इंटरनेट चलाने के साथ-साथ बम और हथियारों का पता लगाने में भी काम आएगा Wi-Fi

हमारे जीवन में Wi-Fi एक जरूरी हिस्सा बन गया है। घर से लेकर ऑफिस तक Wi-Fi के बिना कई काम रूक सकते हैं। रेलवे स्टेशन, एयरपोर्ट और दूसरे सार्वजनिक स्थानों पर Wi-Fi की सुविधा दी जाने लगी है। इसकी मदद से न सिर्फ इंटरनेज तेज स्पीड से चलता है बल्कि डाटा ट्रांसफर की स्पीड भी तेज होती है। लेकिन अब Wi-Fi का इस्तेमाल सार्वजनिक स्थानों पर बम और हथियारों की पहचान करने के लिए भी किया जाएगा। आइये जानें कैसे।
कनाडा के न्यू ब्रंसविक की रटगर्स यूनिवर्सिटी ने कुछ महीनों पहले एक अध्ययन किया था। इसमें पता चला कि दैनिक जीवन में इस्तेमाल की जाने वाले Wi-Fi का इस्तेमाल बैग में छिपे बम, हथियारों और दूसरे रासायनिक पदार्थों का पता लगाने के लिए किया जा सकता है। इस अध्ययन में सामने आए परिणाम काफी मजूबत थे। इसके लिए इस अध्ययन को 2018 की 'कॉन्फ्रेंस ऑन कम्यूनिकेशन एंड नेटवर्क सिक्योरिटी' में सर्वश्रेष्ठ शोधपत्र घोषित किया गया था।
अध्ययनकर्ताओं ने दिखाया कि Wi-Fi सिग्नल धातु या तरल पदार्थ में से जिस हिसाब से गुजरते हैं उसका पता लगाया जा सकता है। अधिकतर हथियार और बम इन्हीं पदार्थों से बनते हैं। इसके अलावा Wi-Fi सिग्नल आसानी से किसी भी बैग से गुजर सकते हैं।
इस मॉडल को दिखाने के लिए अध्ययनकर्ताओं ने एक मजबूत सिग्नल वाला हथियार पकड़ने वाला Wi-Fi सिस्टम बनाया। इसके बाद इसे सुरक्षा के लिहाज से खतरनाक 15 चीजों और 6 तरह के बैग पर जांचा गया। इसमें पता चला कि सिस्टम ने लगभग पूरी सटीकता (99 प्रतिशत) से खतरनाक चीजों को पहचान लिया। यह सिस्टम धातु को 98 प्रतिशत सटीकता, तरल पदार्थों को 95 प्रतिशत और दूसरी खतरनाक चीजों को 90 प्रतिशत सटीकता से पहचान लेता है।
अपने अध्ययन की सफलता से उत्साहित टीम इस सिस्टम की सटीकता को बेहतर बनाने के लिए काम कर रही है। फिलहाल अध्ययनकर्ता चीजों की आकृति और बैग में ले जाए जा रहे तरल पदार्थों की मात्रा पता लगाने पर काम कर रही है। ऐसा होने के बाद चीजों की वास्तविक पहचान आसान हो सकेगी। एक बार सिस्टम के काम में आने के बाद इससे आसानी से बम और हथियारों का पता लगाया जा सकेगा।
अभी तक सामान और बैग चेकिंग के लिए एक्सरे और कंप्यूटेड टेमोग्राफी जैसी महंगी और स्पेशल मशीनें इस्तेमाल की जा रही है। इन मशीनों के साथ-साथ इन्हें चलाने के लिए कई लोगों की भी जरूरत होती है। साथ ही हर सार्वजनिक स्थानों पर ऐसी मशीनें लगाना व्यवहारिक नहीं है। इसलिए नया Wi-Fi सिस्टम जल्द ही इन मशीनों की जगह ले सकता है। यह न सिर्फ सस्ता है बल्कि इसे कहीं भी लगाया जा सकता है।