रिश्तों में तनाव के बीच कई दशकों में पहली बार भारत से चावल खरीदेगा चीन
लगभग तीन दशकों में पहली बार चीन ने भारत से चावल आयात करना शुरू किया है। आपूर्ति में आ रही कमी और भारत की तरफ से बेहद सस्ते दामों में चावल की पेशकश के बाद चीन ने यह कदम उठाया है। बता दें कि भारत दुनिया में चावल का सबसे बड़ा निर्यातक और चीन सबसे बड़ा आयातक है। इसके बावजूद पिछले कुछ सालों से चीन भारत से चावल नहीं खरीद रहा था। आइये, यह पूरी खबर जानते हैं।
खराब गुणवत्ता का हवाला देकर भारत से चावल नही लेता था चीन
चीन हर साल लगभग 40 करोड़ टन चावल का आयात करता है, लेकिन अब तक वह खराब गुणवत्ता का हवाला देकर भारत से चावल नहीं खरीदता था। अब उम्मीद जगी है आने वाले सालों में चीन भारत से आयात किए जाने वाले चावल की मात्रा बढ़ा सकता है। राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के प्रमुख बी कृष्णा राव ने कहा, "चीन ने पहली बार भारत से चावल खरीदे हैं। वो इनकी गुणवत्ता देखने के बाद अगले साल आयात बढ़ा सकता है।"
आमतौर पर इन देशों से चावल खरीदता है चीन
अधिकारियों ने बताया कि व्यापारियों ने दिसंबर-फरवरी के लदान में 300 डॉलर (लगभग 22,000 रुपये) प्रति टन के हिसाब से 1,00,000 टन टूटे चावल के निर्यात का अनुबंध किया है। चीन आमतौर पर थाईलैंड, वियतनाम, म्यांमार और पाकिस्तान से चावल आयात करता था, लेकिन इस बार इनके पास पर्याप्त मात्रा में चावल नहीं था। साथ ही ये भारत की तुलना में प्रति टन लगभग 2,200 रुपये अधिक कीमत मांग रहे थे। इसलिए चीन ने भारत का रुख किया है।
सीमा पर दोनों देशों के बीच जारी है तनाव
चीन की तरफ से भारत से चावल आयात करने का फैसला ऐसे समय आया है, जब पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर दोनों देशों के बीच तनाव बना हुआ है। कई महीनों की कोशिशों के बावजूद अभी तक यह विवाद सुलझा नहीं है।
सैन्य ढांचे ध्वस्त करने पर बनी थी सहमति
पिछले महीने खबर आई थी कि सीमा पर तनाव कम करने के भारत और चीन के बीच पैंगोंग झील इलाकों में बने ढांचों को ध्वस्त करने पर सहमति बनी थी। अप्रैल से चल रही टकराव की स्थिति के बीच दोनों देशों ने इस इलाके में कई ढांचों का निर्माण किया था। बता दें कि दोनों पक्षों के बीच 6 नवंबर को चुशूल में हुई आठवें दौर की सैन्य बातचीत में सैनिकों को पीछे हटाने पर राजी हुए थे।