कोरोना वायरस: वैज्ञानिकों की पकड़ में कैसे आया नया स्ट्रेन?
क्या है खबर?
यूनाइटेड किंगडम (UK) में मिले कोरोना वायरस के नए स्ट्रेन ने पूरी दुनिया में खलबली मचा दी है। ये नया स्ट्रेन 70 प्रतिशत अधिक संक्रामक है और लंदन और दक्षिण-पूर्व इंग्लैंड के अन्य इलाके इससे बुरी तरह प्रभावित हुए हैं।
अपने देश में इस स्ट्रेन को फैलने से रोकने के लिए भारत समेत कई देशों ने UK से आने वाली उड़ानों पर रोक लगा दी है।
आइए जानते हैं कि वैज्ञानिक इस नए स्ट्रेन को पकड़ने में कैसे कामयाब हुए।
रिपोर्ट
मामलों में तेज वृद्धि के कारणों की जांच के सामने सामने आया नया स्ट्रेन
वाल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के अनुसार, नई पाबंदियों के बावजूद दक्षिण-पूर्व इंग्लैंड के इलाकों में कोरोना वायरस के मामलों में तेज वृद्धि के कारणों की जांच के दौरान नया स्ट्रेन पकड़ में आया था।
अधिकारियों को पहले लगा कि किसी सुपर-स्प्रेडर इवेंट या लोगों के गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार की वजह से मामलों में ये तेजी आई है।
हालांकि, 8 दिसंबर को वायरसों के जिनोम की जानकारी रखने वाले कोविड-10 जिनोमिक्स कंसोर्टियम (COG-UK) की एक बैठक में असल वजह सामने आई।
नया स्ट्रेन
केंट के एक मरीज के सैंपल में हुई नए स्ट्रेन की पहचान
इस बैठक में वैज्ञानिकों ने सितंबर के केंट के एक मरीज के सैंपल में वायरस के नए स्ट्रेन की पहचान की। एक दिन बाद के लंदन के एक सैंपल में भी नया स्ट्रेन पाया गया। इस स्ट्रेन में कुल 23 म्यूटेशन (बदलाव) हुए थे और वैज्ञानिकों ने इन्हीं म्यूटेशन को वायरस के प्रसार में तेजी का कारण माना।
यूं तो वायरस में पहले भी म्यूटेशन हो चुके हैं, लेकिन एक साथ इतने म्यूटेशन ने वैज्ञानिकों को चिंता में डाल दिया।
अहम कारण
स्पाइक प्रोटीन में म्यूटेशन की वजह से अधिक संक्रामक हुआ है वायरस
रिपोर्ट के अनुसार, नए स्ट्रेन में कोरोना वायरस की स्पाइक प्रोटीन में दो म्यूटेशन हुए हैं और इसकी वजह से ये पहले से अधिक संक्रामक हो गया है।
बता दें कि स्पाइक प्रोटीन की मदद से ही कोरोना वायरस मानव कोशिकाओं से चिपकता है और इंसान के शरीर में दाखिल होता है।
UK के अधिकारी पेशेंट जीरो (सबसे पहला मरीज) की पहचान में भी लगे हुए हैं, ताकि नए स्ट्रेन को पूरी तरह से समझा जा सके।
आशंका
कमजोर इम्युन सिस्टम वाले मरीज में नया स्ट्रेन पैदा होने की आशंका
पेशेंट जीरो को लेकर वैज्ञानिकों का मत है कि नया स्ट्रेन बेहद कमजोर इम्युन सिस्टम वाले किसी मरीज में पैदा हुआ।
रिपोर्ट के अनुसार, कमजोर और अक्षम इम्युन सिस्टम किसी भी वायरस के अधिक म्यूटेट करने के लिए सबसे अच्छी जगह है क्योंकि वायरस यहां काफी लंबे समय तक रह सकता है।
हालांकि, अभी तक इसे लेकर कुछ स्पष्ट नहीं हैं और वैज्ञानिक लगातार इस दिशा में काम कर रहे हैं।
घातक
कितना घातक है नया स्ट्रेन?
अभी तक ऐसा कोई सबूत नहीं मिला है जिससे साबित हो कि नया स्ट्रेन अधिक घातक है या इस पर वैक्सीन का कोई असर नहीं होगा।
जानकारों का कहना है कि अभी किसी नतीजे पर पहुंचाना जल्दबाजी होगी। फिर भी संक्रमण की तेज रफ्तार के कारण चिंताएं बढ़ने लगी हैं।
अधिक लोगों के संक्रमित होने का मतलब यह है कि स्वास्थ्य सेवाओं पर बोझ बढ़ेगा, जो कई चुनौतियां का कारण बन सकता है।