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हांगकांग के लाखों प्रदर्शनकारियों की बड़ी जीत, वापस लिया गया विवादित प्रत्यर्पण बिल

हांगकांग के लाखों प्रदर्शनकारियों की बड़ी जीत, वापस लिया गया विवादित प्रत्यर्पण बिल

Sep 04, 2019
04:10 pm

क्या है खबर?

हांगकांग में विवादित प्रत्यर्पण बिल को आज वापस ले लिया गया। हांगकांग की नेता कैरी लैम आज बिल को वापस लिए जाने की घोषणा की। इस बिल के विरोध में जून से हांगकांग में जून से लोकतांत्रिक प्रदर्शन हो रहे हैं और इनमें करीब 20 लाख लोग सड़कों पर उतर चुके हैं। इन प्रदर्शनों ने दुनियाभर का ध्यान अपनी तरफ खींचा है। अभी ये साफ नहीं है कि बिल वापस लिए जाने के बाद प्रदर्शन बंद होंगे या नहीं।

रिपोर्ट्स

पहले से आ रही थीं बिल को वापस लिए जाने की खबरें

इससे पहले साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट ने सूत्रों के हवाले से कैरी लैम के आज विवादित प्रत्यर्पण बिल को वापस लेने की बात कही थी। अन्य स्थानीय मीडिया चैनल्स और अखबारों ने भी बिल को वापस लिए जाने की संभावना जताई थी। हालांकि लैम के कार्यालय की ओर से मामले पर अभी कोई बयान सामने नहीं आया था। अब लैम ने चीनी सरकार समर्थक प्रतिनिधियों के साथ बैठक के बाद बिल को वापस लिए जाने की घोषणा की।

प्रत्यर्पण बिल

क्या था विवादित प्रत्यर्पण बिल?

वापस लिए गए विवादित प्रत्यर्पण विधेयक के अनुसार, अगर कोई व्यक्ति अपराध कर हांगकांग आ जाता है तो उसे जांच प्रक्रिया में शामिल होने के लिए चीन भेजा जा सकता था। इस साल फरवरी में एक घटना के बाद यह विधेयक लाया गया था। ताइवान में एक व्यक्ति अपनी प्रेमिका की कथित तौर पर हत्या कर हांगकांग वापस आ गया। हांगकांग की ताइवान के साथ प्रत्यर्पण संधि नहीं है। इस वजह से उस व्यक्ति को ताइवान नहीं भेजा जा सकता।

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विरोध का कारण

इसलिए बिल का विरोध कर रहे लोग

प्रदर्शन कर रहे लोग इस बिल को निरस्त करने की मांग कर रहे थे। उनका कहना था कि अगर यह बिल कभी पास होता है तो हांगकांग के लोगों पर चीन का कानून लागू हो जाएगा। इसके बाद चीन मनमाने ढंग से लोगों को हिरासत में लेकर उन्हें यातनाएं देगा। जानकारों का मानना था कि इस बिल से हांगकांग की न्यायिक स्वतंत्रता खतरे में पड़ जाएगी। चीन अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को निशाना बनाने के लिए इसका इस्तेमाल कर सकता है।

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इतिहास

1997 में चीन के हवाले किया गया था हांगकांग

हांगकांग ब्रिटिश उपनिवेश रहा है। 1997 में इसे 'एक देश दो सरकार' सिद्धांत के तहत चीन को सौंप दिया गया था। चीन ने 'एक देश-दो सरकार' के तहत 2047 तक लोगों की स्वतंत्रता और अपनी कानूनी व्यवस्था को बनाए रखने की गारंटी दी थी। इस सिद्धांत के तहत हांगकांग को कुछ स्वायत्तता मिली हुई है। यहां का शासन 1,200 सदस्यों की चुनाव समिति के मुख्य कार्यकारी अधिकारी द्वारा चलाया जाता है। चीन इसे अपने संप्रभु राज्य का हिस्सा मानता है।

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