कनाडा: भारतीय मूल के सांसद चंद्र आर्य कौन हैं, जो लड़ेंगे लिबरल पार्टी प्रमुख का चुनाव?
क्या है खबर?
कनाडा में जस्टिन ट्रूडो के प्रधानमंत्री और लिबरल पार्टी प्रमुख का पद छोड़ने के बाद भारतीय मूल के सांसद चंद्र आर्य ने गुरुवार सुबह लिबरल नेतृत्व के लिए चुनाव लड़ने का ऐलान किया है।
उन्होंने कहा कि वह चुनाव लड़कर देश को एक संप्रभु गणराज्य बनाने, सेवानिवृत्ति की आयु बढ़ाने, नागरिकता आधारित कर प्रणाली शुरू करने और फिलिस्तीन राज्य को मान्यता देने के लिए कदम उठाएंगे।
आइए जानते हैं चंद्र आर्य कौन है और उनका भारत से क्या संबंध है।
बयान
आर्य ने क्या दिया बयान?
आर्य ने कहा कि वे कनाडा को एक संप्रभु गणराज्य बनाना चाहते हैं, जिसके लिए राजशाही को राज्य प्रमुख के रूप में बदलना होगा। अब समय आ गया है कि कनाडा अपने भाग्य का पूरा नियंत्रण अपने हाथ में ले ले।
उन्होंने कहा, "मैं अपने देश के पुनर्निर्माण और भविष्य की पीढ़ियों के लिए समृद्धि सुनिश्चित करने के लिए एक छोटी और अधिक कुशल सरकार का नेतृत्व करने के लिए कनाडा का अगला प्रधानमंत्री बनने की दौड़ में हूं।"
वादा
आर्य ने क्या किया वादा?
साल 2015 में नेपियन के उपनगरीय क्षेत्र से चुने गए आर्य ने कहा, "मैं कनाडा में ऐसी सरकार का नेतृत्व करना चाहता हूं, जिसका मंत्रिमंडल योग्यता के आधार पर चुना जाएगा, न कि (विविधता, समानता और समावेश) कोटा के आधार पर।"
उन्होंने कहा, "अगर मैं लिबरल पार्टी का नेता निर्वाचित होता हूं, तो मैं अपना ज्ञान और विशेषज्ञता प्रदान करूंगा। हम महत्वपूर्ण संरचनात्मक समस्याओं का सामना कर रहे हैं। उन्हें हल करने के लिए कठिन विकल्पों की आवश्यकता होगी।"
परिचय
कौन है चंद्र आर्य?
62 वर्षीय चंद्र आर्य का जन्म 1963 में कर्नाटक के सिरा तालुक के द्वारलू गांव में हुआ था। उन्होंने धारवाड़ में कौसाली इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज से MBA किया है।
उनकी वेबसाइट के अनुसार, वह 20 साल पहले बेहतर जीवन की तलाश में अपनी पत्नी और छोटे बेटे के साथ कनाडा चले गए थे।
वहां जाकर उन्होंने सबसे पहले एक साधारण 2 बेडरूम वाले अपार्टमेंट में रहना शुरू किया था और फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा।
कार्य
आर्य ने रक्षा प्रौद्योगिकी कंपनी में 6 साल किया काम
कनाडा जाने के बाद आर्य ने पहले एक इंजीनियर के रूप में काम किया और फिर एक वित्तीय संस्थान में एक उद्यमी के रूप में छोटे उद्योगों को वित्तपोषित करने का काम किया।
इसके बाद उन्होंने एक बैंक में निवेश सलाहकार के रूप में काम करना शुरू कर दिया।
राजनीति में आने से पहले आर्य ने एक छोटी उच्च तकनीक वाली रक्षा प्रौद्योगिकी कंपनी में कार्यकारी के रूप में 6 साल बिताए थे। इसके बाद वह राजनीति में आ गए।
राजनीति
आर्य ने साल 2015 में रखा था राजनीति में कदम
आर्य ने 2014 में लिबरल पार्टी का दामन थामकर अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की थी।
इसके बाद साल 2015 में उन्होंने नेपियन के उपनगरीय क्षेत्र से चुनाव लड़ा और पहली हाउस ऑफ कॉमन्स पहुंचे। उनका इस क्षेत्र में इतना प्रभाव रहा कि 2019 के चुनाव में भी उन्होंने यहां से जीत दर्ज कर ली।
पार्टी में उनकी छवि एक विद्वान नेता के रूप में होती है। हालांकि, उन्हें अभी तक मंत्रालय में जगह नहीं मिली है।
ध्यान
आर्य ने कन्नड़ भाषा में भाषण देकर खींचा सबका ध्यान
भारतीय मूल के सांसद ने 2022 में उस समय सबका ध्यान अपनी ओर खींचा जब उन्होंने हाउस ऑफ कॉमन्स में कन्नड़ भाषा में भाषण दिया था।
उस समय अपने संबोधन का एक वीडियो शेयर करते हुए उन्होंने लिखा था, 'मैंने कनाडा की संसद में अपनी मातृभाषा (पहली भाषा) कन्नड़ में बात की। यह पहली बार था जब भारत के बाहर दुनिया की किसी भी संसद में कन्नड़ भाषा बोली गई।'
इस पर उनकी खूब चर्चा हुई थी।
कदम
संसद के बाहर फहराया 'ओम' प्रतीक वाला भगवा त्रिकोणीय झंडा
आर्य ने नवंबर 2024 में हिंदू विरासत माह के उपलक्ष्य में कनाडाई संसद के बाहर 'ओम' प्रतीक वाला भगवा त्रिकोणीय झंडा फहराया।
उन्होंने हिंदू कनाडाई लोगों से देश के राजनीतिक परिदृश्य में समुदाय का प्रतिनिधित्व कम होने का हवाला देते हुए अधिक से अधिक राजनीतिक भागीदारी निभाने की अपील की थी।
आर्य हिंदू कनाडाई लोगों के भी मुखर समर्थक हैं और उन्होंने खालिस्तान के मुद्दे पर कड़ा रुख अपनाया है।
इस्तीफा
ट्रूडो को क्यों देना पड़ा इस्तीफा?
ट्रूडो के इस्तीफा देने के कयास पहले से ही लगाए जा रहे थे। काफी समय से उनकी ही लिबरल पार्टी के कई सांसद उनके इस्तीफे की मांग कर रहे थे। 20 सांसदों ने इसको लेकर एक प्रतिज्ञा पत्र पर हस्ताक्षर किए थे।
दिसंबर में उपप्रधानमंत्री क्रिस्टिया फ्रीलैंड ने पद से इस्तीफा देकर ट्रूडो की परेशानियों को बढ़ा दिया था।
उसके बाद ही ट्रूडो पर इस्तीफा देने का दबाव बढ़ गया था। उन्हें पार्टी नेता का पद भी छोड़ना पड़ा है।