पाया। 13 प्रतिशत का कहना था कि उन्हें कोरोना संक्रमण से पहले ऐसी कोई परेशानी नहीं थी।
वहीं 17 प्रतिशत ने कहा कि उन्हें बेचैनी रहने लगी और 5 प्रतिशत को अनिद्रा जैसी समस्या का सामना करना पड़ा। कुछ लोगों ने दूसरी कई समस्याओं का जिक्र किया।
बयान
स्वास्थ्य व्यवस्था के लिए बड़ी चुनौती
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से जुड़े और शोधकर्ताओं में शामिल पॉल हैरिसन ने कहा कि इन आकंड़ों से पुष्टि होती है कि कोरोना के बाद बड़ी संख्या में लोगों को मनोरोग जैसी समस्याओं से जूझना पड़ रहा है।
उन्होंने कहा कि अधिकतर लोगों में ऐसे विकारों के हल्के लक्षण पाए गए हैं, लेकिन दुनियाभर में महामारी का प्रकोप देखते हुए ये स्वास्थ्य और सामाजिक देखभाल व्यवस्था के लिए बड़ी चुनौती बन सकते हैं।