सऊदी अरब में दुनिया की सबसे बड़ी इमारत 'मुकाब' का निर्माण शुरू, क्या-क्या है खास?
सऊदी अरब में दुनिया की सबसे बड़ी इमारत का निर्माण कार्य शुरू हो चुका है। इसे 'मुकाब' नाम दिया गया है। यह रियाद में बन रहे नए हाईटेक शहर मुरब्बा का हिस्सा होगी। करीब 4 लाख करोड़ रुपये की लागत से बन रही ये इमारत पूरी तरह बनने के बाद दुनिया की सबसे बड़ी इमारत होगी। इसमें शानदार रेस्टोरेंट, होटल, कार्यालय और सारी हाईटेक सुविधाएं होंगी। आइए इस इमारत की खासियत जानते हैं।
कितनी बड़ी होगी इमारत?
एक घन के आकार की तरह दिखने वाली ये इमारत 1,300 फीट ऊंची और 1,200 फीट चौड़ी होगी। पूरी तरह बनने के बाद ये न्यूयॉर्क की प्रसिद्ध एंपायर स्टेट बिल्डिंग जैसी 20 इमारतों से भी बड़ी होगी। न्यू मुरब्बा डेवलपमेंट कंपनी इसका निर्माण कर रही है। कंपनी का कहना है कि इस परियोजना में लगभग 900 मजदूरों का इस्तेमाल होगा और यह 2030 तक इसे पूरी तरह तैयार कर दिया जाएगा।
इमारत में होंगे 9,000 होटल कमरे
रिपोर्ट के मुताबिक, 19 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में बनने वाली इस इमारत में एक लाख से ज्यादा रहवासी यूनिट, 9,000 होटल रूम और 9.80 लाख वर्गमीटर से ज्यादा रिटेल एरिया होगा। हाईटेक शहर के एक बड़े हिस्से को कार्यालय के इस्तेमाल के लिए विकसित किया जाएगा। पूरी तरह विकसित होने के बाद ये शहर दुनिया का सबसे बड़ा इनडोर शहर भी होगा, जिसे आधुनिक तकनीक के साथ पारंपरिक स्थापत्य कलाओं के मिश्रण से बनाया जा रहा है।
AI से लैस होगी इमारत
कंपनी का दावा है कि इमारत में आने वाले लोगों को बेहतर अनुभव देने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का उपयोग किया जाएगा। इसमें विशाल स्क्रीन से लेकर होलोग्राफिक इंटीरियर शामिल है। इमारत की बाहरी दीवारों को वर्चुअल रियलिटी तकनीक से सुसज्जित किया जाएगा। इमारत और शहर की पूरी डिजाइन आधुनिक नजदी वास्तुकला शैली से प्रेरित होकर डिजाइन की जाएगी। इसके अलावा शहर में विश्वविद्यालय, इमर्सिव थिएटर और 80 से ज्यादा मनोरंजन के स्थान बनाए जाएंगे।
सऊदी क्यों बना रहा है ये शहर?
दरअसल, सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने देश को आधुनिक बनाने के लिए कई पहल शुरू की है। इसे 'सऊदी विजन 2030' कहा जाता है। इसका उद्देश्य तेल राजस्व पर निर्भरता को कम करना, अर्थव्यवस्था में विविधता लाना और सार्वजनिक सेवा क्षेत्रों का निर्माण करना है। इस परियोजना में मुरब्बा शहर के अलावा तैरता हुआ बंदरगाह शहर 'ऑक्सागोन', पर्वतीय पर्यटन स्थल 'ट्रोजेना' और 'NEOM' नामक एक 'भविष्य का शहर' शामिल है।
परियोजना की हो रही है आलोचना
ये इमारत दिखने में मुस्लिमों के पवित्र शहर काबा की तरह है, इसलिए इसकी आलोचना भी हो रही है। इसके अलावा मानवाधिकार समूहों ने निर्माण योजनाओं से स्थानीय लोगों के विस्थापन और प्रवासी श्रमिकों के शोषण को लेकर भी चिंताएं व्यक्त की हैं।