UK: कैंसर के इलाज के लिए नई दवा की खोज जारी, मिले उत्साहजन नतीजे
यूनाइटेड किंगडम (UK) में कैंसर के इलाज के लिए एक नई दवा की खोज चल रही है, जो अभी तक कारगर साबित हुई है। इस ट्रायल में कैंसर सेल्स को संक्रमित कर खत्म करने के लिए एक कॉमन वायरस का इस्तेमाल हो रहा है। अभी यह ट्रायल शुरुआती चरण में है और वैज्ञानिकों का कहना है कि इससे उत्साहजनक नतीजे मिले हैं। दुनियाभर मे हर साल करीब एक करोड़ लोगों की कैंसर से मौत होती है।
किस दवा का हो रहा इस्तेमाल?
इस ट्रायल में जिस दवा का इस्तेमाल हो रहा है, वह कोल्ड सोर वायरस हरपेक्स सिम्पलेक्स का हल्का वर्जन है, जिसमें ट्यूमर को खत्म करने के लिए बदलाव किया गया है। इससे एक मरीज का कैंसर ठीक हो गया, जबकि बाकियों के ट्यूमर कम हुआ है। वैज्ञानिकों का कहना है कि अभी दवा की कामयाबी के लिए लंबे और विस्तृत अध्ययन की जरूरत है, लेकिन यह कैंसर से जूझ रहे लोगों को जीवन की एक नई किरण दे सकती है।
एक मरीज को मिला कैंसर से छुटकारा
ट्रायल में हिस्सा लेने वाले 39 वर्षीय क्रिजस्टोफ वोजकोव्स्की का कैंसर पूरी तरह से ठीक हो गया है। पश्चिम लंदन के रहने वाले इस बॉडी बिल्डर ने रॉयल मार्सडेन NHS फाउंडेशन के इंस्टीट्यूट ऑफ कैंसर रिसर्च में हुए ट्रायल में हिस्सा लिया था। 2017 में उन्हें मुंह के पास कैंसर हुआ था। तमाम इलाजों और सर्जरी के बाद भी उन्हें राहत नहीं मिली थी, जिसके बाद उन्होंने ट्रायल में भाग लिया और उन्हें इसका फायदा भी मिला।
"पांच हफ्तों तक लगे थे इंजेक्शन"
वोजकोव्स्की ने बताया कि उन्हें पांच हफ्तों तक हरपेक्स सिम्पलेक्स वायरस के हल्के वर्जन वाली दवा के हर दूसरे हफ्ते इंजेक्शन लगाए गए, जिससे उनका कैंसर पूरी तरह ठीक हो गया और अब वो बिल्कुल स्वस्थ हैं।
कैसे काम करता है इंजेक्शन?
इस दवा के इंजेक्शन को सीधे ट्यूमर पर लगाया जाता है और यह दो तरीकों से कैंसर पर वार करता है। यह कैंसर सेल्स पर हमला कर उन्हें नष्ट करता है और साथ ही इम्युन सिस्टम को भी सक्रिय कर देता है। इसके ट्रायल में करीब 40 लोगों ने हिस्सा लिया था। इनमें से कुछ को वायरस इंजेक्शन RP2 दिया गया, जबकि कुछ को कैंसर के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दूसरी दवाएं जैसे निवोलुमैब आदि दी गईं।
ट्रायल के क्या नतीजे आए?
ट्रायल में जिन नौ लोगों को RP2 इंजेक्शन दिया गया था, उनमें से तीन का ट्यूमर कम हो गया। जिन 30 मरीजों को इंजेक्शन और दूसरी दवाएं दी गईं, उनकी सेहत बेहतर हुई। कुछ मरीजों में थकान जैसे सामान्य साइड इफेक्ट्स देखने को मिले।
वैज्ञानिकों का क्या कहना है?
BBC से बात करते हुए मुख्य शोधकर्ता प्रोफेसर केविन हैरिंगटन ने बताया कि इस थैरेपी ने एडवांस और दुर्लभ कैंसर के इलाज में उत्साहजनक नतीजे दिए हैं। उन्होंने कहा कि क्लिनिकल ट्रायल के शुरुआती चरण में इस तरह की प्रतिक्रिया काफी शानदार है। इसका प्रमुख उद्देश्य इलाज की सुरक्षा जांचना था क्योंकि इसमें वो मरीज शामिल थे, जिन पर कैंसर के मौजूदा इलाजों का असर नहीं हो रहा था। उन्होंने आगे के नतीजे भी ऐसे रहने की उम्मीद जताई है।
क्या पहली बार वायरस से कैंसर का इलाज हो रहा है?
इस सवाल का जवाब नहीं है। पहले भी कैंसर के इलाज के लिए वायरस का इस्तेमाल हुआ है। इंग्लैंड में कुछ साल पहले स्किन कैंसर से लड़ने के लिए कोल्ड वायरस आधारित थैरैपी टी-वैक की मंजूरी मिली थी।